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भारत का हास्यास्पद लोकतंत्र और हिन्दू राष्ट्र की आवश्यकता !

पू. संदीप आळशी

‘अभियांत्रिकी, चिकित्सा, कला आदि प्रत्येक क्षेत्र में कार्य करने हेतु संबंधित विषय की शिक्षा आवश्यक होती है ! इसके विपरीत आज के  भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था में चुने जानेवाले मंत्री को शासन के किसी विभाग को चलाने के लिए उस विभाग से संबंधित विषय की शिक्षा होने की आवश्यकता नहीं है ! किसी सीमित क्षेत्र में कार्य करने के लिए भी जहां शिक्षा की आवश्यकता होती है, वहां संपूर्ण राज्य अथवा देश चलानेवाले राज्यकर्ताओं को उससे संबंदित शिक्षा होना अनिवार्य नहीं है, यही मूलतः तर्कहीन और हास्यास्पद है !

आज इतने वर्षों में भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, निर्धनता आदि सूत्रोंपर देश का जो असीमित अधःपात हुआ है, इसका मुख्य कारण राज्यकर्ताओंद्वारा समर्थ रूप से देश का राजशकट न चलाना यह भी है !

आनेवाले हिन्दू राष्ट्र में समाज को राजधर्म, अर्थ, न्याय, वाणिज्य आदि सभी क्षेत्रों की शिक्षा दी जाएगी ! इसके कारण यह हिन्दू राष्ट्र रामराज्य की भांति आदर्श होगा ! इसके लिए हिन्दू राष्ट्र स्थापना के लिए हम सभी संगठित होकर प्रयास करेंगे !’

– (पू.) श्री. संदीप आळशी (३०.५.२०१९)

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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