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क्या मुस्लिम परस्ती में पश्चिम बंगाल को दूसरा बांग्लादेश बना रही हैं ममता ?

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तानाशाही बढती ही जा रही है। हाल के वर्षों में ममता बनर्जी ने अपनी तानाशाही में मुस्लिम तुष्टिकरण के नाम पर हिन्दुओं के खिलाफ कई ऐसे कदम उठाए हैं, जिससे लगता है कि वे पश्चिम बंगाल को बांग्लादेश बनाने पर तुली हुई हैं। ममता बनर्जी की वोट बैंक की राजनीति के कारण बंगाल के कई इलाके मुस्लिम बहुल हो चुके हैं और हिन्दुओं का इन इलाकों में जीना भी दूभर हो गया है। राज्य में अवैध रूप से रहने वाले बांग्लादेशी घुसपैठियों की संख्या एक करोड से भी ज्यादा हो चुकी है। अवैध घुसपैठ ने राज्य की जनसंख्या का समीकरण बदल दिया है। उन्हें सियासत के चक्कर में देश में वोटर कार्ड, राशन कार्ड जैसी सुविधाएं मुहैया करवा दी जाती हैं और इसी आधार पर वे देश की जनसंख्या से जुड जाते हैं। बांग्लादेश के रास्ते पहले इन्हें पश्चिम बंगाल में प्रवेश दिलाया जाता है। फिर उनका राशन कार्ड, आधार कार्ड, वोटर कार्ड बनवा जम्मू से केरल तक पहुंचा दिया जाता है।

बांग्लादेशी मुस्लिमों को १९७१ से एक योजना के तहत पूर्वोत्तर भारत, बंगाल, बिहार और दूसरे प्रांतों में बसा कर इस्लामिस्तान बनाने की तैयारी चल रही है। फरवरी, २०१८ में सेनाध्यक्ष बिपिन रावत ने भी सीमापार से घुसपैठ पर चिंता जताते हुए कहा, ‘‘हमारे पश्चिमी पडोसी के चलते योजनाबद्ध तरीके से प्रवासन चल रहा है। वे हमेशा कोशिश और यह सुनिश्चित करेंगे कि परोक्ष युद्ध के जरिये इस क्षेत्र पर नियंत्रण कर लिया जाए।”

कुछ महीने पहले ही प्रसिध्द अमेरिकी पत्रकार जेनेट लेवी ने ऐसे खुलासे किए हैं जो हैरान करने वाले हैं। उन्होंने अपने लेख The Muslim Takeover of West Bengal में आशंका व्यक्त की है कि पश्चिम बंगाल जल्द ही एक इस्लामिक देश बन जाएगा !

बंगाल में उठने लगी मुगलिस्तान की मांग

जेनेट लेवी ने दावा किया है कि भारत का एक और विभाजन होगा और वह भी तलवार के दम पर। उन्होंने आशंका व्यक्त की है कि कश्मीर के बाद पश्चिम बंगाल में अब गृहयुद्ध होगा और अलग देश की मांग की जाएगी। बडे पैमाने पर हिन्दुओं का कत्लेआम होगा और मुगलिस्तान की मांग की जाएगी। उन्होंने यह भी दावा किया है कि यह सब ममता बनर्जी की सहमति से होगा। जेनेट लेवी ने कहा है कि २०१३ में पहली बार बंगाल के कुछ कट्टरपंथी मौलानाओं ने अलग ‘मुगलिस्तान’ की मांग शुरू की। इसी साल बंगाल में हुए दंगों में सैकडों हिन्दुओं के घर और दुकानें लूट लिए गए और कई मंदिरों को भी तोड दिया गया। इन दंगों में सरकार द्वारा पुलिस को आदेश दिये गए कि वो दंगाइयों के खिलाफ कुछ ना करें।

बंगाल में बिगड गया जनसंख्या का समीकरण

जेनेट लेवी ने इसके लिए कई तथ्य पेश किए हैं और इसके लिए मुख्य जिम्मेदार बंगाल में बिगडते जनसांख्यिकीय संतुलन को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने हिन्दुओं की घटती और मुस्लिमों की तेजी से बढती जनसंख्या का उल्लेख करते हुए देश के एक और विभाजन की तस्वीर प्रस्तुत की है।

उन्होंने तथ्य के साथ दावा किया है कि स्वतंत्रता के समय पूर्वी बंगाल में हिन्दुओं की जनसंख्या ३० प्रतिशत थी, परंतु यह घटकर अब महज ८ प्रतिशत हो गई है। जबकि पश्चिम बंगाल में मुसलमानों की जनसंख्या २७ प्रतिशत से अधिक हो चुकी है। इतना ही नहीं कई जिलों में तो यह जनसंख्या ६३ प्रतिशत तक है।

उन्होंने दावा किया है कि मुस्लिम संगठित होकर रहते हैं और २७ प्रतिशत जनसंख्या होते ही इस्लामिक शरिया कानून की मांग करते हुए अलग देश बनाने तक की मांग करने लगते हैं।

अरब देशों के पैसे से चल रहा जिहादी खेल

जेनेट लेवी ने दावा किया है कि इस्लामिक देश बनाने की सूत्रधार ममता बनर्जी बनने जा रही हैं। उन्होंने अपने दावे में तथ्य भी दिए हैं और कहा है कि यह सब अरब देशों की फंडिंग से होने जा रहा है। उन्होंने दावा किया है कि ममता सरकार ने सऊदी अरब से फंड पाने वाले १० हजार से ज्यादा मदरसों को मान्यता देकर वहां की डिग्री को सरकारी नौकरी के काबिल बना दिया है। सऊदी से पैसा आता है और उन मदरसों में वहाबी कट्टरता की शिक्षा दी जाती है।

मुस्लिमों के लिए अलग अस्पताल-स्कूल

जेनेट लेवी ने दावा किया है कि पूरे बंगाल में मुस्लिम मेडिकल, टेक्निकल और नर्सिंग स्कूल खोले जा रहे हैं। इनमें मुस्लिम छात्रों को सस्ती शिक्षा मिलेगी। इसके अलावा कई ऐसे अस्पताल बन रहे हैं, जिनमें केवल मुसलमानों का इलाज होगा। मुसलमान नौजवानों को मुफ्त साइकिल से लेकर लैपटॉप तक बांटने की स्कीमें चल रही हैं। इस बात का पूरा ख्याल रखा जा रहा है कि लैपटॉप केवल मुस्लिम लडकों को ही मिले, मुस्लिम लडकियों को नहीं।

हिन्दुओं का सरकार द्वारा जारी है बहिष्कार

जेनेट लेवी ने दावा किया है कि हिन्दुओं को भगाने के लिए जिन जिलों में मुसलमानों की संख्या ज्यादा है, वहां के मुसलमान हिन्दू कारोबारियों का बायकॉट करते हैं। मालदा, मुर्शिदाबाद और उत्तरी दिनाजपुर जिलों में मुसलमान हिन्दुओं की दुकानों से सामान तक नहीं खरीदते। यही वजह है कि वहां से बडी संख्या में हिन्दुओं का पलायन होना शुरू हो चुका है। कश्मीरी पंडितों की ही तरह यहां भी हिन्दुओं को अपने घरों और कारोबार छोडकर दूसरी जगहों पर जाना पड रहा है। ये वे जिले हैं जहां हिन्दू अल्पसंख्यक हो चुके हैं। जेनेट लेवी ने दावा किया है कि बंगाल में बेहद गरीबी में जी रहे लाखों हिन्दू परिवारों को कई सरकारी योजनाओं का फायदा नहीं दिया जाता।

हिन्दुओं का धर्म परिवर्तन करवा रहे कट्टरपंथी मुसलमान

जेनेट लेवी ने दुनिया भर की कई मिसालें देते हुए दावा किया है कि, मुस्लिम जनसंख्या बढ़ने के साथ ही आतंकवाद, धार्मिक कट्टरता और अपराध के मामले बढ़ने लगते हैं। उन्होंने कहा है कि जनसंख्या बढने के साथ ऐसी जगहों पर पहले अलग शरिया कानून की मांग की जाती है और फिर आखिर में ये अलग देश की मांग तक पहुंच जाती है। जेनेट ने इस समस्या के लिए इस्लाम को ही जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने लिखा है कि कुरान में यह संदेश खुलकर दिया गया है कि दुनिया भर में इस्लामिक राज स्थापित हो। जेनेट ने दावा किया है कि हर जगह इस्लाम जबरन धर्म-परिवर्तन या गैर-मुसलमानों की हत्याएं करवाकर फैला है। उन्होंने लिखा है कि २००७ में कोलकाता में बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन के खिलाफ दंगे भडक उठे थे। ये पहली कोशिश थी जिसमे बंगाल में मुस्लिम संगठनों ने इस्लामी ईशनिंदा (ब्लेसफैमी) कानून की मांग शुरू कर दी थी।

भारत की धर्म निरपेक्षता पर उठाये सवाल

१९९३ में तस्लीमा नसरीन ने बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों और उनको जबरन मुसलमान बनाने के मुद्दे पर किताब ‘लज्जा’ लिखी थी। किताब लिखने के बाद उन्हें कट्टरपंथियों के डर से बांग्लादेश छोडना पडा था। वो कोलकाता में ये सोच कर बस गयी थी कि वहां वो सुरक्षित रहेंगी क्योंकि भारत तो एक धर्मनिरपेक्ष देश है और वहां विचारों को रखने की स्वतंत्रता भी है।  मगर हैरानी की बात है कि धर्म निरपेक्ष देश भारत में भी मुस्लिमों ने तस्लीमा नसरीन को नफरत की नजर से देखा। भारत में उनका गला काटने तक के फतवे जारी किए गए। देश के अलग-अलग शहरों में कई बार उन पर हमले भी हुए।

आतंक समर्थकों को संसद भेज रही ममता

जेनेट लेवी ने दावा किया है कि ममता ने अब बाकायदा आतंकवाद समर्थकों को संसद में भेजना तक शुरू कर दिया है। जून २०१४ में ममता बनर्जी ने अहमद हसन इमरान नाम के एक कुख्यात जिहादी को अपनी पार्टी के टिकट पर राज्यसभा सांसद बनाकर भेजा। हसन इमरान प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिमी का सह-संस्थापक रहा है। हसन इमरान पर आरोप है कि उसने शारदा चिटफंड घोटाले का पैसा बांग्लादेश के जिहादी संगठन जमात-ए-इस्लामी तक पहुंचाया, ताकि वो बांग्लादेश में दंगे भडका सके।

हसन इमरान के खिलाफ एनआईए और सीबीआई की जांच भी चल रही है। दरअसल लोकल इंटेलिजेंस यूनिट (एलआईयू) की रिपोर्ट के अनुसार कई दंगों और आतंकवादियों को शरण देने में हसन का हाथ रहा है। उसके पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से रिश्ते होने के आरोप लगते रहे हैं।

जेनेट लेवी के अनुसार बंगाल का भारत से विभाजन करने की मांग अब जल्द ही उठने लगेगी। इस लेख के जरिये जेनेट ने उन पश्चिमी देशों को चेतावनी दी है, जो मुस्लिम शरणार्थियों को अपने यहां बसा रहे हैं। उन्होंने दावा किया है कि जल्द ही उन्हें भी इसी सब का सामना करना पडेगा।

खतरा केवल बंगाल पर नहीं है, देश के कई प्रदेशों में बांग्लादेशी घुसपैठियों को एक साजिश के तहत फैलाया जा रहा है। इनकी जनसंख्या अब तीन करोड के आसपास है। आप समझ सकते हैं कि किसी भी देश में तीन करोड की अतिरिक्त जनसंख्या उस देश के संसाधनों पर कितना बोझ बढ़ा सकती है। बहरहाल हम बिहार के चार जिलों की बात करते हैं जहां के चार जिलों  में इन घुसपैठियों के कारण जनसंख्या का समीकरण बिल्कुल ही बदल गया है। किशनगंज में मुस्लिम सबसे अधिक हैं। इस जिले की कुल जनसंख्या १६.९० लाख है, जिनमें मुस्लिम ११.४९ लाख और हिन्दू ५.३१ लाख हैं। कटिहार की कुल जनसंख्या ३०.७१ लाख है, जिसमें मुसलमानों की जनसंख्या १३.६५ लाख है। पूर्णिया की जनसंख्या ३२.८४ लाख है, जिसमें मुसलमानों की हिस्सेदारी १२.५५ लाख है। अररिया की कुल जनसंख्या २८.११ लाख है, जिसमें मुसलमानों की हिस्सेदारी १२.०७ लाख है।

बिहार के ५० विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां मुस्लिम जनसंख्या ही तय कर रही है कि कौन उनका एमएलए होगा। जाहिर है यह संकेत देश की धर्मनिरपेक्षता के लिहाज से तो सही नहीं है। ऊपर से देश के नेताओं द्वारा धर्म की राजनीति को तूल देना और अवैध घुसपैठियों के साथ खडे होना यह साबित कर रहा है कि देशहित से खिलवाड किया जा रहा है जो एक बडी साजिश का हिस्सा है।

मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए ममता बनर्जी कई मौकों पर दिखा चुकी हैं कि वह कुछ भी कर सकती हैं

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मुस्लिम तुष्टिकरण के नाम पर  हिन्दुओं की आस्थाओं पर आघात करने से भी नहीं हिचकती हैं। मुस्लिम वोट के लिए ममता बनर्जी हिन्दू देवी-देवताओं को बांटने में भी पीछे नहीं रहती। हिन्दुओं को बांटने के लिए ममता बनर्जी ने हाल ही में कहा कि हम दुर्गा की पूजा करते हैं, राम की पूजा क्यों करें ? झरगाम की एक सभा में ममता ने कहा कि, ‘भाजपा राम मंदिर बनाने की बात करती है, वे राम की नहीं रावण की पूजा करती है। परंतु हमारे पास हमारी अपनी देवी दुर्गा है। हम मां काली और गणपति की पूजा करते हैं। हम राम की पूजा नहीं करते।’

मोहर्रम में जुलूस निकले तो परंपरा, रामनवमी पर निकले संप्रदायवाद

सनातन संस्कृति में शस्त्रों का विशेष महत्त्व है। अलग-अलग पर्व त्योहारों पर धार्मिक यात्राओं में तलवार, गदा लेकर चलने की परंपरा रही है, परंतु पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने धार्मिक यात्राओं और शस्त्र को भी साम्प्रदायिक और सेक्यूलर करार दे दिया है। गौरतलब है कि जब यही शस्त्र प्रदर्शन मोहर्रम के जुलूस में निकलते हैं तो सेक्यूलर होते हैं, परंतु रामनवमी में निकलते ही साम्प्रदायिक हो जाते हैं।

राम के नाम से ममता की नफरत कई बार हो चुकी है जाहिर

ममता बनर्जी कई बार हिन्दू धर्म और भगवान राम के प्रति अपनी असहिष्णुता जाहिर करती रही हैं। हालांकि कई बार न्यायालय ने उनकी इस कुत्सित कोशिश को सफल नहीं होने दिया है। वर्ष २०१७ में जब लेक टाउन रामनवमी पूजा समिति’ ने २२ मार्च को रामनवमी पूजा की अनुमति के लिए आवेदन दिया तो राज्य सरकार के दबाव में नगरपालिका ने पूजा की अनुमति नहीं दी थी। इसके बाद जब समिति ने कानून का दरवाजा खटखटाया तो कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पूजा शुरू करने की अनुमति देने का आदेश दिया।

बंगाल सरकार ने पाठ्यक्रम में रामधनु को कर दिया रंगधनु

भगवान राम के प्रति ममता बनर्जी की घृणा का अंदाजा इस बात से भी जाहिर हो गई, जब तीसरी क्लास में पढ़ाई जाने वाली किताब ‘अमादेर पोरिबेस’ (हमारा परिवेश) ‘रामधनु’ (इंद्रधनुष) का नाम बदल कर ‘रंगधनु’ कर दिया गया। साथ ही ब्लू का मतलब आसमानी रंग बताया गया है। दरअसल साहित्यकार राजशेखर बसु ने सबसे पहले ‘रामधनु’ का प्रयोग किया था, परंतु मुस्लिमों को खुश करने के लिए किताब में इसका नाम ‘रामधनु’ से बदलकर ‘रंगधनु’ कर दिया गया।

हिन्दुओं के हर पर्व के साथ भेदभाव करती हैं ममता बनर्जी

ऐसा नहीं है कि ये पहली बार हुआ है कि ममता बनर्जी ने हिन्दुओं के साथ भेदभाव किया है। कई ऐसे मौके आए हैं जब उन्होंने अपना मुस्लिम प्रेम जाहिर किया है और हिन्दुओं के साथ भेदभाव किया है। सितंबर, २०१७ में कलकत्ता उच्च न्यायालय की इस टिप्पणी से ममता बनर्जी का हिन्दुओं से नफरत जाहिर होता है। न्यायालय ने तब कहा था,  ‘‘आप दो समुदायों के बीच दरार उत्पन्न क्यों कर रहे हैं ? दुर्गा पूजन और मुहर्रम को लेकर राज्य में कभी ऐसी स्थिति नहीं बनी है। उन्‍हें साथ रहने दीजिए।”

दशहरे पर शस्त्र यात्रा निकालने की ममता ने नहीं दी थी अनुमति

हिन्दू धर्म में दशहरे पर शस्त्र पूजा की परंपरा रही है। परंतु मुस्लिम प्रेम में ममता बनर्जी हिन्दुओं की धार्मिक आजादी छीनने की हर कोशिस करती रही हैं। सितंबर, २०१७ में ममता सरकार ने आदेश दिया कि दशहरा के दिन पश्चिम बंगाल में किसी को भी हथियार के साथ जुलूस निकालने की अनुमती नहीं दी जाएगी। पुलिस प्रशासन को इस पर सख्त निगरानी रखने का निर्देश दिया गया। हालांकि न्यायालय के दखल के बाद ममता बनर्जी की इस कोशिश पर भी पानी फिर गया।

हनुमान जयंती पर निर्दोषों को किया गिरफ्तार, लाठी चार्ज

११ अप्रैल, २०१७ को पश्चिम बंगाल में बीरभूम जिले के सिवडी में हनुमान जयंती के जुलूस पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया। मुस्लिम तुष्टिकरण के कारण ममता सरकार से हिन्दू जागरण मंच को हनुमान जयंती पर जुलूस निकालने की अनुमति नहीं दी। हिन्दू जागरण मंच के कार्यकर्ताओं का कहना था कि हम इस आयोजन की अनुमति को लेकर बार-बार पुलिस के पास गए, परंतु पुलिस ने मना कर दिया। धार्मिक आस्था के कारण निकाले गए जुलूस पर पुलिस ने बर्बता से लाठीचार्ज किया। इसमें कई लोग घायल हो गए। जुलूस में शामिल होने पर पुलिस ने १२ हिन्दुओं को गिरफ्तार कर लिया। उन पर आर्म्स एक्ट समेत कई गैर जमानती धाराएं लगा दीं।

कई गांवों में दुर्गा पूजा पर ममता बनर्जी ने लगा रखी है रोक

१० अक्टूबर, २०१६ को कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश से ये बात साबित होती है ममता बनर्जी ने हिन्दुओं को अपने ही देश में बेगाने करने के लिए ठान रखी है।  बीरभूम जिले का कांगलापहाडी गांव ममता बनर्जी के दमन का भुक्तभोगी है। गांव में ३०० घर हिन्दुओं के हैं और २५ परिवार मुसलमानों के हैं, परंतु इस गांव में चार साल से दुर्गा पूजा पर पाबंदी है। मुसलमान परिवारों ने जिला प्रशासन से लिखित में शिकायत की कि गांव में दुर्गा पूजा होने से उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचती है, क्योंकि दुर्गा पूजा में बुतपरस्ती होती है। शिकायत मिलते ही जिला प्रशासन ने दुर्गा पूजा पर बैन लगा दिया।

ममता बनर्जी ने सरस्वती पूजा पर भी लगाया प्रतिबंध

एक आेर बंगाल के पुस्तकालयों में नबी दिवस और ईद मनाना अनिवार्य किया गया तो एक सरकारी स्कूल में कई दशकों से चली आ रही सरस्वती पूजा ही बैन कर दी गई। ये मामला हावडा के एक सरकारी स्कूल का है, जहां पिछले ६५ साल से सरस्वती पूजा मनायी जा रही थी, परंतु मुसलमानों को खुश करने के लिए ममता सरकार ने इसी साल फरवरी में रोक लगा दी। जब स्कूल के छात्रों ने सरस्वती पूजा मनाने को लेकर प्रदर्शन किया, तो मासूम बच्चों पर डंडे बरसाए गए। इसमें कई बच्चे घायल हो गए।

ममता राज में घटती जा रही हिन्दुओं की संख्या

पश्चिम बंगाल में १९५१ की जनसंख्या के हिसाब से २०११ में हिन्दुओं की जनसंख्या में भारी कमी आयी है। २०११ की जनगणना ने खतरनाक जनसंख्यिकीय तथ्यों को उजागर किया है। जब अखिल स्तर पर भारत की हिन्दू जनसंख्या ०.७ प्रतिशत कम हुई है तो वहीं केवल बंगाल में ही हिन्दुओं की जनसंख्या में १.९४ प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है, जो कि बहुत ज्यादा है। राष्ट्रीय स्तर पर मुसलमानों की जनसंख्या में ०.८ प्रतिशत की बढोतरी दर्ज की गई है, जबकि केवल बंगाल में मुसलमानों की जनसंख्या १.७७ प्रतिशत की दर से बढी है, जो राष्ट्रीय स्तर से भी कहीं दुगनी दर से बढी है।

ममता राज के ८००० गांवों में एक भी हिन्दू नहीं

दरअसल ममता राज में हिन्दुओं पर अत्याचार और उनके धार्मिक क्रियाकलापों पर रोक के पीछे तुष्टिकरण की नीति है। परंतु इस नीति के कारण राज्य में अलार्मिंग परिस्थिति उत्पन्न हो गई है। प. बंगाल के ३८,००० गांवों में ८००० गांव अब इस स्थिति में हैं कि वहां एक भी हिन्दू नहीं रहता, या यूं कहना चाहिए कि उन्हें वहां से भगा दिया गया है। बंगाल के तीन जिले जहां पर मुस्लिमों की जनसंख्या बहुमत में हैं, वे जिले हैं मुर्शिदाबाद जहां ४७ लाख मुस्लिम और २३ लाख हिन्दू, मालदा २० लाख मुस्लिम और १९ लाख हिन्दू, और उत्तरी दिनाजपुर १५ लाख मुस्लिम और १४ लाख हिन्दू। दरअसल बंगलादेश से आए घुसपैठिए प. बंगाल के सीमावर्ती जिलों के मुसलमानों से हाथ मिलाकर गांवों से हिन्दुओं को भगा रहे हैं और हिन्दू डर के मारे अपना घर-बार छोडकर शहरों में आकर बस रहे हैं।

स्त्रोत : परफॉर्म इंडिया

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