इस्लामाबाद : पाकिस्तान उच्च न्यायालय ने कथित अपहरण एवं जबरन धर्मान्तरण के बाद मुस्लिमों से निकाह करने को मजबूर की गई दो हिन्दू लडकियों की सुरक्षा को लेकर उत्पन्न चिंता के मद्देनजर उन्हें आधिकारिक संरक्षण देने का आदेश दिया है। होली के मौके पर सिंध प्रांत के घोटकी जिले से १३ वर्षीय रवीना और १५ वर्षीय रीना का कुछ ‘रसूखदार’ लोगों ने कथित तौर पर अपहरण कर लिया था। उनके अपहरण के कुछ समय बाद ही, एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें एक काजी कथित रूप से दोनों का निकाह (विवाह) कराते हुए दिख रहे थे। इससे देश भर में गुस्से का वातावरण बन गया।
प्रधान न्यायाधीश अतहर मिनल्ला ने इस मामले की सुनवाई की। उन्होंने दोनों लडकियों का संरक्षण इस्लामाबाद के उपायुक्त और मानवाधिकार के महानिदेशक को सौंपा। उन्होंने आदेश दिया कि एक महिला पुलिस अधीक्षक को बहनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तैनात किया जाए। न्यायालय ने अधिकारियों को २ अप्रैल तक जांच की रिपोर्ट उनके समक्ष पेश करने को कहा। इसके बाद अन्य निर्देश जारी किए जाएंगे।
न्यायालय ने इस बात का भी उल्लेख किया कि प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी मामले में जांच के आदेश दिए हैं। लडकियों के परिवार ने उनके इस्लाम में कथित धर्म परिवर्तन को लेकर २० मार्च को प्राथमिकी दर्ज कराई थी। नाबालिग हिन्दू लडकियों के कथित अपहरण, जबरन धर्मांतरण और शादी को लेकर भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और पाकिस्तान के सूचना मंत्री फव्वाद चौधरी के बीच भी वाक् युद्ध छिड गया था।
स्वराज ने इस पर पाकिस्तान में भारतीय राजदूत से विवरण मांगा था जिसके बाद यह वाक युद्ध छिडा था। स्वराज ने मीडिया की एक खबर को टैग करते हुए ट्वीट किया था कि उन्होंने पाकिस्तान में भारतीय उच्चायुक्त से मामले पर रिपोर्ट भेजने को कहा है।
पुलिस ने बाद में पंजाब के रहीम यार खान जिले में कई स्थानों पर छापेमारी कर दोनों की शादी कराने वाले निकाह खान, पाकिस्तान सुन्नी तहरीक के एक नेता और लडकियों से शादी करने वाले दो पुरुषों के कुछ रिश्तेदारों को गिरफ्तार किया गया था।
हिन्दू पाकिस्तान में सबसे बडा अल्पसंख्यक समुदाय है। आधिकारिक अनुमान के अनुसार पाकिस्तान में करीब ७५ लाख हिन्दू रहते हैं। मीडिया की खबरों के अनुसार सिंध प्रांत के अकेले उमेरकोट जिले में हर महीने केवल लगभग २५ शादियां जबरन कराई जाती हैं।
स्त्रोत : झी न्युज