हिन्दू धर्म में चारधाम की अपनी अलग मान्यता है। उत्तराखंड के चारधामों में शामिल ऐतिहासिक मंदिर केदारनाथ के कपाट गुरुवार (९ मई) को फिर से खोल दिए गए। भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर करीब १२०० साल पुराना है। यह आदि शंकराचार्य ने बनाया था, और यह मंदिर भारत के १२ ज्योतिर्लिंगों में से एक है। केदारनाथ मंदिर चारधाम यात्रा का एक अहम हिस्सा है। राज्य के चारधामों की यात्रा में गंगोत्री, यमुनोत्री और बद्रीनाथ भी शामिल हैं। ये सभी धाम उत्तराखंड के गढवाल डिविजन में स्थित है। हर साल हजारों यात्री केदरानाथ मंदिर की यात्रा करते हैं।
धार्मिक रीतिरिवाजों से खोला गया मंदिर
गुरुवार (९ मई) को वैदिक मंत्रो और धार्मिक रीति रिवाजों के साथ केदारनाथ मंदिर के कपाट खोले गए। सुबह ५.३५ बजे मंदिर के द्वार खोलकर भगवान शिव की मूर्ति स्थापित की गई। समुद्री तल से लगभग ३५०० मीटर की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ मंदिर साल के अधिकांश समय बर्फ से ढका रहता है।
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ऊखीमठ गांव लाया जाता है देवता को
सर्दियों के समय देवता को मंदिर के पास ऊखीमठ गांव में लाया जाता है और मंदिर बंद कर दिया जाता है। गर्मी में जब मौसम में सुधार होता है तो देवता को वापस रीति-रिवाजों के साथ मंदिर में ले जाया जाता है। वर्तमान में अधिकांश बर्फ पहले ही पिघल चुकी है। परंतु मंदिर के चारों ओर की सभी चोटियां बर्फ से ढंकी हुई हैं।
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मंदिर की महत्वता
मंदिर के महत्वता के बारे में बताते हुए श्री केदारनाथ मंदिर कमेटी की वेबसाइट पर लिखा गया है, ‘चमोली जिले में भगवान शिव को समर्पित २०० से ज्यादा मंदिर हैं। इनमें से केदारनाथ मंदिर सबसे महत्वपूर्ण है।’ विद्वानों के अनुसार पांडवों ने कौरवों पर कुरुक्षेत्र युद्ध में जीत प्राप्त करने के बाद अपने ही परिजनों को मारने के पश्चाताप में भगवान शिव से आशीर्वाद मांगा।’ वेबसाइट पर कहा गया है कि मंदिर बहुत बड़ा, भारी और पत्थरों को बराबर काटकर बनाया गया है। इन्हें देखकर आश्चर्य होता है कि उन दिनों इतने भारी पत्थरों को कैसे उठाया गया होगा ?बता दें केदारनाथ मंदिर में पूजा के लिए एक गर्भ गृह और एक मंडप है जो श्रद्धालुओं और यात्रियों के लिए एक दम सही जगह है। यहां भगवान शिव की पूजा सदाशिव रूप में होती है। वर्तमान मंदिर आठवीं सदी में बनाया गया था।
स्त्रोत : जनसत्ता