दुनिया भर में आतंक की फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ काम करने वाली संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की पिछले महीने हुई बैठक में पाकिस्तान को आतंकियों की फंडिंग को रोकने के लिए दी गई चेतावनी के बाद इस्लामाबाद दबाव में है। इस बीच पाकिस्तान की वित्तीय निगरानी इकाई (Financial Monitoring Unit) ने जो आंकडा जारी किया है वो बेहद चौंकाने वाला है।
पाकिस्तानी समाचार पत्र डॉन में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार हाल में हुई एक बैठक में अधिकारियों ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को इस बात से अवगत कराया कि वैश्विक परिप्रेक्ष्य में यह गंभीर मामला है और यह पाकिस्तान के हित में होगा कि वो अपना घर संभालें। पाकिस्तान की वित्तीय निगरानी इकाई (Financial Monitoring Unit) की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष २०१८ में इस तरह के ८,७०७ संदिग्ध लेनदेन का पता चला है जो २०१७ के आंकडे ५,५४८ संदिग्ध लेनदेन के मुकाबले ५७ प्रतिशत ज्यादा है। जबकि १,१३६ संदिग्ध लेनदेन केवल जनवरी और फरवरी के महीने में हुई।
पाकिस्तान की सरकारी मशीनरियों को अगले २ महीनों के अंदर आतंकी फंडिंग रोकने की दिशा हुई ठोस प्रगति के सबूत FATF को दिखाने के लिए मिशन मोड पर काम कर रही है। इसी क्रम में पाकिस्तान के ६ बैंकों पर इन संदिग्ध लेनदेन के लिए जुर्माना लगाया गया और १०९ बैंकरों के खिलाफ फर्जी अकाउंट खोलने पर जांच हो रही है। इसके साथ ही जुलाई २०१८ से ३१ जनवरी तक २० अरब की तस्करी की मुद्रा और आभूषण जब्त किए गए। जो पिछले वर्ष की तुलना में ६६ प्रतिशत ज्यादा है।
पाकिस्तान सरकार ने ब्रिटेन, कतर, यूएई और ऑस्ट्रेलिया की सरकार के साथ वित्तीय खुफिया सूचना साझा करने के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर भी किए हैं। हालांकि पाकिस्तान की कार्रवाई के तौर पर इन कदमों और आंकडों की जांच FATF अपने मानकों के अनुसार करेगी। बता दें कि FATF एक तय समय सीमा के साथ १० सूत्रीय कार्ययोजना के तहत २७ संकेतकों पर पाकिस्तान की निगरानी कर रही है।
इस दस सूत्रीय कार्ययोजना द्वारा निर्धारित लक्ष्य को हासिल करना अब पाकिस्तान सरकार की सबसे बडी चुनौती है। बता दें कि FATF की बैठक के दौरान (१८ फरवरी से २२ फरवरी) पाकिस्तान सरकार ने हाफिज सईद के जमात-उद-दावा और फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन पर प्रतिबंध लगा दिया था। जबकि जैश-ए-मोहम्मद समेत ६ अन्य संगठनों को लो-रिस्क कैटेगरी में रखा गया था।
FATF की इस बैठक में पाकिस्तान को मई २०१९ तक एक्शन प्लान तैयार करने को कहा गया। FATF के अनुसार पाकिस्तान ने आतंकी फंडिंग के जोखिम का आंकलन करने के पैमाने को संशोधित तो किया है, लेकिन उसने इस्लामिक स्टेट, अल कायदा, जमात-उद-दावा, फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन, लश्कर-ए-तैयबा, हक्कानी नेटवर्क और तालिबान से जुडे लोगों द्वारा आतंकी फंडिंग से उत्पन्न होने वाले जोखिम को लेकर उचित समझ प्रदर्शित नहीं की।
आतंक की फंडिंग के खिलाफ पाकिस्तान की प्रगति को लेकर FATF की अगली समीक्षा बैठक जून २०१९ में होनी है। उल्लेखनीय है कि जून २०१८ की बैठक में पाकिस्तान को FATF की ग्रे-लिस्ट में बरकरार रखने का निर्णय लिया गया था। इसके साथ ही चेतावनी दी गई थी कि यदि पाकिस्तान आतंक की फंडिंग के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं करता तो उसे ब्लैक लिस्ट में शामिल किया जा सकता है।
FATF के एक्शन प्लान को सफलता से लागू करने की सूरत में ही पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से हटाने की प्रक्रिया शुरू होगी और अगर ऐसा नहीं हुआ तो सितंबर २०१९ में पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाएगा। जिसके बाद उस पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध लग सकते हैं।
स्त्रोत : आज तक