जलगांव (महाराष्ट्र) में हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से हिन्दू राष्ट्र संगठक कार्यशाला

‘कानून हिन्दुओं के लिए और लाभ अन्य धर्मियों के लिए !’ यह कैसी धर्मनिरपेक्षता ? – श्री. सुनील घनवट, महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ राज्य संगठक, हिन्दू जनजागृति समिति

दीपप्रज्वलन करते हुए श्री. दत्तात्रेय वाघुळदे (दाईं ओर) एवं श्री. सुनील घनवट

जलगांव : अन्य धर्मियों के धार्मिक स्थलों को अनुदान दिया जाता है; किंतु हिन्दुओं के धार्मिक स्थलों के लिए अनुदान नहीं दिया जाता ! आंध्र प्रदेश में मौलवियों का ८,५०० रुपए; परंतु हिन्दू पुजारियों को प्रतिमास केवल २५० रुपए मासिक वेतन दिया जाता है ! ‘हिन्दुओं के लिए कानून और लाभ अन्य धर्मियों के लिए’, यह कैसी धर्मनिरपेक्षता है ? हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ राज्यों के संगठक श्री. सुनील घनवट ने ऐसा एक वास्तव प्रश्‍न उपस्थित किया। यहां सनातन के सेवाकेंद्र में ५ मई को हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से एकदिवसीय हिन्दू राष्ट्र संगठक कार्यशाला का आयोजन किया गया था। उसमें वे बोल रहे थे। सुबह १० से सायंकाल ६ बजे की अवधि में २ सत्रों में यह कार्यशाला संपन्न हुई। श्री. श्रेयस पिसोळकर एवं श्री. उमेश जोशी ने इस कार्यशाला का सूत्रसंचालन किया।

श्री. सुनील घनवट ने आगे कहा, ‘‘सभी धर्मियों को समान अवसर मिलने चाहिएं और उसके लिए हिन्दू राष्ट्र की स्थापना ही आवश्यक है ! सनातन संस्था के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी ने वर्ष १९९८ में ही ‘ईश्‍वरी राज्य की स्थापना’ इस ग्रंथ में ही हिन्दू राष्ट्र की संकल्पना प्रस्तुत की है !’’

कार्यशाला का आरंभ शंखनाद से किया गया। उसके पश्‍चात सनातन के श्री. दत्तात्रेय वाघुळदे एवं श्री. सुनील घनवट ने दीपप्रज्वलन किया। समिति के जलगांव जिला समन्वयक श्री. प्रशांत जुवेकर ने कहा कि, ईश्‍वर के गुण आत्मसात कर, साथ ही स्वयं में व्याप्त स्वभावदोष एवं अहं का निर्मूलन कर ईश्‍वर की कृपा संपादन करना, इस कार्यशाला का उद्देश्य है !

‘हिन्दू राष्ट्र की स्थापना’ एवं आनंदी जीवन हेतु साधना’ इन विषयों पर मार्गदर्शन में श्रीमती क्षिप्रा जुवेकर ने कहा, ‘‘हमें अपने जीवन को यदि आनंदी बनाना है, तो काल के अनुसार अधिकाधिक समयकुलदेवता का नामजप, साथ ही आध्यात्मिक कष्टों के निवारण हेतु न्यूनतम आधा घंटा ‘श्री गुरुदेव दत्त’ यह नामजप करने चाहिए। नामजप को प्रार्थना एवं कृतज्ञता से जोडना चाहिए। हरएक कृती से पहले एवं कृती समाप्त होने पर कृतज्ञता व्यक्त करनी चाहिए। इसके कारण कर्तापन स्वयं के पास न रहकर वह ईश्‍वर के पास जाता है !’’

१. कार्यशाला के दूसरे सत्र में सहभागी धर्मप्रेमियों ने ‘उत्तम वक्ता कैसा हो ?’, इस दिए गए विषय पर ४ मिनटों में विषय रखने का प्रयास किया।

२. तत्पश्‍चात श्री. प्रशांत जुवेकर ने समिति की ओर से वर्षभर में आयोजित किए जानेवाले धर्मशिक्षावर्ग, स्वरक्षा प्रशिक्षणवर्ग, राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन, हिन्दू राष्ट्र-जागृति सभा आदि उपक्रमों के संदर्भ में जानकारी दी।

३. श्रीमती क्षिप्रा जुवेकर एवं श्रीमती वैष्णवी पिसोळकर ने ‘स्वभावदोष एवं अहंनिर्मूलन प्रक्रिया का महत्त्व’ इस विषय पर मार्गदर्शन किया।

४. अंत में ‘हिन्दू राष्ट्र स्थापना कार्य में मेरा सहभाग’ इस संदर्भ में उपस्थित धर्मप्रेमियों में २ गुट बनाकर गुटचर्चा ली गई। इस चर्चा में धर्मप्रेमियों ने इस धर्मकार्य में क्रियाशील होने का निश्‍चय व्यक्त किया।

कार्यशाला के समापन अवसर पर धर्मप्रेमियोंद्वारा व्यक्त मनोगत !

जलगांव की कार्यशाला में सहभागी धर्मप्रेमी

१. मैं जीवन में अनेक सेमिनारों (कार्यशालाएं) में भाग लिया है; किंतु आज मैने यहां जो सिखा, वह मुझे अन्य कहींपर भी सिखने को नहीं मिला ! मेरे अबतक के जीवन में अध्यात्म ‘मिसिंग’ (अंतर्भूत नहीं था।) था, जो आज मुझे सिखने के लिए मिला ! – श्री. समीर कानडे, धुळे

२. ‘आज मैं एक अलग ही विश्‍व में हूं’, ऐसा लग रहा था। यह विश्‍व बहुत अच्छा है और उसे छोडकर जाना अच्छा नहीं लगता ! – श्री. अजय नेवे, यावल

३. आज की कार्यशाला में अनेक विषय सिखने के लिए मिले। ‘साधना एवं व्यक्तित्व का विकास’ इस विषय पर भी बहुत कुछ जानकारी मिली। मैं निश्‍चित रूप से इस जानकारी के क्रियान्वयन का प्रयास करूंगा ! – श्री. रोहित परिहार, सह-व्यवस्थापक, मुथुट फाईनान्स (शाखा जलगांव)

नींद को त्यागकर तडप के साथ कार्यशाला में सहभागी धर्मप्रेमी !

ऐसे धर्मप्रेमी ही हिन्दू धर्म की वास्तविक शक्ति हैं !

कार्यशाला में उपस्थित कुछ धर्मप्रेमियों को पहली रात में संपूर्ण नींद लेना संभव नहीं हुआ था; किंतु वे संपूर्ण दिवस उत्साह के साथ कार्यशाला में सहभागी हुए। नासिक से आए श्री. वैभव बाविस्कर, साथ ही सोनगीर से आए धर्मप्रेमी सर्वश्री भावेश वाणी एवं योगेश चौधरी रात में केवल ३-४ घंटे ही सो कर कार्यशाला में सहभागी हुए। पाळधी के श्री. जितेंद्र चौधरी रात भर मुद्रणालय में काम कर कार्यशाला में आए थे और वे रात में पुनः मुद्रणालय में काम के लिए गए।

गुटचर्चा में उपस्थित धर्मप्रेमियों का हिन्दू राष्ट्र स्थापना के कार्य में सहभागी होने का निश्‍चय !

१. कार्यशाला में आयोजित गुटचर्चा में सभी ने उत्साह के साथ भाग लिया।

२. स्वभावदोष एवं अहं के निर्मूलन के संदर्भ में गुटचर्चा में विषय की कोई भी जानकारी न होते हुए भी सभी धर्मप्रेमियों ने खुलेपन से और क्रियाशीलता के साथ सहभाग लिया।

३. राष्ट्र एवं धर्म से संबंधित उपक्रम के नियोजन के विषय में आयोजित गुटचर्चा में अनेक धर्मप्रेमियों ने उत्स्फूर्तता से विविध उपक्रमों का दायित्व लिया। इस में अनेक धर्मप्रेमियों ने हिन्दू राष्ट्र जनजागृति हेतु बैठकें करना, धर्मजागृति विषय पर फलकप्रदर्शनी का आयोजन करना, धर्मशिक्षावर्गों का आरंभ करना, हिन्दुओं को धर्मशिक्षा देना आदि उपक्रमों में सहभागी होने की सिद्धता दर्शाई !

धर्माभिमानियों का सहभाग

इस कार्यशाला हेतु नासिक, धुळे, जलगांव नगररोंसहित यावल, साकळी, धानोरा, भुसावळ, कुर्‍हा, एरंडोल, पाळधी एवं डांभूर्णी इन गांवो से आए ४६ धर्मप्रेमी सहभागी हुए। धर्मशिक्षावर्ग में आनेवाले बारी, नेवे एवं भोळे इन परिवारों ने कार्यशाला में उपस्थित हो कर अनेक सेवाओं में उत्स्फूर्तता से सहभाग लिया !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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