जिस तरह मुस्लिम लोगों को मदरसा, उर्दु विद्यालयों में, एवं र्इसार्इ लोगों को चर्च, काॅन्वेट विद्यालयों मे धर्मशिक्षा दी जाती है वैसे धर्मशिक्षा हिन्दुआें को ना विद्यालयों में दी जा रही है आैर न ही मंदिरों में जिसका परिणाम हिन्दुअों में धर्म के प्रति जागरुकता कम है उन्हे धर्म का पालन करने में पिछडापन लगता है परंतु दुसरे धर्म का पालन करना उन्हे आधुनिकता लगती है। इसका ताजा उदाहरण है देहली की जेलों में रमजान के दौरान हिन्दुआें द्वारा राेजा रखा जा रहा है।
देहली की जेलों में १०० से अधिक हिन्दू कैदी मुस्लिम कैदियों के साथ रमजान के दौरान सुबह से शाम तक रोजा रख रहे हैं। एक बयान में तिहाड जेल प्रशासन ने कहा कि देहली जेल के केंद्रीय कारागार में बंद १६,६६५ कैदियों में से २,६५८ कैदी रोजा रख रहे हैं। २,६५८ कैदियों में से ११० हिन्दू हैं। बयान के अनुसार ३१ हिन्दू महिला कैदी और १२ हिन्दू युवा कैदी रमजान के महीने में रोजा रख रहे हैं। जेल अधिकारियों के अनुसार ‘सहरी’ और अन्य नमाज को देखते हुए निर्धारित भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए ‘लंगर’ के समय में बदलाव किया गया है।
अधिकारियों ने कहा, ‘‘कैदियों की कैंटीन में रूह आफजा, खजूर और ताजे फलों का पर्याप्त भंडार है, जिसे कैदी खरीद सकते हैं। सभी केंद्रीय जेलों में ‘रोजा इफ्तार’ के भी इंतजाम किए गए हैं।’’ उन्होंने बताया कि धार्मिक और परमार्थ संगठनों को जेल के अंदर कैदियों के साथ नमाज और ‘रोजा इफ्तार’ के आयोजन की अनुमति है। इसमें आम सुरक्षा एहतियात बरते जायेंगे।
स्त्रोत : जनसत्ता