हिंजिलीकट, ओडिशा में ‘राष्ट्र एवं धर्मरक्षा’ विषय पर प्रवचन
राऊरकेला : आज समस्त विश्व में भ्रष्टाचार, हिंसाचार, अत्याचार, अनीति और असुरक्षा फैली है। इन सभी मस्याओं का मूल मनुष्य के अधर्माचरण में है ! आज का मनुष्य बिना हिचकिचाए स्वयं के लिए, अपने परिवार के लिए समाज के लिए और राष्ट्र के लिए घातक कृत्य करता है और उनके होते समय मूकदर्शक बन जाता है। आज सभी को इसके भीषण परिणाम भुगतने पड रहे हैं। भविष्य में इसकी परिणिती विनाश में होगी। इसके लिए सभी को धर्म क्या है और अधर्म क्या है, इस पर विचार कर हरएक कृती करनी चाहिए ! हिन्दू जनजागृति समिति के राज्य समन्वयक एवं ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त श्री. प्रकाश मालोंडकर ने ऐसा प्रतिपादित किया।
हिंजिलकट में डिवाईन लाईफ सोसाईटीद्वारा ‘राष्ट्र एवं धर्म‘ इस विषय पर आयोजित प्रवचन में वे बोल रहे थे।
इस प्रवचन में उन्होंने नित्य जीवन में धर्माचरण की आवश्यकता और उसके लिए धर्मशिक्षा की आवश्यकता का महत्त्व विशद किया और हिन्दुओं का संगठित होना और इस संगठन के माध्यम से राष्ट्र एवं धर्म की रक्षा की आवश्यकता के संबंध में भी विश्लेषण किया।
क्षणिकाएं
- प्रयाग के कुंभपर्व में आयोजित सनातन ग्रंथ-सात्त्विक उत्पादों की प्रदर्शनी का इस गांव के जिज्ञासुओं ने अवलोकन किया था और तब उन्होंने समिति के कार्यकर्ताओं को गांव में आने का निमंत्रण दिया था। उनमें से श्री. लक्ष्मी पांडा से संपर्क करने पर उन्होंने इस प्रवचन का आयोजन किया।
- इस प्रवचन में ६० महिला-पुरुष उपस्थित थे। उनमें महिलाओं की संख्या अधिक थी।
- प्रवचन के पश्चात सभी के लिए महाप्रसाद का आयोजन किया गया था। महाप्रसाद संपन्न होने पर उपस्थित महिला-पुरुषों ने सभागार की स्वच्छता की। इन सभी बातों में उनकी लगन और उत्साह दिखाई दे रहा था !
- इन सभी ने धर्मशिक्षावर्ग के आयोजन की मांग की।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात