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५ करोड मुसलमानों को स्कॉलरशिप पर नाराज अखिल भारतीय संत समिति

कई राज्यों में हिन्दू भी अल्पसंख्यक – अखिल भारतीय संत समिति

File Photo

केन्द्र की मोदी सरकार ने देश के अल्पसंख्यकों को लुभाने के लिए ५ करोड मुसलमानों को स्कॉलरशिप देने का फैसला लिया है। परंतु सरकार के इस फैसले पर अखिल भारतीय संत समिति ने नाराजगी जाहिर की है। संत समाज के लोगों का कहना है कि देश के ८ राज्यों में हिन्दू समुदाय के लोग अल्पसंख्यक हैं। ऐसे में क्या इन राज्यों के हिन्दुओं को भी अल्पसंख्यकों के अधिकार मिलेंगे ? अखिल भारतीय संत समाज ने केन्द्र सरकार को चिट्ठी लिखकर इस मुद्दे पर अपनी बात रखी है और साथ ही सरकार से अल्पसंख्यक की परिभाषा स्पष्ट करने की मांग की है।

आज तक की एक खबर के अनुसार, संत समाज द्वारा सरकार को जो पत्र लिखा गया है उसमें ९ बिंदुओं को रेखांकित किया गया है। अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री जितेंद्रानंद सरस्वती का कहना है कि भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ही ‘एक जन एक राष्ट्र’ की भावना की बात कही गई है। संविधान में अल्पसंख्यक शब्द की परिभाषा कहीं नहीं है। पत्र में बताया गया है कि साल १९९२ में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा संसद में प्रस्ताव लाकर अल्पसंख्यक आयोग का गठन किया गया, जो कि संविधान की मूल अवधारणा के विरुद्ध था। संत समाज की मांग है कि जिन राज्यों में हिन्दू अल्पसंख्यक हैं, वहां भी हिन्दुओं को अल्पसंख्यकों वाले अधिकार मिलने चाहिए।

संत समाज का कहना है कि उच्चतम न्यायालय ने अल्पसंख्यक आयोग को निर्देश दिए थे कि वह राज्यवार अल्पसंख्यक की परिभाषा तय करके बताए। संत समाज के अनुसार, हम भी सरकार से यही मांग कर रहे हैं। संतों का कहना है कि सरकार अल्पसंख्यकों को छात्रवृत्ति दे, हमें उसकी खुशी है, परंतु ८ राज्यों में हिन्दुओं को भी अल्पसंख्यकों में शामिल किया जाए और उच्चतम न्यायालय के तय मानदंडों का पालन किया जाए।

देश के इन राज्यों में हिन्दू अल्पसंख्यकः देश के 8 राज्यों में हिन्दू समुदाय के लोग अल्पसंख्यक हैं। जिन राज्यों में हिन्दू अल्पसंख्यक हैं, उनमें जम्मू कश्मीर, मेघालय, मिजोरम, पंजाब, लक्षद्वीप, नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर का नाम शामिल है। इन राज्यों में हिन्दू आबादी ढाई प्रतिशत से लेकर ३८ प्रतिशत तक है। बता दें कि ईद के मौके पर केन्द्र सरकार ने देश के ५ करोड छात्रों को छात्रवृत्ति देने का फैसला किया था।

स्त्रोत : जनसत्ता

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