शबरीमला स्थित अयप्पा स्वामी के मंदिर में प्रवेश करने के लिए किसी महिला ने नहीं, राक्षसी प्रवृत्ति के लोगों ने याचिका प्रविष्ट की । साम्यवादी महिलाआें ने ‘स्टंट’ के रूप में मंदिर में जाने का प्रयत्न किया । उन्हीं के कारण ही आध्यात्मिक भूमि युद्धभूमि बन गई है ।
न्यायालय ने ‘अयप्पा स्वामी के मंदिर में सभी आयुवर्ग की महिलाआें को प्रवेश मिलेगा’, एेसा आदेश भले ही दिया, तब भी धर्मशास्त्र न्यायालय से भी बडा है, श्रेष्ठ है, यह ध्यान में रखें । देवताआें की कभी निंदा न करें । जो धर्मविरोधी काम करते हैं, उन्हें ईश्वर ही सबक सिखाता है । किसी व्यक्ति के पास कितना भी पैसा आैर शक्ति हो, तब भी ईश्वर के सामने उसे झुकना ही पडता है; ईश्वर ही सर्वश्रेष्ठ हैं ।
न्यायालय के निर्णय के कारण धर्मरक्षा हेतु सहस्रों हिन्दू सडक पर उतरे । इस कारण हिन्दूसंगठन तो हुआ । हम धर्मरक्षा का संकल्प कर, कार्यरत हैं । सरकार ने तीन तलाक के संदर्भ में अध्यादेश जारी किया; परंतु करोडों हिन्दुआें के श्रद्धास्थान शबरीमला मंदिर की परंपराआें की रक्षा करने के लिए मात्र अध्यादेश जारी नहीं किया ।
धर्मकार्य करनेवालों को दिशा देने का कार्य गुरुजी (परात्पर गुरु डॉ. आठवले) कर रहे हैं ! – श्री. टी.एन. मुरारि
आज धर्मकार्य की उत्कंठा से सैकडों युवक सडक पर उतरे हैं; परंतु उन्हें पता नहीं कि जाना कहां हैं । उन्हें दिशा देने का कार्य गुरुजी (परात्पर गुरु डॉ. आठवले) कर रहे हैं ।