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कुछ तथाकथित संघस्वयंसेवकोंद्वारा ‘टीव्ही चॅनेल’के माध्यमसे सनातन संस्थाकी मानहानि करनेका षडयंन्त्र

पिछले २ दिनोंसे सनातन प्रभातमें न्यूज चॅनेलके माध्यमसे सनातन संस्थाकी मानहानि करनेका षडयंन्त्र रचनेके सन्दर्भमें समाचार प्रसिद्ध हो रहे हैं । इस दृष्टिकोणसे कुछ महत्त्वपूर्ण जानकारी मिलनेपर आज उसे सनातन प्रभातके पाठकोंके समक्ष विस्तृत रूपसे प्रस्तुत कर रहे हैं ।

१. संघपरिवारकी २ लडकियोंके पूर्णकालीन साधना करनेकी इच्छासे सनातनके आश्रममें आनेपर, ‘संघपरिवारमें रहनेवाले व्यक्ति सनातनमें नहीं रह सकते,’ ‘उन्हें वापिस भेजें,’ ऐसी धमकी देनेवालोंको स्वयंको संघस्वयंसेवक कहलवाना अनुचित है ! 

वर्ष २०१२ में उत्तरप्रदेशके एक जनपदके संघपरिवारमें सक्रिय रहनेवाले एक परिवारकी २ लडकियां साधना सीखने हेतु सनातनके आश्रममें आई थीं । साधनाकी चाह रहनेसे एवं सज्ञान आयुकी होनेसे इन युवतियोंने आश्रममें रहकर साधना करनेकी इच्छा व्यक्त की । उनकी साधना करनेकी जिज्ञासा देखकर सनातनने उन्हें आश्रममें रहकर साधना करनेकी अनुमति दी । लडकियोंको साधना करनेके लिए विरोध रहनेसे एवं उनका विवाह कर देनेकी इच्छासे लडकियोंके परिवारजन सनातनके आश्रममें आए । इस समय उन लडकियोंने भय व्यक्त करते हुए कहा कि हमें साधना करनेके लिए घरसे विरोध है । हमें वापिस घर जाना नहीं है । घर जानेके पश्चात ये लोग हमें मार डालेंगे ।

उत्तरप्रदेशमें होनेवाले ‘ऑनर किलिंग’की (Honour Killing) घटनाओंको ध्यानमें लेते हुए आश्रम व्यवस्थापनको उनका यह भय उचित प्रतीत हुआ । अतः सनातनने लडकियोंको पुलिसमें परिवाद करनेको कहा एवं उनके परिवार जनोंको वापिस भेज दिया । तत्पश्चात गोवा एवं उत्तरप्रदेशके कुछ संघस्वयंसेवकोंने आश्रममें भ्रमणभाष कर धमकीभरे शब्दोंमें कहा कि संघपरिवारके व्यक्तिका सनातनमें रहना असम्भव है । इस प्रकारसे धमकी देनेवाले संघस्वयंसेवक हो ही नहीं सकते, इसकी हमें निश्चिति है । ऐसे व्यक्तियोंपर यथार्थ रूपसे अर्थात हिन्दुत्वके संस्कार हुए ही नहीं, ऐसा हम मानते हैं ।

२. घर वापिस जानेपर परिवारजन मार डालेंगे, ऐसा भय प्रतीत होना स्वयंको संघपरिवारके परिजन कहलवानेवालोंके लिए लज्जाजनक है !

लडकियोंद्वारा पुलिसमें परिवाद करनेके कारण दूसरे दिन उनके परिवारजन गोवाकी भाजपाके सांसदको लेकर आश्रममें वापिस आए । संक्षेपमें लडकियोंकी इच्छा न रहनेके कारण वे सांसद परिवारजनोंको लेकर वापिस चले गए ।

दो दिन पश्चात वे सांसद लडकियोंके परिवारवालोंको लेकर पुनः आश्रम आए एवं लडकियोंको समझाया कि मैं निश्चित रूपसे कहता हूं कि आपके परिवारवाले आपको घर जानेपर साधना करनेकी अनुमति देंगे, वे आपको जानसे नहीं मारेंगे । तत्पश्चात लडकियां अपनी इच्छासे अपने परिवारजनोंके साथ चली गर्इं । 

३. निरंतर २ वर्षतक लडकियोंको असीम रूपसे प्रताडित करनेवाला परिवार राष्ट्रको त्यागकी सीख देनेवाले संघपरिवारका कैसे हो सकता है ?

तदुपरान्त इन २ वर्षोंमें उन लडकियोंने सनातन संस्थासे कोई सम्पर्क नहीं किया । उन परिवारजनोंको सनातनके विषयमें द्वेषभावना रहनेसे सनातनने स्वयं भी उनसे सम्पर्क नहीं रखा । इस कालावधिमें उन लडकियोंको असीम रूपसे प्रताडित किया गया, ऐसा पता चला । एक लडकीका विवाह एक मद्यपीसे किया गया । वहां रहना असह्य होनेके कारण वह घर लौट आई । ऐसी परिस्थितिमें उसके परिवारजनोंने विवाह-विच्छेदकी न्यायालयीन प्रक्रिया पूर्ण किए बिना उस लडकीका दूसरा विवाह करनेका षडयन्त्र रचा था । लडकीका दूसरा विवाह निश्चित करते समय पूर्वके विवाहके विषयमें कुछ भी जानकारी न देनेका षडयन्त्र रचा गया था । बडी लडकीको ऐसा भय प्रतीत हो रहा था कि पुनर्विवाह होनेपर कुछ समय पश्चात बात ससुरालवालोंको यह जानकारी मिलनेपर वे बहुत कष्ट देंगे । 

बडी बहनको ससुरालवालोंद्वारा दिए कष्ट एवं निरन्तर परिवारजनोंके अपशब्दोंको सुननेपर विवश होनेके कारण दूसरी(छोटी) बहन पीडित हो गई थी । इसीलिए दोनोंने एक दिन घरसे पलायन किया एवं वे मुंबईमें महिला मुक्तिके लिए कार्य करनेवाले एक संगठनके आश्रयमें आर्इं ।

इस संगठनके पदाधिकारीने मुंबई न्यायालयके एक अधिवक्ताके माध्यमसे उनके परिवारजनोंको कथित प्रकरणके सन्दर्भमें सूचना (नोटिस) भेजी तथा लडकियोंको लेकर पुनः उत्तरप्रदेश न जाने हेतु महाराष्ट्र पुलिसकी सुरक्षा मिलनेके उद्देश्यसे उच्च न्यायालयमें याचिका प्रविष्ट की ।

४. लडकियोंने घरसे पलायन क्यों किया, इसका वस्तुनिष्ठ अभ्यास न करते हुए सनातन संस्थाको अपराधी सिद्ध करना स्वयंको संघस्वयंसेवक कहलानेवाले परिवारजनोंका सनातनद्वेष !

लडकियोंके पलायन करनेके पश्चात उनके परिवारजनोंने, ‘सनातनने हमारे लडकियोंको अगुवा किया,’ ऐसा झूठा बहाना बनाना आरम्भ किया । उत्तरप्रदेशके कथित जनपदके पुलिस थानेमें अनेक साधकोंसे पूछताछ की गई; परन्तु प्रत्यक्षमें सनातनको भी इस सम्बन्धमें कुछ जानकारी न रहने एवं इन लडकियोंके सम्पर्कमें न रहनेसे वे कहां गई हैं, यह कहना कठिन था ।

मुंबई उच्च न्यायालयद्वारा लडकियोंके परिवारजनोंको समन्स भेजनेके पश्चात उनके परिवारजन उच्च न्यायालयमें उपस्थित हुए । तदुपरान्त वे स्थानीय संघपरिवारके पदाधिकारयोंको लेकर लडकियोंको आश्रय देनेवाले संगठनके पदाधिकारियोंसे भेंट करने हेतु गए । तत्पश्चात चर्चाकी २ – ३ फेरियां हुर्इं; निरन्तर २ वर्षोंतक लडकियोंके साथ असीम छल करनेवाले परिवारजनोंका पूरी चर्चामें लडकियोंद्वारा लौटनेपर अनिच्छा दर्शानेके कारण संघके पदाधिकारी निरुपाय हो गए । खाली हाथ जाना पडेगा, यह ध्यानमें आनेपर लडकियोंके परिवारने, ‘सनातनने हमारी लडकियोंको बहकाया, ऐसा बेमानी एवं निराधार आरोप लगाना आरम्भ किया ।

५. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघमें स्वयंसेवक रहनेवाले लडकीके भाईद्वारा सनातनके विरोधमें किसी व्यक्तिगत दूरचित्रप्रणालपर मानहानि करनेका षडयन्त्र रचना दुर्भाग्यपूर्ण है ! 

कथित लडकीका भाई रा.स्व. संघमें स्वयंसेवक है । उसने सनातनके विरुद्ध किसी नीजि दूरचित्रप्रणालके माध्यमसे मानहानि करनेका निर्णय लिया है । मुंबईके संघपरिवारके सदस्य उसकी सहायता कर रहे हैं, ऐसी जानकारी मिली है । एक हिन्दी दूरचित्रप्रणालके पत्रकारने उनके पूरे विवरण सुनकर उन परिवारजनोंसे कहा कि वर्तमानमें सन्त एवं आध्यात्मिक संस्थाओंके विरुद्ध समाचारोंके लिए अच्छा टी.आर.पी. मिलता है । आपके समाचार एवं सनातनके विरोधियोंके साक्षात्कार लेकर हम एक स्टोरी (समाचार) बनाएंगे ।

६. सनातनके हितैषियोंद्वारा जानकारी मिलनेपर सनातनने कथित प्रकरणका शोधन किया !

दो दिनपूर्व सनातनके हितैषियोंके पास इन लोगोंने सम्पर्क कर सनातनके विरुद्ध उनका मत ध्वनिचित्रित करनेके विषयमें पूछा । इन हितैषियोंने अस्वीकार कर उन्हें वापिस भेज दिया । कथित घटना उन्होंने सनातन संस्थाको बताई । तत्पश्चात स्वयं इस प्रकरणका पता लगानेपर उपर्युक्त भयंकर सच्चाई ज्ञात हुई । यह सब जानकारी लडकियोंके अधिवक्तासे मिली । अब आगामी कुछ दिनोंमें ‘न्यूज चॅनेलों’पर इस प्रकारकी जानकारी झलकती दिखाई दे, तो इस विषयमें आश्चर्य नहीं प्रतीत होना चाहिए ! सनातन संस्थाद्वारा इस प्रकारसे संस्थाकी मानहानि करनेवालोंके विरुद्ध न्यायालयमें अभियोग प्रविष्ट करनेकी सिद्धता कर ली गई है ।

७. संघपरिवारके पदाधिकारिआेंको आवाहन !

इस प्रकार संघस्वयंसेवकोंद्वारा सनातन संस्थाकी मानहानि करना हिन्दुत्वकी मानहानि करने समान ही है । संघपरिवारके पदाधिकारियोंद्वारा मार्गसे भ्रमित स्वयंसेवकोंको इस सन्दर्भमें उचित मार्गदर्शन करनेकी हम अपेक्षा करते हैं ।

सनातनको मानहानिका भय नहीं है; क्योंकि रामकृष्णादि अवतार एवं ज्ञानेश्वर-एकनाथ महाराजादि सन्तोंका जिसप्रकार विरोध हुआ, उसप्रकार सनातनका विरोध होना अपरिहार्य है । सनातन सत्यपर आधारित होनेसे वह नष्ट नहीं होगा; परन्तु असत्यकी र्इंटोंकी रचना करनेवाले कालके प्रवाहमें नष्ट हो जाएंगे, इसकी हमें निश्चिति है !

– श्री. वीरेंद्र मराठे, विश्‍वस्त, सनातन संस्था

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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