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ये हैं देहली के ३ सबसे प्रसिद्ध मंदिर, जहां हमेशा लगा रहता है भक्तों का तांता

देश की राजधानी देहली में ऐसे बहुत से स्थान हैं जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बने रहते हैं ! परंतु यहां कुछ ऐसे प्रसिद्ध मंदिर भी है जिनकी लोगों में काफी आस्था देखने को मिलती है ! जानते हैं देहली के ऐसे ३ प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में जहां हमेशा लोगों की भीड उमडी रहती है…

अक्षरधाम मंदिर

देहली के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है अक्षरधाम मंदिर। यह मंदिर अपनी भव्य वास्तुकला के लिए जाना जाता है। देखने में काफी आकर्षक होने के कारण यहां साल के १२ महीने लोगों की भीड लगी रहती है। अक्षरधाम मंदिर के इष्टदेव स्वामीनारायण हैं। इस मंदिर को बनवाने में लगभग ११००० कारीगरों का इस्तेमाल किया गया था। साथ ही इसे बनाने में लगभग ५ साल का समय लगा। ये दुनिया का सबसे विशाल हिंदू परिसर होने के कारण २६ दिसंबर २००७ में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया।

झंडेवालान माता मंदिर

झंडेवालान माता मंदिर लोगों की आस्था का प्रतीक है ! मान्यता है कि यहां लोगों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। यहां कई संख्या में भक्तजन माता रानी के दर्शन करने के लिए आते हैं। खासतौर से नवरात्र में यहां भक्तों की भीड काफी ज्यादा बढ़ जाती है ! इस मंदिर के बारे में ऐसी पौराणिक कथा है कि, मंदिर की स्थापना से पहले इस स्थान पर काफी शांत वातावरण रहता था जिस कारण कई लोग यहां प्रशिक्षण करने के लिए आते थे। जिनमें से एक श्री बद्रीदास जी थे जो एक व्यापारी थे और माता रानी के भक्त भी थे। एक दिन बद्रीदास जी जब प्रशिक्षण में मग्न थे तब उन्हें भूमि में मंदिर के होने का एहसास हुआ। और उन्होंने भूमि की खुदाई शुरू करवा दी। खुदाई के दौरान उन्हें वहां से एक झंडा और माता रानी की प्रतिमा मिली जिस कारण इसका नाम झंडेवाला रख दिया गया !

कालकाजी मंदिर

राजधानी देहली के प्रमुख मंदिरों में से एक है कालकाजी का मंदिर ! जिसका निर्माण १८वीं शताब्दी में किया गया था। यह मंदिर दक्षिणी देहली के कालका जी में स्थित है। इसे मनोकामना सिद्धपीठ और जयंती काली पीठ भी कहा जाता है ! ऐसी मान्यता है कि, असुरोंद्वारा देवताओं को सताए जाने पर ब्रह्मा जी की सलाह से देवताओं ने यहां शिवा यानी शक्ति की आराधना की थी। देवी के प्रसन्न होने पर देवताओं ने उनसे असुरों से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की। साथ ही शास्त्रों में इस बात का वर्णन मिलता है कि, महाभारत काल में भगवान श्रीकृष्ण पाण्डवों को यहां लेकर आए थे। यहां पांडवोंद्वारा माता काली की पूजा करके विजय प्राप्त करने का वर प्राप्त किया गया !

स्त्रोत : जनसत्ता

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