बरेली : उत्तर प्रदेश सरकार ने गुरुवार को उच्चतम न्यायालय के सामने यह बात कबूल की है कि माफिया और पूर्व समाजवादी पार्टी सांसद अतीक अहमद ने पिछले साल दिसंबर में देवरिया जेल के अंदर रहते हुए कारोबारी मोहित जैसवाल का अपहरण कराया और पिटवाया था। जिस जेल में डॉन बंद था उसके अंदर एक कारोबारी का अपहरण करके लाने और पिटवाने के दुस्साहसी मामले ने काफी तूल पकडा था।
उच्चतम न्यायालय ने इसकी संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश सरकार से इसकी रिपोर्ट मांगी थी। देवरिया जेल में हुई घटना को सही बताते हुए राज्य सरकार ने कहा कि घटना के बाद अहमद को बरेली जिला जेल में शिफ्ट कर दिया गया था। सरकार ने बताया है कि जांच में पाया गया था कि जेल सुपरिंटेंडेंट और दूसरे अधिकारियों ने डॉन के गुंडों को कारोबारी को जेल के अंदर लाने दिया था। अहमद के खिलाफ १०९ मामले दर्ज हैं जिनमें से १७ हत्या, १२ यूपी गैंगस्टर्स ऐक्ट, ८ आर्म्स ऐक्ट और ४ यूपी गुंडा ऐक्ट के तहत दर्ज हैं।
सीसीटीवी कैमरों से छेडछाड
जांच रिपोर्ट में कहा गया कि अहमद और उसका गैंग मोहित को पैसे के लिए धमका रहा था और उसके इनकार करने पर उसका अपहरण कर जेल में लाया गया और जेल में पिटवाया गया। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘पूछताछ में जेल स्टाफ और कैदियों ने घटना से इनकार किया लेकिन एक जॉइंट टीम को पता चला कि जेल के अंदर लगे सीसीटीवी कैमरों के साथ छेडछाड की गई थी और अतीक अहमद से मिलने वाले लोगों को नियमों में ढील दी गई थी। जांच रिपोर्ट में कहा गया दो गार्ड्स और एक डेप्युटी जेलर के खिलाफ अहमद के गुंडों को जेल में जाने की अनुमति देने के लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई थी।
१९७९ से दर्ज है हत्या का मामला
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच को अमाइकस क्यूरी (न्यायमित्र) विजय हंसारिया और ऐडवोकेट स्नेहा कालिता ने बताया कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय की रिपोर्ट के अनुसार अतीक अहमद के खिलाफ कई मामले लंबित हैं जिनमें ट्रायल कोर्ट्स ने दोष तय नहीं किए हैं। हंसारिया ने बताया कि अहमद के खिलाफ साल १९७९ से हत्या का केस दर्ज था लेकिन उसे ११ फरवरी, २०१७ को ही जेल भेजा गया। अहमद १९८९ से २००४ तक विधायक और २००४ से २००९ तक समाजवादी पार्टी का सांसद था।
स्त्रोत : नवभारत टाइम्स