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हिन्दू समाज को इसका भान कराना होगा कि छत्रपति शिवाजी महाराज तथा की भांति शूर है ! – प्रमोद मुतालिक

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा आयोजित हिन्दू राष्ट्र संगठक प्रशिक्षण कार्यशाला

र्मुलुंड (मुंबई) की कार्यशाला में हिन्दू राष्ट्र स्थापना के कार्य में एकजुट होकर कार्य करने का धर्मप्रेमियों का निश्‍चय !

कार्यशाला में सहभागी धर्मप्रेमियों के साथ मध्य में श्री. प्रमोद मुतालिक

मुंबई : हिन्दू समाज में जागृति लाने का दायित्त्व हम सभीपर है और उसके लिए हिन्दुओं का संगठन आवश्यक है । छत्रपति शिवाजी महाराज एवं स्वतंत्रतावीर सावरकरजी ने राष्ट्र-धर्म के लिए संघर्ष किया । हिन्दू भी उनके जैसे शूर है, इसका हिन्दुओं को भान कराना होगा । हिन्दुआें में जागृति लाने हेतु यथासंभव प्रयास करने होंगे । हिन्दू समाज में क्षात्रतेज बढना आवश्यक है । श्रीराम सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री. प्रमोद मुतालिक ने इस प्रकार से ओजस्वी प्रतिपादन किया । मुलुंड (पूर्व) के मुलुंड सेवासंघ में

धर्मप्रेमियों का मार्गदर्शन करते हुए श्री. प्रमोद मुतालिक एवं श्रीराम सेना के कर्नाटक कार्याध्यक्ष श्री. गंगाधर कुलकर्णी

शंखनाद तथा दीपप्रज्वलन से कार्यशाला का आरंभ किया गया । हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. प्रथमेश कुडव ने कार्यशाला का उद्देश्य स्पष्ट किया । हिन्दू जनजागृति समिति के मुंबई समन्वयक श्री. सागर चोपदार ने ‘हिन्दू राष्ट्र स्थापना की आवश्यकता एवं मुलभूत संकल्पना’ विषयपर धर्मप्रेमियों का मार्गदर्शन किया, तो हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. सुनील ठाकुर ने हिन्दू राष्ट्र स्थापना हेतु विविध उपक्रम (राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन, हिन्दू राष्ट्र-जागृति सभाएं, फलकप्रसिद्धि आदि) हम समाजतक कैसे पहुंचा सकते हैं, इसकी जानकारी दी । सनातन संस्था की प्रवक्ता श्रीमती नयना भगत ने ‘जीवन में साधना का महत्त्व तथा गुरुकृपायोग के अनुसार साधना’ विषयपर मार्गदर्शन किया, तो हिन्दू जनजागृति समितिप्रणीत रणरागिनी शाखा की श्रीमती जान्हवी भर्दिके ने ‘स्वभावदोष निर्मूलन प्रक्रिया का महत्त्व, साथ ही स्वभावदोषों की व्यापकता कैसे निकालनी चाहिए?’, इस विषयपर जानकारी देकर धर्मप्रेमियों को उसके अनुसार कृती के लिए प्रेरित किया । श्री. गणेश तांबे ने ‘सामाजिक प्रसारमाध्यमों के द्वारा प्रभावशाली धर्मप्रसार कैसे करें ?’, इस विषयपर मार्गदर्शन किया । ‘धर्मशिक्षावर्ग में आने के लिए अनुरोध हेतु हिन्दुत्वनिष्ठों से संपर्क करना’ विषय के प्रायोगिक भाग में धर्मप्रेमियों ने भाग लिया और प्रत्यक्षरूप से संपर्क के समय इन सूत्रों का उपयोग करने की बात कही ।

क्षणिकाएं

१. जयतु जयतु हिन्दूराष्ट्रम् की घोषणाओं के कारण वातावरण में उत्साह था ।

२. कार्यशाला में धर्मप्रेमियों का उत्स्फूर्त चर्चात्मक सहभाग था ।प्रशिक्षण३. वक्ता प्रशिक्षण एवं हिन्दू धर्म की संकल्पना रखना, साथ ही हिन्दुत्वनिष्ठों से व्यक्तिगत संपर्क करने के प्रायोगिक भाग में धर्मप्रेमियों ने उत्स्फूतर्ता से भाग लेकर विविध विषय रखें ।

विशेष

कार्यशाला के अंत में आयोजित समूहचर्चा में धर्मप्रेमियों ने स्वभावदोष एवं अहंनिर्मूलन हेतु नियमितरूप से प्रयास करना, स्वभावदोष निर्मूलन सत्संग सुनना, साथ ही धर्मकार्य की दृष्टि से एकत्रित आना सुनिश्‍चित किया ।

हिन्दू राष्ट्र संगठक कार्यशाला के विषय में श्री. प्रमोद मुतालिक द्वारा व्यक्त उद्गार !

इस हिन्दू राष्ट्र संगठक कार्यशाला के संदर्भ में श्री. मुतालिक ने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि मुंबई जैसे महानगर में जागृति हेतु आयोजित इस कार्यशाला में वार्तालाप का अवसर मिलना मेरा सौभाग्य है और हमें संगठन के माध्यम से इस कार्य को चालू रखना है ।

कार्यशाला में श्री. प्रमोद मुतालिक द्वारा राष्ट्र-धर्म के विषय में रखे गए अन्य सूत्र

१. कश्मीर से लाखों हिन्दू विस्थापित हुए । आज भी वे अपने ही देश में भटक रहे हैं । हम मुंबई के हनुमान मंदिर में जाते हैं; किंतु कश्मीर का हनुमान मंदिर तोडा गया, तो यहां के हनुमानभक्तों को उसका क्यों नहीं दुख होता ? मुंबई के हिन्दुआें का कश्मीर के हिन्दुओं से कुछ संबंध ही नहीं, यह स्थिति है । हमें यह लगना चाहिए कि आज उनकी जो स्थिति है, वह कल हमारी भी हो सकती है । आज देश में ५० सहस्र कश्मीर बने हैं । वहां प्रवेश करना संभव नहीं है; क्योंकि वहां से हिन्दुओं को भगाया गया है । इससे तो हिन्दुओं को संगठन की गंभीरता को ध्यान में लेकर संगठित होना चाहिए ।

२. देश एवं समाज क्या है ? और इस विचारधारा का उद्देश्य क्या है ?, इससे हिन्दू समाज को अवगत किया जाना चाहिए । हिन्दूसंगठन के माध्यम से हमें हिन्दुओं में राष्ट्रभक्ति उत्पन्न करनी है । आंदोलन के माध्यम से हिन्दूविरोधियों को रोकने हेतु संगठन को बढाना चाहिए । इसके लिए सूचना का अधिकार अत्यंत उपयुक्त शस्त्र है । इसमें केवल १० रुपए का व्यय कर आवश्यक जानकारी प्राप्त की जा सकती है ।

३. धर्मांध अपनी जनसंख्या को बढाना, हिन्दू समाज का विरोध करना, हिन्दुओं की भूमियोंपर आक्रमण करना, व्यापारपर अपना नियंत्रण स्थापन करना जैसे कृत्य कर रहे हैं और उससे हिन्दू समाज भयभीतहै । इस भय को दूर करने हेतु ही हिन्दूसंगठन की अत्यंत आवश्यकता है ।

४. हम गोपूजन करते हैं, साथ में गोरक्षापर भाष्य भी करते हैं; किंतु जो मंदिर तोडनेवाले हैं, उनके साथ व्यापार करते हैं । जो मंदिरों के तोडते हैं, उनसे फूल खरीदकर मंदिर जाते हैं । क्या यह देवता को अच्छा लगेगा ?

५. जम्मू एवं कश्मीर राज्य में धर्मांधों ने हिन्दुओं के साथ अत्याचार किए और इसपर हिन्दू क्या प्रतिक्रिया देंगे, इसका प्रयोग किया । वहां १ सहस्र ४०० मंदिर तोडे गए और हमारे धर्मबंधुओं के साथ अत्याचार किए गए; किंतु तब भी देश के हिन्दुआेंपर कोई परिणाम नहीं हुआ और इस प्रयोग में इस्लाम जीत गया ।

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