गोवर्धन के दानघाटी मंदिर में चढावे के ठेका नीलामी में करीब १०.७५ करोड रुपये की वित्तीय अनियमितता सामने आई है ! जितनी धनराशि ठेका नीलामी से उठाई गई, उतनी धनराशि मंदिर प्रबंधन समिति के बैंक एकाउंट में जमा नहीं कराई गई ! इस मामले में न्यायालय ने सभी आवश्यक विवरण प्रस्तुत करने को कहा है।
गिरिराज सेवक समिति ने पूर्व में दानघाटी मंदिर में वित्तीय अनियमितताओं को लेकर अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट/अपर सिविल जज सीनियर डिवीजन के यहां वाद दायर किया था। इसीके अंतर्गत समिति ने न्यायालय में प्रार्थनापत्र प्रस्तुत किया था कि, मई २०१७ से जून २०१८ तक के कैशबुक, बैंक स्टेटमेंट और ठेका रजिस्टर न्यायालय में जमा कराए जाए। न्यायालय की विधिक कार्रवाई की चेतावनी के बाद सहायक प्रबंधक डालचंद्र चौधरी ने अपूर्ण पत्रावली प्रस्तुत की। सहायक प्रबंधक के बैंक स्टेटमेंट के अनुसार जुलाई २०१८ तक मात्र ६ करोड ५.३१ लाख रुपये बैंक में जमा किए गए, जबकि उठाए गए ठेकों के सापेक्ष १३ करोड ४४ लाख १५ हजार रुपये जमा होने चाहिए थे ! इसके अलावा अगस्त, सितंबर और अक्टूबर २०१८ के ठेकों की धनराशि कुल २ करोड ६० लाख रुपये की रही है, जिनका विवरण नहीं दिया गया है। इस प्रकार जिस धनराशि का विवरण प्रस्तुत नहीं किया गया, वह लगभग १० करोड ७५ लाख रुपये है !
सभी पत्रावलियों के अवलोकन से न्यायालय ने माना कि, सहायक प्रबंधक डालचंद्र चौधरीद्वारा न्यायालय के आदेश के बाद भी जिन शर्तों के अधीन प्रबंधक का कार्य सौंपा गया था, कि प्रत्येक कार्य के उपरांत न्यायालय को अवगत कराएंगे, इसका कोई अनुपालन नहीं कराया गया और बिना न्यायालय को सूचित किए वित्तीय एवं प्रशासनिक कार्य निष्पादित किए जा रहे हैं। साथ ही सहायक प्रबंधकद्वारा दाखिल समिति के ठेका रजिस्टर और बैंक एकाउंट से स्पष्ट है कि, जितनी धनराशि ठेका नीलीमी की उठाई जा रही है, उतनी बैंक में जमा नहीं की जा रही है ! न्यायालय ने इसे घोर वित्तीय अनियमितता और श्री गिरिराज महाराज दानघाटी मंदिर के रुपयों का दुरुपयोग होना मानते हुए सहायक प्रबंधक को कारण बताओ नोटिस जारी किया है !
मेरे ऊपर लगाए गए सभी आरोप गलत हैं। मंदिर से जुडे कुछ लोग व्यवस्था को खराब करना चाहते हैं। ये लोग पहले घपलेबाजी करते थे और मेरे कारण इनके काम बंद हो गए हैं ! २०१४ में जब मुझे मंदिर का प्रबंधन कार्य मिला, उस समय दानघाटी मंदिर की पूंजी ३७ करोड थी और अब ७५ करोड हो गयी है ! हमने मंदिर के सभी खर्चे निकालकर मंदिर का बैलेंस दोगुना किया। साथ ही वृद्धावस्था, कन्यादान, छात्रवृत्ति आदि में भी व्यय किया गया। मंदिर की सालाना आय धीरे-धीरे ही बढ़ती है। मैंने अपना जवाब न्यायालय में प्रस्तुत कर दिया है !
-डालचंद्र चौधरी, सहायक प्रबंधक दानघाटी मंदिर
स्त्रोत : लाईव हिन्दुस्तान