जब तक शरीर में प्राण हैं, तब तक धर्म को हानि पहुंचने नहीं देंगे ! – अभिषेक जोशी, आेडिशा सुराख्य सेना, अध्यक्ष
‘हिन्दू संस्कृति की रक्षा करते समय आंदोलन का महत्त्व तथा किए गए प्रयास’ विषय पर बोलते हुए ‘आेडिशा सुराख्य सेना के अध्यक्ष श्री. अभिषेक जोशी ने कहा, ‘‘विगत ६ वर्षाें से हमारी संस्था धर्मरक्षा का कार्य कर रही है । आेडिशा का जगन्नाथ मंदिर राज्य सरकार के नियंत्रण में है तथा उसे सरकार के नियंत्रण से मुक्त करने हेतु हमारा संगठन प्रयासरत है । सरकार ने इस मंदिर में ‘बुफे’ पद्धति के माध्यम से प्रसाद वितरण का निर्णय लिया था । इसके विरुद्ध हमने आंदोलन कर, साथ ही न्यायालयीन संघर्ष कर इस निर्णय को रद्द करने के लिए सरकार को बाध्य किया । २६ जनवरी २०१५ को गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में तत्कालीन उपराष्ट्रपति हमीद अन्सारी ने देहली के कार्यक्रम में राष्ट्रध्वज को वंदन नहीं किया था । इसके विरुद्ध हमने राष्ट्रपति को पत्र लिखा । देश के सभी प्रसारमाध्यमों ने भी इस पत्र का संज्ञान लिया । उसके कारण उपराष्ट्रपति कार्यालय को विज्ञप्ति प्रकाशित कर स्पष्टीकरण देना पडा । अयोग्य घटनाआें के संदर्भ में केवल विरोध का ज्ञापन भी भेजा गया, तो भी उसे कैसे सफलता मिलती है, इसका यह उदाहरण है । जब तक इस शरीर में प्राण हैं, तब तक हम धर्म को हानि नहीं पहुंचने देंगे ।’’
‘परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी से हमारा जन्म-जन्म का संबंध है’, एेसा लगता है ! – श्री. अभिषेक जोशी
मैं पिछले २ दिनों से अधिवेशन स्थल पर उपस्थित हूं; किंतु मुझे एेसा लगता है, ‘परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी, साथ ही यहां के साधकों से मेरा जन्म-जन्म का संबंध है ।’
श्री. वैभव राऊत को बंदी बनाए जाने के बाद केवल ४ दिनों में ही ग्रामवासियों के नेतृत्व में आंदोलन खडा किया आैर बडा मोर्चा निकाला ! – दीप्तेश पाटिल, हिन्दू गोवंश रक्षा समिति, पालघर, महाराष्ट्र
हमारे संगठन में कोई अध्यक्ष नहीं है आैर हम सभी कार्यकर्ताआें के रूप में कार्यरत हैं । नालासोपारा प्रकरण में ‘हिन्दू गोरक्षा समिति’ के श्री. वैभव राऊत को आतंकवादविरोधी दल द्वारा बंदी बनाए जाने के केवल ४ दिनों के पश्चात ही ग्रामवासियों के नेतृत्व में आंदोलन कर, बडा मोर्चा निकाला गया । यह फेरी न निकले; इसके लिए पुलिस प्रशासन ने दबाब डालने का प्रयास किया; परंतु ग्रामवासियों के अटल रहने से पुलिस विभाग आैर प्रशासन को झुकना पडा । इस फेरी में मातृशक्ति का बडी मात्रा में सहभाग था । पालघर (महाराष्ट्र) के हिन्दू गोवंश रक्षा समिति के श्री. दीप्तेश पाटिल ने यह उपरोक्त वक्तव्य किए । ‘गोरक्षा समिति के नेताआें को अन्यायपूर्ण बंदी बनाए जाने पर ग्रामस्तरीय संगठन कैसे खडा हुआ ?’, इस विषय पर बोल रहे थे ।
श्री. वैभव राऊत को बंदी बनाए जाने के विरुद्ध ग्रामवासियों द्वारा निकाले गए मोर्चे का चलचित्र दिखाते समय कई कार्यकर्ताआें का शरीर रोमांचित हो उठा ।
भगवान श्रीकृष्ण एवं श्री महाकाली देवी के आशीर्वाद से हिन्दू जनजागृति समिति का कार्य शीघ्र ही पूर्ण होगा ! – स्वामी आत्मस्वरूपानंद महाराज
‘भारत हिन्दू राष्ट्र था, है आैर रहेगा !’, यह भावना मन में रखनी चाहिए । उसके लिए हिन्दू-संगठन की आवश्यकता है । हिन्दू धर्म ही एकमात्र धर्म है । भारत में धर्म पर आधारित शिक्षाप्रणाली होनी चाहिए । संस्कृत भाषा को पुनर्प्रतिष्ठा देनी चाहिए । पहले ५१ वें वर्ष में व्यक्ति वानप्रस्थाश्रम का स्वीकार करता था । आज ५१ वें वर्ष में भी व्यक्ति नौकरी ढूंढता है । हमें मोह को त्यागना सीखना होगा । हिन्दू जनजागृति समिति जिस उद्देश्य से कार्य कर रही है, वह कार्य श्रीकृष्ण एवं महाकाली के आशीर्वाद से शीघ्र पूर्ण होगा !’ बंगाल के स्वामी आत्मस्वरूपानंदजी महाराज ने अपने आशीर्वचन में एेसा कहा । ‘बंगाल में हिन्दुआें की दयनीय स्थिति एवं हिन्दू संस्कृति आैर संस्कृत भाषा की रक्षा हेतु किया गया कार्य’ विषय पर वे एेसा बोल रहे थे ।
‘धर्मांधों का उदात्तीकरण तथा हिन्दुआें का द्वेष’ इस स्थिति में परिवर्तन लाने की आवश्यकता ! – श्री. बिस्व ज्योति नाथ, महाकाली सेना, असम
असम में धर्मांधों की जनसंख्या प्रतिदिन बढ रही है । आज सर्वत्र ‘निरीश्वरवादी’ बनने का ‘फैशन’ है । कई लोग गर्व के साथ स्वयं के निरीश्वरवादी होने की बात कहते हैं । ‘मुसलमानों का गोल टोपी पहनना’ धार्मिकता; परंतु हिन्दुआें द्वारा ‘माथे पर तिलक लगाने’ को कट्टरतावादी कहा जाता है । इस स्थिति में परिवर्तन लाना चाहिए । ईशान्य भारत में एक हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन का कार्य किसी ‘गतिरोधक’ की भांति है । वे धर्मविरोधी कार्य को रोक नहीं सकते । ‘धर्मांधों का उदात्तीकरण आैर हिन्दुआें का द्वेष’ की स्थिति में परिवर्तन लाना आवश्यक है । असम के श्री. बिस्व ज्योति ने एेसा प्रतिपादित किया । ‘असम राज्य में हिन्दू युवकों का संगठन बनाने हेतु किए गए प्रयास’ विषय पर वे बोल रहे थे ।
हिन्दू अधिवेशनों से प्राप्त अनुभवों के आधार पर राज्यस्तरीय अधिवेशनों का सफलतापूर्वक आयोजन ! – विनोद यादव, धर्मरक्षक, संस्थापक-अध्यक्ष, भोपाल, मध्य प्रदेश
पिछले २ वर्ष से अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशनों से मैंने जो कुछ भी सीखा, उस अनुभव के आधार पर हमने भोपाल में राज्यस्तरीय हिन्दू अधिवेशन का आयोजन किया । इस अधिवेशन में आए युवक स्वयंप्रेरणा से सेवा करने आगे आते थे । इस अधिवेशन में साध्वी प्रज्ञासिंह भी उपस्थित थीं । भारत के राजनीतिक दल, विविध हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों में कार्य करनेवाले कार्यकर्ताआें को राजनीतिक पद देकर उनके दमन का प्रयास करते हैं; परंतु हमारा संगठन इसके आगे नहीं झुका । भोपाल में सडक को चौडा करने के नाम पर हिन्दुआें के १६ मंदिरों को गिराया गया; परंतु मार्ग में आनेवाले २ मस्जिदों के स्थान पर पुल बनाया गया आैर मस्जिदों को हाथ भी नहीं लगाया गया । भोपाल (मध्य प्रदेश) के ‘धर्मरक्षक’ संगठन के संस्थापक-अध्यक्ष श्री. विनोद यादव ने ‘मध्य प्रदेश में राज्यस्तरीय हिन्दू अधिवेशन के माध्यम से किए गए प्रयास तथा उसे प्राप्त सफलता’ विषय पर बोलते हुए यह जानकारी दी ।
क्षणिकाएं
१. सत्र के आरंभ से पूर्व सूक्ष्म ज्ञानप्राप्तकर्ता साधक श्री. निषाद देशमुख ने उपस्थित धर्मप्रेमियों को ‘अधिवेशन स्थल पर सूक्ष्म से होनेवाला परिणाम’ के विषय में जानकारी दी ।
२. श्री. सुमित सागवेकर ने सनातन संस्था के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी द्वारा इस अधिवेशन के लिए भेजा गया संदेश पढकर सुनाया ।
धर्मकार्य करने हेतु प्रामाणिकता एवं परिश्रम की आवश्यकता ! – अधिवक्ता पप्पू मोरवाल, श्रीराम सेना, अकोला (महाराष्ट्र)
जब मेरा हिन्दू जनजागृति समिति से संपर्क हुआ, तब से मुझे ‘समाज आैर धर्म के लिए कुछ करना चाहिए’, एेसा लगने लगा । उसके पश्चात मैने श्रीराम सेना के माध्यम से धर्मकार्य का आरंभ किया । जो धर्मरक्षा हेतु कार्य करता है, वही सच्चा अधिवक्ता होता है । कार्य करने हेतु प्रामाणिकता एवं परिश्रम की आवश्यकता होती है । हम बिना किसी अपेक्षा से कार्य करते रहे, तो संगठन अपनेआप खडा होता है । संगठन में बहुत बडी शक्ति होती है । संगठन के कारण कठिन कार्य भी संभव होते हैं ।
हिन्दू जनजागृति समिति बंगाल में भी भव्य हिन्दू अधिवेशन का आयोजन करें ! – अनिर्बन नियोगी, सलकिया भारतीय साधक समाज, हावडा, बंगाल
स्वतंत्रता संग्राम में अधिकांश पंजाब, बंगाल आैर महाराष्ट्र के क्रांतिकारियों ने भाग लिया । उसके कारण इन क्रांतिकारियों के संगठन को हानि पहुंचाने का अंग्रेजों का षड्यंत्र था । वामपंथियों ने बंगाल की संस्कृति आैर राष्ट्रभक्ति को नष्ट किया । अब बंगाल पुनः एक बार राष्ट्रवाद, हिन्दू धर्म आैर संस्कृति की आेर झुक रहा है । इसके लिए हमें जनपद, तहसील आैर घर-घर तक पहुंचना पडेगा । हिन्दू जनजागृति समिति बंगाल में एक भव्य हिन्दू अधिवेशन का आयोजन करे । गोवा में आने पर ‘हिन्दू राष्ट्र’ में आने जैसा लगा ।