अध्यापकों के लिए ‘तनावमुक्ति हेतु साधना’ शिविर का आयोजन !
नई मुंबई : आजकल समाज में अतिमहत्त्वाकांक्षा, लोभ और अनुचित मूल्यों का फैलाव हुआ है। वैश्विकीकरण, सूचना प्रौद्योगिकी एवं अभिव्यक्ति स्वातंत्र्य का नकारात्मक परिणाम अध्यापकों पर भी हो रहा है ! इसके कारण अध्यापकों पर सिखाते समय दबाव आता है और इस प्रकार के तनाव से मुक्ति हेतु साधना करना अत्यावश्यक है। हिन्दू जनजागृति समिति के वैद्य उदय धुरी ने ऐसा प्रतिपादित किया। ७ मई को नई मुंबई के अध्यापक-अध्यापिकाओं ने ‘तनावमुक्ति हेतु’ शिविर का लाभ उठाया। इस शिविर में वैद्य धुरी ऐसा बोल रहे थे।
उन्होंने अपने मार्गदर्शन में आगे कहा कि, अभिभावकों में अध्यापकों के प्रति विश्वसनीयता न्यून हो रही है, इसके साथ घर का तनाव भी पहले से होता है ! ५० वर्ष पूर्व समाज में अध्यापकों के प्रति आदरयुक्त भय था। वे बच्चोंपर क्षुब्ध हो सकते थे, गुरुजी जो कहेंगे, उस पर अभिभावक भी विश्वास व्यक्त करते थे; परंतु अब कालगति में ही परिवर्तन आने से ऐसा नहीं होता !
इसके लिए अब अध्यापकों के लिए सदैव अद्यवत रहना, स्वयं में सकारात्मक परिवर्तन लाना, स्वभावदोष दूर करना आदि साधना से ही संभव है ! इस समय उपस्थित अध्यापकों ने कुलदेवता एवं कुलदेवी के नामजप का महत्त्व जान कर लिया और नामजप आरंभ करने की बात भी कही !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात