आतंकवाद का खुलकर समर्थन और आतंकवादी विचार फैलानेवाले डॉ. जाकिर नाईक के ‘इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन’ पर 17 नवंबर 2016 को भारत में केंद्र सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाया गया । उसके पश्चात भी डॉ. नाईक के भाषणों से प्रेरित होकर आतंकवादियों ने बांग्लादेश के ढाका और हाल ही श्रीलंका में विस्फोट किया है ।
- कुछ समय पूर्व ही न्यायालय में प्रविष्ट आरोप पत्र में कहा गया है कि प्रवर्तन निदेशालय को डॉ. नाईक की 193 करोड रुपयों की अवैध संपत्ति मिली है ।
- केरल में ‘इस्लामिक स्टेट’ के आतंकवादियों के पास जाकिर नाईक का साहित्य मिलने का दावा राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण ने किया है ।
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जाकिर नाईक के संगठन पर प्रतिबंध; तब उनके फेसबुक खाते पर क्यों नहीं ? – HJS
डॉ. जाकिर नाईक के फेसबुक खाते पर 1 करोड 70 लाख तथा उनके ‘इस्लामिक रिसर्च फाऊंडेशन’ संस्था के फेसबुक पर 60 लाख अनुयायी कार्यरत हैं। @HMOIndia @Ra_THORe pic.twitter.com/pU3ehuOXr1— HinduJagrutiOrg (@HinduJagrutiOrg) May 4, 2019
इसलिए भारत सरकार का कहना है कि जाकिर नाईक राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए धोखादायक है । तब उसके स्वयं के तथा उसके संगठन ‘इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन’ के फेसबुक खातों पर सरकार ने आज तक प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया ? फेसबुक जैसे प्रभावी सोशल मीडिया से यदि जाकिर नाईक को प्रचार करने दिया जा रहा हो, तो उस पर लगाया प्रतिबंध दिखावटी ही कहना पडेगा ।
हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने मांग की है कि जाकिर नाईक और उसके संगठन के फेसबुक सहित अन्य सोशल मीडिया के खातों पर भी तत्काल प्रतिबंध लगाया जाए ।
केंद्रशासन ने प्रतिबंध लगाने के पश्चात वर्तमान कानून के अनुसार संगठन अथवा उसके कार्यकर्ता उस संगठन के लिए कार्य नहीं कर सकते । तब भी आज भी डॉ. जाकिर नाईक के फेसबुक खाते पर 1 करोड 70 लाख तथा उनके ‘इस्लामिक रिसर्च फाऊंडेशन’ संस्था के फेसबुक पर 60 लाख अनुयायी कार्यरत हैं । हिन्दू जनजागृति समिति ने इन दोनों फेसबुक खातों पर प्रतिबंध लगाने के लिए 5 जून 2017 को केंद्रीय गृहमंत्रालय, गृहसचिव और राष्ट्रीय सुरक्षा विभाग में शिकायत प्रविष्ट की थी । नई देहली में केंद्रीय गृहराज्यमंत्री श्री. हंसराज अहिरजी से प्रत्यक्ष मिलकर निवेदन भी दिया था । उसे दो वर्ष हो रहे हैं, तब भी सरकार अद्याप उसपर कार्यवाही क्यों नहीं करती ?, यह हमारा प्रश्न है । श्री. शिंदे ने यह प्रश्न भी किया है कि क्या शासन बांग्लादेश और श्रीलंका के समान ही भारत में भी आतंकवादी आक्रमण होने की प्रतीक्षा कर रहा है ?