जिनेवा : जिनेवा में हो रहे संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के ४० वें सत्र में भारत ने एक बार फिर दुनिया के सामने पाकिस्तान के नापाक चेहरे को बेनकाब किया है। भारत ने दुनिया को बताया है कि पीओके (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) पर पाकिस्तान के अवैध कब्जे के कारण वहां के लोगों को परेशानी झेलनी पड रही है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन की प्रथम सचिव मिनी कुमाम ने कहा है कि पीओके में रहनेवालों को पाकिस्तान की सेना का अत्याचार सहना पड रहा है और उन्हें मूल अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है, जिसका तत्काल समाधान निकालना जरूरी है।
कुमाम ने संयुक्त राष्ट्र में पीओके के अलावा पाकिस्तान के बलूचिस्तान, सिंध और खैबर पख्तूनख्वा में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान भारत के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण प्रॉपेगैंडा के लिए काउंसिल के दुरुपयोग कर रहा है। कुमाम ने कहा कि आज जिन मामलों पर बात करने की जरूरत है वे हैं पाकिस्तान द्वारा भारत के राज्य जम्मू-कश्मीर पर अवैध कब्जा और पाक अधिकृत कश्मीर के लोगों की पीडा। कुमाम ने कहा कि पाकिस्तान द्वारा सीमा पार आतंकवाद का लगातार समर्थन और भारतीय राज्य जम्मू-कश्मीर में हमारे नागरिकों के मानवाधिकारों की रक्षा हमारे लिए सबसे बडी चुनौती है।
कुमाम ने कहा, ‘संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद को पाकिस्तानी सेना या राजनीतिक नेतृत्व द्वारा राज्य नीति के साधन के रूप में उपयोग करने का खुलासा पहले ही हो चुका है।’ कुमाम ने कहा कि पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में आक्रामकता के कृत्यों, आतंकवादियों के सुरक्षित पनाहगाहों के लिए जाना जाता है। उन्होंने कहा कि सिंध, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में नागरिकों का शोषण करने वाली सैन्य अदालतें, ईशनिंदा कानून के माध्यम से अल्पसंख्यकों का उत्पीडन, जबरन धर्म परिवर्तन और अल्पसंख्यकों का विवाह कराया जा रहा है।
स्त्रोत : नवभारत टाइम्स