कोलंबो : श्रीलंका में रविवार को चर्च और फाइव स्टार होटलों को निशाना बनाकर किए गए सिलसिलेवार ८ बम धमाकों ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। पुलिस ने इस सिलसिले में अब तक १३ लोगों को गिरफ्तार किया है। हालांकि अभी तक किसी संगठन ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। लेकिन इस हमले के लिए श्रीलंका की पुलिस के शक की सुई वहां के चरमपंथी इस्लामिक संगठन नैशनल तौहीद जमात (एनटीजे) पर टिकी है।
कट्टरपंथी इस्लामी संगठन
एनटीजी (नैशनल तौहीद जमात) श्रीलंका का एक चरमपंथी इस्लामिक संगठन है। इसे तौहीद-ए-जमात के नाम से भी जाना जाता है। इस संगठन पर श्रीलंका में वहाबी विचारधारा को बढाने का आरोप है। इस संगठन का प्रभाव श्रीलंका के पूर्वी प्रांत में ज्यादा देखा गया है। यह संगठन देश के कई हिस्सों में महिलाओं के लिए बुर्का और मस्जिदों के निर्माण के साथ शरीया कानून को आगे बढ़ाने में लगा है।
ISIS से जुडा था नाम
इस संगठन का नाम पहली बार २०१३ में सामने आया था। श्रीलंका के तत्कालीन रक्षा मंत्री ने इस संगठन को लेकर चिंता जताई थी। उस दौरान खुफिया एजेंसियों ने इस संगठन के आईएसआईएस से तार जुडे होने की बात कही थी। आईएसआईएस से प्रभावित लोगों के इस संगठन से जुडे होने की बात भी सामने आई थी। इन हमलों में इस संगठन पर सबसे ज्यादा शक होने का भी यही कारण है।
तोडी थी मूर्तियां
श्रीलंका के इस कट्टरपंथी संगठन ने साल २०१४ में भगवान बुद्ध की मूर्तियों को तोडा था। इसे लेकर श्रीलंका में कई जगह इस संगठन का विरोध भी हुआ था।
२०१६ में पहली गिरफ्तारी
इस संगठन के सचिव अब्दुल रैजिक अपने भड़काऊ बयानों के लिए जाना जाता हैं। २०१४ में ही अब्दुल ने बौद्ध धर्म को लेकर बेहद आपत्तिजनक बयान दिए थे। इसी तरह के कुछ और बयानों के चलते विवादों में आने के बाद अब्दुल को २०१६ में पहली बार गिरफ्तार किया गया था। २०१६ में ही इस संगठन पर कई इलाकों में हिंसा भड़काने का भी आरोप लग चुका है।
एक धड़ा तमिलनाडु में भी सक्रिय
तौहीद जमात का एक धड़ा तमिलनाडु में भी सक्रिय है। यहां इसे तमिलनाडु तौहीद जमात (टीएनटीजे) के नाम से जाना जाता है। तमिलनाडु के इस संगठन के खिलाफ अक्टूबर २०१७ में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। इस संगठन पर जबरन ईसाई समुदाय के कुछ लोगों को इस्लाम में परिवर्तित करने का आरोप लगा था।
स्त्रोत : नवभारत टाइम्स