मंदिरों के लिए अलग और चर्च के लिए अलग न्याय क्यों ? – भक्तों का रोषपूर्ण प्रश्न
‘सरकार की ओर से मंदिरों का होनेवाला सरकारीकरण और सरकार अधिगृहीत मंदिरों की कुव्यवस्था पर तीव्र अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि मंदिरों का नियंत्रण भक्तों के हाथों में हो, यह काम सरकार का नहीं है ।’ यही बात हिन्दू जनजागृति समिति पिछले १३ वर्ष से कह रही है । वर्ष २००६ से इस विषय में समिति आंदोलन भी कर रही है । मंदिरों का सरकारीकरण और वहां के भ्रष्ट सरकारी कामकाज के कारण हिन्दू समाज और श्रद्धालुआें में बहुत रोष है । इसलिए, सब राजनीततिक दल श्रीराममंदिर निर्माण की ही भांति मंदिर सरकारीकरण के विषय में अपनी नीति लोकसभा चुनाव से पहले स्पष्ट करें, यह मांग हिन्दू जनजागृति समिति ने की है ।
प्राचीन काल में राज्यकर्ता मंदिरों को दान करते थे । परंतु, इस देश में धर्मनिरपेक्ष शासनव्यवस्था लागू होने के पश्चात यह परंपरा टूट गई । अब इस शासन में हिन्दुआें के केवल धनी मंदिरों को लूटने का एकसूत्री कार्यक्रम आरंभ हुआ है । मंदिरों में पुजारियों को बदलना, धार्मिक कृत्य, प्रथा-परंपरा बंद करने का कार्य भी सरकार करने लगी है । इस अन्याय के विरुद्ध लडने का निश्चय हिन्दू जनजागृति समिति ने वर्ष २००६ में किया । उसके पश्चात, सरकार अधिगृहीत मंदिरों में श्री सिद्धिविनायक मंदिर (प्रभादेवी), श्री विठ्ठल-रुख्मिणी मंदिर(पंढरपुर), श्री साई संस्थान (शिर्डी), श्री तुलजापुर मंदिर आदि सब प्रमुख मंदिर तथा ३०६७ मंदिरों की व्यवस्था देखनेवाली ‘पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान व्यवस्थापन समिति’ में सरकारी भ्रष्टाचार तथा अनुचित कामकाज को हिन्दू जनजागृति समिति ने प्रमाण के साथ समय-समय पर उजागर किया है । उन भ्रष्टाचारों के विरुद्ध वैध मार्ग से अनेक आंदोलन और वैधानिक लडाई अभी भी जारी है । इस लडाई में समिति के साथ वारकरी संप्रदाय,हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन, मंदिरों के न्यासी, पुजारी मंडल और भक्त भी बडी संख्या में जुडे हैं
यदि मसजिदों की व्यवस्था मुसलमानों के हाथ में है और चर्च की व्यवस्था ईसाई समाज के हाथ में है, तो मठों और मंदिरों की व्यवस्था हिन्दू समाज के हाथ में क्यों नहीं, उनपर सरकारी नियंत्रण क्यों होना चाहिए ? हमारे इस प्रश्न का उत्तर सरकार ने अभी तक नहीं दिया है । हिन्दू मंदिरों की व्यवस्था नि:स्वार्थ भक्तों और धर्माचार्य के पास ही होनी चाहिए, यह मांग समिति बार-बार कर रही है । कर्नाटक राज्य के विधानसभा चुनाव के समय भाजपा सरकार ने मंदिरों को भक्तों को लौटाने का आश्वासन दिया था । अब देश में लोकसभा का चुनाव होनेवाला है । ऐसे समय सब राजनीतिक दल मंदिरों के सरकारीकरण के विषय में अपनी-अपनी नीति हिन्दू समाज के सामने स्पष्ट करें, यह आवाहन हिन्दू जनजागृति समिति करती है ।