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भारत के राजस्थान राज्य के झुन्झुनू जिले में स्थित लोहार्गल का सूर्य मंदिर काफी प्रसिद्ध है। लोहार्गल का मतलब है- वह स्थल जहाँ लोहा गल जाए। एेसी मान्यता है कि यह स्थल सूर्य देव को भगवान विष्णु की तपस्या करने के बाद मिला था, इस मंदिर में सूर्य देव अपनी पत्नी छाया के साथ विराजमान है और इस मंदिर में आने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है और सारे पापों से मुक्ति मिलती है।
कई वर्षों से सूर्य मंदिर लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। चारों तरफ पहाड़ो के बीच स्थित सूर्य कुंड पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है । भगवान सूर्य देव के दर्शनों के लिए यहां हजारों की संख्या में भक्त आते है।
इस स्थल से कई पौराणिक कथाएं भी जुड़ी है महाभारत युद्ध समाप्त होने पर सभी पाण्डव अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण के पास गए जब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अलग – अलग तीर्थ स्थलों पर दर्शन करने के लिए भेज दिया और साथ यह भी कह दिया कि जिस स्थल पर आपके हथियार पानी में गल जाएं और वहीं स्थान आप सबको पापों से मुक्ति भी दिलवाएगा और लोहार्गल ही वही स्थल था जहां उन्हें सब पापों से मुक्ति मिली थी।
इस मंदिर में एक कुंड भी बना हुआ है एेसी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इस कुंड में स्नान करता है उसको सभी पापों से मुक्ति मिलती है और त्वचा संबंधी रोगों से छुटकारा मिलता है। इस मंदिर में भगवान सूर्य पद्मासन की अंग-विन्यास में बैठे है।
एक पौराणिक कथा के अनुसार काशी के राजा सूर्यभान को वृद्धावस्था में एक संतान की प्राप्ति हुई थी ओर वो भी जन्म से अपंग थी राजा ने विद्वानों से उसके पिछले जन्म के बारे में पूछताछ की तब विद्वानों ने लड़की के पिछले जन्म के बारे में बताया वह लड़की पिछले जन्म में एक बंदरिया थी जिसे शिकारी ने मारकर एक पेड़ पर लटका दिया था और उसका मांस एक लोहार्गल धाम के जलकुंड में गिर गया था पर उसका एक हाथ पेड़ पर ही लटकता रह गया तब राजा ने उस स्थान पर जाकर उसका हाथ भी जलकुंड में डाल दिया जिससे लड़की का अपंग ठीक हो गया । विद्वानों के कहने पर ही राजा उस स्थल पर गया था ओर उसने इस चमत्कार को देखते हुए राजा ने उस स्थल पर सूर्य मंदिर का निर्माण करवाया था ।
पर्यटक इस सूर्य मंदिर में दर्शनों के लिए जरूर आते है और कुंड में स्नान करके अपने सभी पापों से मुक्ति पा लेते है।