मुंबई : उल्हासनगर के साथ-साथ ईसाई मिशनरियां पनवेल में भी धर्मांतरण की मुहिम भारी पैमाने पर चला रखी हैं। पनवेल में ईसाई मिशनरियां अस्पतालों में नर्स व वॉर्ड ब्वाय के माध्यम से रोगियों के लिए प्रार्थना करने की आड में धर्मांतरण की जाल बिछा रही हैं। रोगियों के नाम पर प्रार्थना करके ठीक होने पर ईशू की कृपा बताती हैं। उनके घरों तक पहुंचकर पीडित रोगी को विभिन्न प्रकार का प्रलोभन आदि देकर आकर्षित करती हैं, उसके बाद उनका धर्मांतरण करा देती हैं।
बताया जाता है कि पनवेल शहर में क्रिश्चियन की जनसंख्या मात्र २ प्रतिशत है। इस २ प्रतिशत जनसंख्या के लिए लगभग १८ आलीशान चर्चा हैं। इसके अलावा घरों के अंदर जो प्रार्थनाएं होती हैं, वह अलग है। बता दें कि उल्हासनगर में तो धर्म परिवर्तन तीव्र गति से चल रहा है। अब तक उल्हासनगर में करीब डेढ लाख सिंधी धर्म परिवर्तन करके ईसाई बन गए हैं। धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए उल्हासनगर में जिस प्रकार से स्थानीय सिंधी समाज के नेताओं या उद्योगपतियों को मुहिम चलानी चाहिए, वह नहीं चला रहे हैं। यही कारण है कि आर्थिक रूप से संपन्न सिंधी भाई भी धर्म परिवर्तन करके ईसाई बन रहे हैं क्योंकि आर्थिक रूप से संपन्न सिंधी भाई अपने स्वास्थ्य, बिजनेस में चल रहे घाटे आदि को लेकर मानसिक रूप से परेशान रहते हैं, इसी का फायदा उठाकर उन्हें तरह-तरह का प्रलोभन देकर जैसे स्वस्थ होने का दावा, बिजनेस में फायदा होने की बात कहकर उन्हें प्रभावित करती हैं, बाद में उनका धर्म परिवर्तन कर देती हैं।
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उल्हासनगर, कल्याण, पनवेल सहित अन्य आदिवासी क्षेत्रों में ईसाई मिशनरियां सक्रिय हैं। उसे देखते हुए हजारों लोगों के हस्ताक्षरयुक्त आवेदन जल्द से जल्द मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को दिया जाएगा। इस आवेदन में अन्य कई राज्यों में जिस प्रकार से धर्मांतरण पर बंदी है, उसी तरह का कानून बनाकर महाराष्ट्र में धर्मांतर बंदी की मांग आवेदन के माध्यम से की जाएगी।
स्त्रोत : सामना