होली के पवित्र रंग को ‘दाग’ कहने वाले सर्फ एक्सेल को मुहर्रम के समय फैला खून नहीं दिखता ? क्या उसे लेकर कोइ विज्ञापन करने का साहस सर्फ एक्सेल कभी करेगा ? – सम्पादक, हिन्दुजागृति
त्योहारों पर विशेष विज्ञापन बनाने वाले सर्फ एक्सेल ने होली पर एक नया विज्ञापन जारी किया हैं । इस विज्ञापन में हिन्दुओं की पवित्र आस्थाओं को बडी चालाकी के साथ दूषित करने का प्रयास किया गया हैं।
विज्ञापन में एक हिंदू बच्ची होली के दिन सायकल लेकर गली मे निकलती हैं जहां, छतों पर बच्चोंद्वारा बाल्टियों में रंगो से भरकर गुब्बारे रखें हुए है। बच्ची पूछती हैं, ‘रँग फेंकना हैं ! फेंको’ । तब सभी बच्चे उस पर रंग के गुब्बारे फेंकने लगते हैं । बच्ची गली में सायकल घुमा घुमाकर रंगों से सरोबार हो जाती हैं।
जब बच्ची पर रंग पडना बन्द हो जाता है तो वो साइकिल रोककर छत पर खडे बच्चों से पूछती हैं, ‘हो गये रंग खत्म या और हैं ?
बच्चों के मना करते ही एक घर मे से सफेद झक कुर्ता पजामा पहने मुस्लिम बच्चा बाहर निकलता हैं जिसे हिन्दू बच्ची अपने सायकल के पीछे बैठाकर मस्जिद छोडने जाती हैं । बच्चा कहता हैं नमाज पढकर आता हूं ।
और उसी दौरान विज्ञापन में आवाज सुनाई देती हैं – अपनो की मदद करने मे दाग लगे तो ‘दाग’ अच्छे हैं ।
यहां सर्फ एक्सेल ने होली के पवित्र रंगों को “दाग” कहने की चेष्टा की है और वह भी अन्य धर्म के लिए । बच्ची द्वारा होली के रंगों में सरोबार होना सर्फ एक्सेल को “दाग” नजर आता है।
एक प्रकार से नमाज की पवित्रता और आवश्यकता को होली के त्यौहार से अधिक महत्वपूर्ण बताने का चतुराई पूर्वक कुत्सित प्रयास किया गया हैं। वैसे तो होली और नमाज का यहां कोइ भी संबंध नहीं है फिर भी हिंदू होली के दिन किसी मुसलमान पर जानबूझकर रंग फेकता है, ऐसा संदेश देने का प्रयास किया गया है ।
हिन्दुओं, ऐसे सर्फ एक्सेल का बहिष्कार किजिए । अपनी बहुसंख्यक आर्थिक ताकत से इसे झुकाएं ताकि सर्फ एक्सेल ये विज्ञापन वापिस ले औऱ भविष्य में दोबारा ऐसा दुःसाहस न करे !
धर्माभिमानी हिन्दू निम्न पतेपर अपना विरोध दर्ज कर रहे है और आप ?
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