बरेली : कैंट स्थित मिशनरीज स्कूल बिशप कॉनराड पर गंभीर आरोप लगे हैैं। गुरुवार को रिजल्ट वितरण के बाद ग्यारवहीं क्लास के छात्र-छात्राओं ने यह कहते हुए हंगामा शुरू कर दिया कि स्कूल प्रशासन ने हम पर धर्म परिवर्तन का दबाव डाला था। ऐसा न करने पर फेल कर दिया। मामला बडा तो तमाम परिजन भी पहुंच गए। पहले विद्यालय और फिर कोतवाली पहुंचकर हंगामा किया। मामला धर्म परिवर्तन से जुड़ा था। तुरंत ही हिन्दू, मुस्लिम के साथ ईसाई समाज के प्रतिनिधि भी पहुंच गए। स्कूल प्रशासन ने आरोपों को सिरे से नकार दिया। साथ ही तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर दोबारा कॉपी चेक कराने और जांच में दोषी पाए जाने पर कार्रवाई का भरोसा देकर परिजनों को लौटा दिया।
पहले खामोशी, रिजल्ट वितरण के दौरान हंगामा
गुरुवार को बिशप कॉनराड स्कूल में परीक्षा परिणाम वितरण हुआ। सातवीं, नौंवी और ११वीं के अधिकांश छात्र फेल थे। अधिकांश छात्र वर्ग विशेष के शामिल थे। नतीजे देख छात्रों और फिर उनके परिजनों ने हंगामा शुरू कर दिया। किसी तरह स्कूल प्रशासन ने सभी को बाहर निकाला। इसी बीच कॉमर्स के शिक्षक सार्थक सहगल नाराज परिजनों व विद्यार्थियों को कोतवाली लेकर पहुंच गए। स्कूल संचालकों पर जानबूझकर फेल करने का आरोप लगाते हुए शिकायत की। परंतु पुलिस ने थाना कैंट का मामला बताकर पल्ला झाल लिया। इस बीच विश्व हिंदू परिषद के पवन अरोड़ा, ईसाई समाज के एडविन हरमन, मुस्लिम प्रतिनिधि खलील कादरी आदि भी कोतवाली बच्चों के समर्थन में पहुंच गए।
शिक्षक बोला, धर्म बदलने के लिए सात लाख रुपये का लालच
स्कूल में अपना कार्यकाल तकरीबन पूरा कर चुके शिक्षक सार्थक ने बताया कि मुझ पर भी धर्म बदलने का दबाव बनाया गया। सात लाख रुपये का लालच दिया। मुझसे पहले भी दो लोगों ने धर्म बदला। उन्हें इतने रुपये दिए गए। मेरे विरोध करने पर मुझे छेडख़ानी के फर्जी मामले में फंसाने की धमकी दी। जिसकी रिकार्डिंग व व्हाट्सअप मैसेज भी मेरे पास हैं। जिसे पुलिस ने जांच में शामिल किया है।
स्कूल प्रबंधन की सफाई, छात्राओं की शिकायत पर शिक्षक पर कार्रवाई
स्कूल प्रबंधक फादर हेराल्ड डी कून्हा ने आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। कहा, कॉमर्स के शिक्षक सार्थक सहगल को नवंबर से मार्च तक नौकरी पर रखा गया था। वह छात्राओं से अशोभनीय बातें कक्षाओं में करते थे। छात्राओं के चरित्र को लेकर टिप्पणी करते थे, जो अश्लीलता की श्रेणी में आती थी। जिसकी छात्राओं ने शिकायत की। इस पर उन्हें चेतावनी दी थी। उनकी सेवा ३१ मार्च को समाप्त हो रही थी। इसी वजह से फेल बच्चों के अभिभावकों को उन्होंने भड़काया है। किसी बच्चे को जानबूझकर फेल नहीं किया है। संशय की स्थिति में कापियां देखी जा सकती है।
स्त्रोत : जागरण