‘सनातन प्रभात’ के प्रकाशन का जब से प्रारंभ हुआ, तभी ‘यह नियतकालिक समाज को आध्यात्मिक राष्ट्ररचना के सिद्धांत पर आधारित सामाजिक, राजनीतिक एवं धार्मिक दृष्टिकोण देगा’, यह स्पष्ट किया गया था । इस तत्त्व के आधार पर सनातन प्रभात की भूमिका पाखंडी सेक्युलरवादियों की पोल खोलकर उन्हें शब्दजन्य फटकारें लगाना और छोटे भाई के भूमिका से हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन एवं राजनीतिक दलों को हिन्दूहित की दृष्टि से उन्हें उनके द्वारा की जा रही अयोग्य कृतियों का भान कराने की थी । सनातन प्रभात ने कांग्रेस, समाजवादी, वामपंथी आदि सेक्युलर दलों की सामाजिक संवेदनशून्यता, भ्रष्टाचार और उनकी हिन्दू धर्मविरोधी वृत्ति के प्रति समाज में व्याप्त असंतोष को प्रकट किया । उसके पश्चात भाजपा केंद्रस्थान में सत्तारूढ हुई । उस समय भी सनातन प्रभात ने निष्पक्षता के साथ सरकार की अयोग्य नीतियों के प्रति निर्भयता से दृष्टिकोण लिखे, साथ ही अन्य हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के लिए उचित कार्यपद्धति के संदर्भ में अपनी भूमिका स्पष्ट करने का प्रयास किया । इसमें ‘किसी भी प्रकार से हिन्दुत्व को हानि न पहुंचे’, यह उद्देश्य था । यह भूमिका केवल अन्य संगठनों के ही संदर्भ में नहीं थी, अपितु सनातन संस्था के साधकों से हुई चूकों को भी इसी निरपेक्षता की भावना से सनातन प्रभात से समय-समय पर प्रकाशित किया गया है । ‘व्यक्ति से बडा संगठन और संगठन से बडा देश-धर्म’, यही इसके पीछे की भूमिका था ।
इस अवधि में कई वरिष्ठ हिन्दुत्वनिष्ठ, साथ ही धर्मप्रेमियों ने हमें यह सूचित किया कि हिन्दूविरोधी और सेक्युलरवादी सनातन प्रभात से व्यक्त किए जानेवाले इन दृष्टिकोणों का अनुचित लाभ उठाकर हिन्दुआें को विभाजित करने का प्रयास कर रहे हैं ।
अतः ‘किसी छोटी सी कृति से भी व्यापक हिन्दुत्व को हानि न पहुंचे’, इस उद्देश्य से अब हम सनातन प्रभात से संपादकीय टीप्पणी करने की हमारी भूमिका में परिवर्तन ला रहे हैं । इस नई नीति के अनुसार अब सनातन प्रभात से हिन्दुत्वनिष्ठ राजनीतिक दल, साथ ही हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के संदर्भ में टीकाटिप्पणी नहीं की जाएगी, अपितु हिन्दू समाज की स्वाभाविक अपेक्षाआें को व्यक्त किया जाएगा, साथ ही हिन्दुत्व के परिवार में विद्यमान संगठनों को संगठनात्मक सूचनाआें को सीधे सूचित किया जाएगा ।
– संपादक, दैनिक सनातन प्रभात