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पाकिस्तान के अल्पसंख्यक हिन्दुओं को भुगतनी पड रही नरकयातनाएं और उनके प्रति भारत के हिन्दुओं का कर्तव्य !

हिन्दुओं, पाकिस्तान की हमारी बहनों की रक्षा के लिए क्रियाशील बनें !

स्वतंत्रता के समय पाकिस्तान में हिन्दुओं की जनसंख्या २५ प्रतिशत थी, जो अब ३ प्रतिशत से भी अल्प हुई है । वहां के हिन्दू आज शब्दशः नरकयातनाएं भुगत रहे हैं । वहां दिनदहाडे हिन्दू लडकियों का अपहरण किया जा रहा है और उसके पश्‍चात उनका धर्मांतरण कर उन्हें वेश्याव्यवसाय में ढकेला जा रहा है । हिन्दुओं की हत्याएं तो नित्य बात हो गई है । कुल मिलाकर पाकिस्तान में अल्पसंख्य हिन्दुओं का योजनाबद्ध पद्धति से वंशविच्छेद किया जा रहा है । इतना होकर भी वहां चल रहे अन्याय की हिन्दूबहुसंख्यक भारत की अबतक की सरकारों ने जानबूझकर उपेक्षा की है । इसलिए अब भारत के समस्त हिन्दुओं को अपने धर्मबंधुओं की सहायता के लिए आगे आने की स्थिति आ गई है । वहां के हिन्दुओं को न्याय, आश्रय और प्रतिष्ठा दिलाकर उनका भारत में पुनर्वास करना, भारत के प्रत्येक हिन्दू का परमकर्तव्य है । इस लेख में इसका विश्‍लेषण किया गया है ।

१. पाकिस्तान के अल्पसंख्यक हिन्दुओं के पाले में आईं नरकयातनाएं, विभाजन का ही महापाप !

आज पाकिस्तान के अल्पसंख्यक हिन्दू आज जीते जी नरकयातनाएं भुगत रहे हैं । वहां उनके साथ अत्यंत कनिष्ठ स्तर का व्यवहार किया जा रहा है । भारत के हिन्दुओं ने शांति के लिए विभाजन स्वीकार किया; किंतु उन्हें वह शांति मिली ही नहीं । कई लोग इस विभाजन का विरोध कर रहे थे; किंतु तात्कालीन कांग्रेस के नेताओं ने विभाजन कर हिन्दुओं को हिन्दुओं से ही अलग किया । भारत के और पाकिस्तान के हिन्दू उसके परिणाम आज भी भुगत रहे हैं ।

२. हिन्दुओं की हत्याएं करना और उनकी महिलाओं का उपभोग लेना शरीयत विधि का पालन !

वर्ष १९४७ से पाकिस्तान में जब शरीयत विधि लागू हुई, तब से हिन्दुओं के धर्मांतरण की मात्रा बढती गई । शरीयत विधि में ‘काफिरों की महिलाओं को उपभोग हेतु गुलाम के रूप में उपयोग किया जाए’, ‘जब मन में आए, तब उनकी संपत्ति लूटी जाए’ और ‘किसी ने इसका विरोध किया, तो उनकी हत्या की जाए’, ऐसा बताया गया है । वहां के धर्मांध लोग अल्पसंख्यक हिन्दुओं के साथ इस शरीयत विधि के अनुसार व्यवहार करते हैं ! वहां का पुलिस प्रशासन और न्यायालय भी इन धर्मांधों का ही साथ देते हैं । ऐसी स्थिति में क्या वहां के हिन्दुओं के साथ कभी न्याय होगा ?

३. अल्पायु हिन्दू लडकियों का अपहरण और उनका धर्मांतरण कर उनका निकाह बूढे मुसलमान पुरुष के साथ करा देना, नित्य घटनाएं !

पाकिस्तान में हिन्दू लडकियों को उनके घर से उठाना नित्य घटनाएं बन चुकी हैं । उनके साथ ३-४ मासोंतक बलात्कार किया जाता है और उसके पश्‍चात उनका धर्मांतरण किया जाता है । तत्पश्‍चात किसी बूढे मुसलमान पुरुष से किया जाता है अथवा वेश्याव्यवसाय के लिए उनका विक्रय किया जाता है । उसके पश्‍चात ये लडकियां कभी नहीं दिखाई देतीं । ऐसी घटनाएं वहां नित्य हुई हैं । इसके फलस्वरूप घर की लडकियां लापता होनेपर उस घर में उत्पन्न आतंक, उनकी भयभीत आंखें तथा उनकी शारीरिक और मानसिक स्थिति की हम कल्पना भी नहीं कर सकते ।

४. सिंध प्रांत में प्रतिदिन ३ अल्पायु हिन्दू लडकियों का अपहरण !

विगत २० वर्षों से सिंध प्रांत के हिन्दू अत्यंत भयभीत जीवन व्यतीत कर रहे हैं; क्योंकि वहां प्रतिदिन न्यूनतम ३ अल्पायु हिन्दू लडकियों का अपहरण किया जाता है । विशेष बात यह कि पाकिस्तान में ऐसे कृत्यों को बडी मात्रा में प्रोत्साहन दिया जाता है । यह हिन्दुओं का जीते जी किया जा रहा वंशविच्छेद है !

पाकिस्तान में ऐसे अपहरण की कुछ घटनाएं उदाहरण के रूप में दी गई हैं । इससे वास्तव में वहां कैसी स्थिति होगी, इसका हम अनुमान लगा सकते हैं ।

अ. पाकिस्तान के देहरकी गांव के हरजी नामक हिन्दू के २ लडकियों का वहां के धर्मांध मुसलमानों ने अपहरण किया । उसके पश्‍चात घोटगी के एक दर्गाह में उनका धर्मांतरण किया गया । दर्गाह के धर्मगुरु के अनुसार ये लडकियां इस्लाम की शिक्षा के कारण प्रभावित हुई थीं; इसलिए उन्होंने स्वयंस्फूर्ति से धर्मांतरण किया । प्रस्तुत लडकियां अल्पायु होने के विधि के अनुसार उनका विवाह नहीं हो सकता । इसलिए लडकियों के परिजनों ने स्थानीय पुलिस थाने में निकाह करने के उद्देश्य से उनकी लडकियों का बलपूर्वक अपहरण कर धर्मांतरण किए जाने का परिवाद प्रविष्ट किया । ‘सिंध चाईल्डस् मैरेज रिस्ट्रेंट एक्ट’ विधि के अनुसार १८ वर्ष से अल्प कोई भी लडका अथवा लडकी ‘बालक’ की श्रेणी में आते हैं और उनका विवाह नहीं हो सकता । तथापि पुलिसकर्मियों ने भी दर्गाह के धर्मगुरु के हां में हां मिलाकर इन लडकियों द्वारा स्वयंस्फूर्ति से इस्लाम का स्वीकार किया है, ऐसा बतानेवाली ध्वनिचित्रचक्रिका लडकियों को परिजनों को दिखाई । उन लडकियों ने इस ध्वनिचित्रचक्रिका में दबाव के कारण वैसा क्यों नहीं कहा होगा ?

आ. पाकिस्तान के बादीन जनपद के कानिओ मेघवार नाम हिन्दू की १५ वर्ष की लडकी को धर्मांध मुसलमानों ने भरी मंडी से उठाया । प्रस्तुत लडकी मनोरोगी होने से उसकी मानसिक स्थिति अच्छी नहीं थी; इसलिए चिकित्सा हेतु वह लडकी अपनी मां के साथ कराची में रहनेवाली उसकी बहन के पास रह रही थी । उनके घर की आर्थिक स्थिति अत्यंत दयनीय है और इस लडकी की मां लोगों के घर में काम कर अपनी जीविका चलाती है । इस अपहृत लडकी का आजतक कोई ठिकाना नहीं है ।

५. शरीयत विधि के अनुसार मुसलमानों के विरुद्ध काफिरों की सहायता करना, वहां कुर्फ (अपराध) समझा जाता है; इसलिए वहां के पुलिस प्रशासन और न्यायालय की ओर से वहां के हिन्दुओं की किसी प्रकार की सहायता नहीं की जाती !

पाकिस्तान के हिन्दुओं के साथ इतने विभीषिक अत्याचार होकर भी वहां उनका कोई हितैषी नहीं होता । पीडित हिन्दू जब पुलिस प्रशासन से सहायता के लिए गुहार लगाते हैं, तब वहां का पुलिस प्रशासन उनकी तनिक भी सहायता नहीं करता; क्योंकि शरीयत विधि के अनुसार मुसलमानों के विरुद्ध काफिरों की (जो मुसलमान नहीं है, ऐसे लोगों की) सहायता करना वहां कुर्फ (अपराध) समझा जाता है ! अतः पुलिस प्रशासन और न्यायालय पीडित हिन्दुओं की सहायता नहीं करते । पाकिस्तान के हिन्दू इस अन्याय को बडी मात्रा में भुगत रहे हैं । अब उनमें इस प्रकार के अमानवीय अत्याचार सहन करने की शक्ति नहीं है और इसलिए वे अब इन नरकयातनाओं से छूटने हेतु भारत की ओर बडी आशा के साथ देख रहे हैं ।

६. पाकिस्तान के पीडित हिन्दुओं का भारत में पुनर्वास हो; इसके लिए भारत के हिन्दुओं को आवाज उठानी आवश्यक !

पाकिस्तान में चल रहे हिन्दुओं के इस वंशविच्छेद के कारण वे भयभीत हो गए हैं और अब वे न्याय के लिए भारत की ओर आशा की दृष्टि लगाकर बैठे हैं । लगभग सभी हिन्दू अब भारत में आने की इच्छा रख रहे हैं; किंतु भारत सरकार इन पीडित हिन्दुओं की जानबूझकर उपेक्षा कर रहे हैं । यह और कितने दिन चलेगा ? इसलिए अब भारत के हिन्दुओं को अपने धर्मबंधुओं की सहायता के लिए दौड लगानी चाहिए । पाकिस्तान के हिन्दुओं को न्याय, आश्रय और सम्मान दिलाकर उनका भारत में पुनर्वास करने हेतु प्रयास करना, भारत के प्रत्येक हिन्दू का परमकर्तव्य है । इसके लिए भारत के हिन्दुओं को इसके विरुद्ध आवाज उठानी चाहिए और सरकार को इसका समाधान ढूंढने के लिए बाध्य करना चाहिए । आवश्यकता पडनेपर इस मांग को लेकर वैधानिक पद्धति से आंदोलन चलाने चाहिएं । हम सभी धर्म से एक-दूसरे के साथ जुडे हुए हैं । पाकिस्तान के हिन्दुओं के लिए भारत ही वास्तव में घर है । हमें सीमापर जाकर हमारे हिन्दू भाईयों को भारत में वापस लाना चाहिए ।

७. पाकिस्तान के हिन्दुओं को बचाने का यही समय !

आजकल संपूर्ण विश्‍व में इस्लामी आतंकवाद के विरुद्ध क्षोभ है । इस अनुकूल स्थिति का लाभ उठाकर हमें हमारे पाकिस्तान के पीडित हिन्दू भाईयों को वापस लाने हेतु कदम उठाने चाहिएं । हम जागृत नहीं हुए, तो पाकिस्तान में बचे ३ प्रतिशत हिन्दू एक तो मारे जाएंगे अथवा उनका धर्मांतरण किया जाएगा और वे हमसे स्थायी रूप से बिछड जाएंगे । तथापि हम सभी हिन्दुओं की इच्छाशक्ति जागृत हुई, तो ये ३ प्रतिशत हिन्दू बच जाएंगे और उनके भारत लौटने से यहां के १०० प्रतिशत हिन्दुआें की शक्ति बढेगी । ऐसा अभी किया, तभी यह संभव होगा, अन्यथा आगे कभी नहीं होगा !’

(संदर्भ : विस्थापित पाकिस्तानी हिन्दुओं के लिए कार्यरत ‘निमित्तेकम’ संगठन से प्राप्त जानकारी)

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