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हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु समाज के प्रत्येक घटक के सहभाग की आवश्यकता ! – सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी

मंडला (मध्य प्रदेश) में हिन्दू सेवा परिषद की ओर से ४ थी साधना कार्यशाला का आयोजन

व्यासपीठपर सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी, पू. रामदास महाराज, श्री. आनंद जाखोटिया और श्री. अतुल जेसवानी

मंडला (मध्य प्रदेश) : आजकर हिन्दू धर्म के मानबिंदू गोमाता, गंगामाता, मंदिर और संत आदि का कोई संवैधानिक महत्त्व नहीं है । अंतराष्ट्रीय सीमावाद, आतंकवाद, भ्रष्टाचार आदि सभी समस्याआें का समाधान केवल हिन्दू राष्ट्र में ही संभव है । ऐसे कल्याणकारी हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के कार्य में समाज के सभी घटकों को सहभागी होना आवश्यक है । हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी ने ऐसा प्रतिपादित किया ।

हाल ही में यहां की सुरंग देवरी गोशाला में हिन्दू सेवा परिषद की ओर से आयोजित २ दिवसीय कार्यशाला में वे ऐसा बोल रहे थे । पू. रामदासजी महाराज, हिन्दू सेवा परिषद के प्रदेशाध्यक्ष श्री. अतुल जेसवानी, हिन्दू जनजागृति समिति के मध्य प्रदेश एवं राजस्थान समन्वयक श्री. आनंद जाखोटिया ने भी इस कार्यशाला को संबोधित किया । इस अवसरपर जबलपुर, सिवनी, साथ ही अन्य जनपदों के परिषदों के १०० से भी अधिक सदस्य उपस्थित थे । सर्वश्री जमुनाप्रसाद विश्‍वकर्मा, संतोष कछवाह और अक्षय झा ने सूत्रसंचालन किया, तो हिन्दू सेवा परिषद के जिलाध्यक्ष श्री. धर्मेंद्र सिंह उपस्थित थे ।

हिन्दू युवा परिषद युवकों में राष्ट्रभक्ति जागृत होने हेतु प्रयास करती है ! – अतुल जेसवानी, प्रदेशाध्यक्ष, हिन्दू सेवा परिषद

ेेयुवक आदर्श नागरिक बनें; इस उद्देश्य से हिन्दू सेवा परिषद गांव-गांव में सभाआें का आयोजन करती है । इस माध्यम से वर्तमान स्थिति के प्रति हिन्दुआें में जागृति लाती है, साथ ही युवकों में राष्ट्रभक्ति जागृत हो और आगे जाकर वे देश का नेतृत्व कर सकें; इसके लिए संतों के मार्गदर्शन में विविध कार्यशालाआें का आयोजन करती है ।

भगवान श्रीकृष्णजी हमारे मन में राष्ट्र एवं धर्म के प्रति प्रेम उत्पन्न करेंगे ! – आनंद  जाखोटिया

आज देश को स्वामी विवेकानंद, छत्रपति शिवाजी महाराज, महाराणा प्रताप, राणा सांगा जैसे वीरों की आवश्यकता है । छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने आयु के केवल १६वें वर्ष में अपने मित्रों को साथ लेकर हिन्दवी स्वराज का संकल्प लिया और उसे पूर्ण भी किया । यह केवल साधना के कारण ही संभव है । इसलिए यदि हमने भी साधना की, तो श्रीकृष्णजी हमारे मन में भी राष्ट्र एवं धर्म के प्रति प्रेम उत्पन्न करेंगे ।

क्षणिकाएं

१. मान्यवरों ने नर्मदा माता, गोमाता, भगवान श्रीकृष्णजी और ॐ की प्रतिमा को माल्यार्पण किया । उसके पश्‍चात दीपप्रज्वलन कर कार्यशाला का आरंभ किया गया ।

२. सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी के शुभहस्तों गाय के बछडे का पूजन किया गया, तब बछडे ने गोमय दे देकर शुभसंकेत दिया ।

३. पू. रामदासजी ने कार्यशाला में उपस्थित सदस्यों को आशीर्वाद देते हुए कहा कि आप सभी बहुत मन लगाकर धर्मसेवा करें ।

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