नई दिल्ली – दिल्ली में क्राइम अंगेस्ट विमन के मामलों में १५.२५ फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। दिल्ली पुलिस रोज ऐसे ४० मुकदमे दर्ज कर रही है। पुलिस स्टेशनों में हर दिन कम से कम ४ केस रेप के पहुंच रहे हैं जबकि छेड़छाड़, सेक्सुअल हैरसमेंट, घरेलू हिंसा के मामलों में भी बढ़ोतरी हुई है।
ताजा आकड़ों के मुताबिक इस साल १५ नवंबर तक क्राइम अंगेस्ट विमन के १३,२३० केस दर्ज हुए जबकि इसी दौरान पिछले साल दर्ज मामलों की संख्या ११,४७९ थी। केंद्रीय गृहराज्य मंत्री हरिभाई चौधरी ने राज्यसभा में उठे सवाल के जवाब में इन आंकड़ों को जारी किया है। गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने कहा है कि रेप, मॉलेस्टेशन समेत दूसरे क्राइम में अचानक बढ़ोतरी हुई है। अवेयरनेस बढ़ने से इस तरह के केस ज्यादा दर्ज हो रहे हैं। महिलाओं के अलावा पब्लिक भी अवेयर हुई है।
सरकार की तरफ से उठाए गए खास कदम की वजह से महिलाओं में आगे बढ़कर मामले दर्ज करवाने का हौसला आया है। अगस्त २०१३ में दिल्ली पुलिस ने सही शिकायतों पर एफआईआर दर्ज करने का फैसला किया था जिसका असर भी आंकड़ों में देखा जा सकता है। पुलिस मशीनरी को सेंसटाइज किया गया है। सही शिकायतों पर एफआईआर दर्ज करने की कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए मॉनिटरिंग भी की गई है।
हरिभाई चौधरी के मुताबिक क्रिमिनल लॉ (संशोधन) एक्ट २०१३ की मंजूरी मिलने के बाद सजा में भी बढ़ोतरी हुई है। रेप, सेक्सुअल हैरसमेंट, पीछा करने, निहारना, एसिड अटैक जैसै अपराधों में पहले के मुकाबले सजा बढ़ाई गई है। नए कानून के मुताबिक अगर रेप की वारदात के दौरान पीड़ित की मौत हो जाती है तो दोषी को आजीवन कारावास और मौत की सजा तक का प्रावधान है। राजधानी में १६ दिसंबर २०१२ गैंगरेप के बाद विमन की सेफ्टी और सिक्यॉरिटी के लिए कई अहम बदलाव किए गए हैं।
हर पुलिस स्टेशन में हेल्पलाइन के अलावा विमन हेल्पलाइन की लाइनें ४ से बढ़ाकर १० की गई हैं। पेइंग गेस्ट्स, गर्ल्स हॉस्टल की सिक्यॉरिटी ऑडिट के अलावा खतरनाक रास्तों पर पीसीआर वैन तैनात की गई हैं। इन वैन में विमन पुलिस भी मौजूद रहती हैं। इनके अलावा महिलाओं के खिलाफ अपराध होने वाले इलाकों में भी तैनाती बढ़ाई गई है।
इस साल ३१ अक्टूबर तक दिल्ली पुलिस की स्पेशल यूनिट ने १३ हजार से ज्यादा लड़कियों को सेल्फ डिफेंस ट्रेनिंग दी जा चुकी है जबकि जेंडर सेंसटाइजेशन प्रोग्राम में ७२०१ पुलिस अफसर शामिल हुए हैं। रेप जैसे गंभीर मामले में दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया गया था कि आरोपी की गिरफ्तारी के बाद अगले २० दिनों में चार्जशीट फाइल की जाए। नतीजा यह हुआ कि ऐसे ८७ फीसदी मामलों में चार्जशीट १५ दिनों में फाइल हो गई।
स्त्रोत : नवभारत टाइम्स