इस्लामाबाद : पाकिस्तान के एक उच्च न्यायालय ने जबरन धर्मपरिवर्तन करवाकर मुसलमान बनाई गई दो सगी हिन्दू बहनों को उनके पतियों के साथ रहने का आदेश दिया है। उच्च न्यायालय ने कहा है कि यह साबित नहीं हुआ है कि दोनों हिन्दू किशोरियों को इस्लाम जबरदस्ती कुबूल करवाया गया है।
गौरतलब है दो नाबालिग सगी बहनों १३ साल की रवीना और १५ साल की रीना और उनके पतियों ने विगत २५ मार्च को इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में इन हिन्दू किशोरियों के पिता और भाइयों के खिलाफ याचिका दायर की थी। इन दोनों बहनों के परिजनों का आरोप है कि इन नाबालिग लड़कियों को अपहृत करके बलपूर्वक उनसे इस्लाम कुबूल कराया गया है और उसके बाद मुसलमानों से शादी करा दी गई।
पाकिस्तान के अंग्रेजी अखबार डॉन के अनुसार इस याचिका में सिंध प्रांत की रहनेवाली घोटकी जाति के हिन्दू परिवार की इन लडकियों ने दावा किया है कि उन्होंने अपनी मर्जी से इस्लाम कबूल किया है और मुसलमानों से शादी की है। अखबार का दावा है कि दोनों ने इस्लामी शिक्षा से प्रभावित होकर यह कदम उठाया है।
वहीं इस मामले में पाकिस्तानी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अख्तर मिन्नल्लाह ने पांच सदस्यीय आयोग का गठन करके इन हिन्दू बहनों के बलपूर्वक या स्वेच्छा से इस्लाम कबूल करने के संबंध में जांच बैठा दी थी। इस आयोग में मानवाधिकार आयोग की मंत्री शिरीन मजारी, प्रख्यात मुस्लिम विद्वान मुफ्ती तकी उस्मानी, पाकिस्तानी मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष डॉ. मेहंदी हसन, महिला आयोग की अध्यक्ष ख्वार मुमताज और पत्रकार आइए रहमान को शामिल किया गया था। जांच में यह निष्कर्ष निकला कि दोनों हिन्दू नाबालिगों का धर्म परिवर्तन जबरदस्ती नहीं कराया गया है
स्त्रोत : नर्इ दुनिया