धर्मनिरपेक्षता का ठेका केवल हिन्दुआेंने ही क्यों लेना ? यदि सौहार्द की मिसाल पेश ही करनी हो तो क्या मुस्लिम समुदाय मस्जिद में हिन्दुआें को होम-हवन करने देंगे ? – सम्पादक, हिन्दुजागृति
अयोध्या में हिन्दू-मुस्लिम सौहार्द की मिसाल पेश करने के नाम पर यहां के एक मंदिर में रोजा इफ्तार का कार्यक्रम हुआ, जहां मुस्लिमों ने शाम को रोजा इफ्तार कर अपना दिन भर का रोजा तोडा। अयोध्या के मंदिर में का आयोजन किया गया, इसमें सूफी संत, महंत युगल शरण शास्त्री ने इफ्तार कराया, जिसमें ३ दर्जन से ज्यादा मुस्लिमों ने शिरकत की। इस दौरान पूरे देश लिए दुआ कर रोजा खोला गया।
सरयू कुंज मंदिर वशिष्ठ कुंड में सूफी संत महंत युगल किशोर दास ने रोजे का आयोजन कराया। इस दौरान रोजेदारों ने अमन चैन की दुआ कर रोजा खोला। महंत युगल किशोर दास ने कहा कि रोजा इफ्तार का उद्देश्य था कि हिन्दू और मुस्लिम भाई सब मिल-जुल कर रहें। उन्होंने कहा कि अयोध्या किसी एक समुदाय की नगरी नहीं है। यह सब के लिए पुण्य नगर है।
भेदभाव खत्म करने का संदेश अगर मिल सकता है तो अयोध्या से मिल सकता है। युगल किशोर ने कहा कि अगर ६ दिसंबर १९९२ के पहले इस तरीके की पहल की गई होती तो यह ६ दिसंबर की घटना न होती, वहीं इफ्तार में शामिल मुस्लिमों ने कहा कि हम देश के अमन-चैन की बात करते हैं और इस तरीके की पहल भाईचारे और अमन चैन के लिए की गई है। मुस्लिमों ने कहा कि हम हिंदुओं के त्यौहार पर भी शामिल हों और पूरे देश में अयोध्या से ही अमन चैन का संदेश दें।
स्त्रोत : न्युज १८