फाल्गुन शुक्ल १२, कलियुग वर्ष ५११४
हिंदुओं, (अंध) श्रद्धाविरोधी विधेयक संमत करनेका प्रयास करनेवाले लोकप्रतिनिधियोंको पाठ पढाए !
कोल्हापूर, २२ मार्च ( संवाददाता ) – इससे पहले नागपूरमें संपन्न हुए अधिवेशनमें मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाणद्वारा प्रस्तावित (अंध)श्रद्धाविरोधी विधेयकसे वारकरियोंकी आशंका एवं त्रुटियां दूर करके इस विधेयकमें सुधार किए हैं । त्रुटियां दूर होनेसे इस विधेयक पारित होनेमें कोई रुकावट नहीं हो सकती । भूतपूर्व मंत्री तथा पंढरपूर ( जनपद सोलापूर ) के श्री विठ्ठल रुक्मिणी मंदिर समितिके अध्यक्ष अन्ना डांगेद्वारा गुरुवारके दिन यह स्पष्ट किया गया कि, विधान सभामें यह विधेयक सम्मत होगा ही । शाहू मार्केट यार्ड स्थित श्रीगणेश एवं विठ्ठल रुक्मिणी मंदिरमें गुरुवारकी शाम ६ बजे आयोजित किए गए श्री ज्ञानेश्वरी पठन समारोहमें वे अपना मत प्रदर्शित कर रहे थे । ( (अंध)श्रद्धाविरोधी विधेयकसे हिंदुओंकी श्रद्धा को आघात पहुंचानेवाला कोई भी अनुचित अधिनियम प्रशासनद्वारा नहीं निकाला गया हैं । ऐसा होते हुए भी झूठी जानकारी देनेवाले डांगे जैसे लोकप्रतिनिधियोंको संगठित होकर पाठ पढाना चाहिए ! यह अधिनियम सम्मत करके हिंदुओंके धर्माचरणपर बंदी लानेका प्रयास करनवाले डांगेको क्या प्रवचन देनेका अधिकार है ? यह स्थितिमें परिवर्तन लिए हिंदू राष्ट्र स्थापित होना नितांत आवश्यक है – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
अन्नासाहब डांगेने कहा, कि…
१. १९ डिसेंबरको नागपूरमें वारकरियद्वारा इस विधेयकके विरोधमें मोर्चा निकाला गया था । उस रात ८ बजे मुख्यमंत्रिके साथ वारकरियोंके प्रतिनिधियोंकी बैठक हुई । इस विधेयकसे वारकरियोंको चुभनेवाले सूत्र हटानेके लिए मुख्यमंत्रिने सहमती दर्शाई थी । ( वास्तवमें वे सूत्र विधेयकसे न हटाकर सरकार वारकरियोंको धोखा दे रही है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
२. हमे किसीकी भी श्रद्धा तथा भावनाओंको ठेंस नहीं पहुंचानी है । ( इससे क्या हम अन्ना डांगेको प्रशासनका हस्तक समझे ? वारकरियों, प्रशासनके ऐसे हस्तकोंसे दूर रहिए ! संपादक, दैनिक सनातन प्रभात ) देवदेवर्षि तथा पाखंडी बाबाओंके खेल नि:शेष होने चाहिए । ( इसके लिए नए अधिनियमकी नहीं, तो पहलेसेहr विद्यमान अधिनियमोंकी कार्यवाही ठीकसे होनी चाहिए । लोगोंको धर्मशिक्षा देनेसे सब क्षेत्रोंमें होनेवाले पाखंड बंद हो सकते हैं । आज मद्यपान बंदीका अधिनियम है; किंतु वास्तवमें मद्यपानपर कोई प्रतिबंध नहीं है । उसी प्रकार अन्ना डांगेके कथनके अनुसार (अंध)श्रद्धाविरोधी अधिनियमसे यह संभव हो सकता है, ऐसा समझना यही अंधश्रद्धा है ! उसके निर्मूलनके लिए डांगे क्या करनेवाले है ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
हिंदू जनजागृति समितिके आधुनिक वैद्य श्री.मानसिंग शिंदे एवं श्री.शिवानंद स्वामीने अन्ना डांगेसे भेंट करके उन्हें (अंध)श्रद्धाविरोधी विधेयकके विरोधमें निवेदन दिया । उस समय डांगेने कहा, ‘आपने मुझे निवेदन क्यों दिया ? यहे निवेदन मुख्यमंत्रिको दे दीजिए । इस अधिनियमें मुख्यमंत्रिद्वारा सुधार किया गया है; इसलिए वारकरियोंकी अडचनें दूर हो गई हैं । वारकरियोंके पचास गुट रहते हैं । कौन क्या कहेगा, कुछ कह नहीं सकते । ( वारकरियों, संप्रदायके संबंधमे इस प्रकारका अभिप्राय रखनेवालोंको संप्रदायसे दूरही रखे ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात