- एक हिन्दू ने यदि ईसाईयों का आस्था का केंद्र गिराया होता, तो निधर्मी प्रसारमाध्यम उसे अंतरराष्ट्रीय समाचार बनाकर भारत में अल्पसंख्यकों के साथ अत्याचार किए जाने का चित्र रंगाते, इसे ध्यान में लें !
- मंदिर का निर्माणकार्य गिरानेवाले ईसाई पोर्तुगीज काल में मंदिरों को गिराए जाने के पश्चात आनंद व्यक्त करनेवाले जेवियर के वंशज ही हैं !
काणकोण : काराशिरामळ, आगोंद में एक ईसाई द्वारा श्री हनुमान मंदिर का अधुरे स्थिति के निर्माणकार्य को गिराए जाने से यहां के हिन्दुओं में क्षोभ का वातावरण बना । इस प्रकरण में काणकोण कोमुनिदाद के अध्यक्ष द्वारा मध्यस्थता किए जाने के पश्चात संबंधित ईसाई व्यक्ति द्वारा गिराए गए निर्माणकार्य को पुनः निर्माण करने का आश्वासन दिए जानेपर यहां का वातावरण शांत हुआ ।
इसका विस्तृत समाचार यह कि वर्ष १९७४ में कुछ युवकों ने कोमुनिदाद की भूमि में श्री हनुमान मंदिर के निर्माण के लिए ३ मीटर ऊंचाईवाली दीवारें बनाईं; किंतु उस समय आर्थिक सहायता के अभाव से यह काम अधुरा ही रह गया । उसके पश्चात इस निर्माणकार्य की उपेक्षा हुई । इसका लाभ उठाकर आगोंद (इगर्जवाडा) के आईवो फर्नांडिस नामक ईसाई ने काणकोण कोमुनिदाद की उक्त मंदिर के निकट की डेढ सहस्र की भूमि को हडपकर वहां अवैधरूप से घर का निर्माण किया । यहां स्थित अधुरे श्री हनुमान मंदिर की ओर किसी का ध्यान नहीं है, यह देखकर इस ईसाई ने ३ मीटर ऊंचाईवाली मंदिरों की दीवारों को एक रात में ही गिराकर उसका सपाटीकरण किया । यह घटना स्थानीय लोगों के ध्यान में आनेपर इसकी तीव्र प्रतिक्रियाएं उठीं । स्थानीय लोगों ने काणकोण उपजिलाधिकारी से इस घटना का गंभीरता से संज्ञान लेकर संबधित ईसाई के विरुद्ध कार्यवाही की मांग की । इस प्रकरण में काणकोण कोमुदाद के अध्यक्ष श्री. शरद नाईक-गावकर ने दोनों पक्षों में मध्यस्थता कर इस प्रकरण में समझौता करने के प्रति हिन्दुओं को आश्वस्त किया । इसके पश्चात आईवो फर्नांडिस द्वारा मंदिर की गिराई गई दीवारों का पुनः निर्माण करने का आश्वासन दिए जाने के पश्चात यहां का वातावरण शांत हुआ ।
संदर्भ : दैनिक सनातन प्रभात