नागपुर : रामटेक के गडमंदिर में प्रतिदिन सैकडों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं; किंतु मंदिर में आज भी किसी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई गई हैं ! ठीक से रखरखाव न होने के कारण यहां के प्राचीन निर्माणकार्य को क्षति पहुंच रही है, साथ ही मंदिर परिसर में कई लोगोंद्वारा अवैध निर्माणकार्य किए जा रहे हैं ! आश्चर्य की बात यह कि, यहां के सीतामाई रसोईघर में भी अतिक्रमण किया गया है ! इस संदर्भ में वरिष्ठ अधिवक्ता श्री. आनंद जायसवाल ने मुंबई उच्च न्यायालय के नागपुर खंडपीठ में आवेदन प्रविष्ट कर संबांधितों को आवश्यक आदेश देने की मांग की है !
१. इस संदर्भ में न्यायालय में जनहित याचिका प्रविष्ट की गई है। वर्ष २०१० में गडमंदिर की दु:स्थिति पर समाचारपत्रों में समाचार छपे थे। न्यायालयद्वारा स्वयं ही इसका संज्ञान लेते हुए यह याचिका प्रविष्ट की थी !
२. इस प्रकरण में वरिष्ठ अधिवक्ता श्री. आनंद जायसवाल ‘न्यायालय मित्र’ के रूप में कार्य देख रहे हैं। उन्होंने यह आवेदन प्रविष्ट कर मंदिर से संबंधित विविध समस्याओं की ओर न्यायालय का ध्यान आकर्षित किया !
३. मंदिर परिसर में विविध प्रकार के अवैध निर्माणकार्य किए गए हैं, जिनके कारण मंदिर की सुंदरता को बाधा पहुंच रही है ! मंदिर का कुछ भाग अगस्त मुनी आश्रम के नियंत्रण में है, उसकी पडताल आवश्यक है, साथ ही मंदिर परिसर में दुकानदारों ने अतिक्रमण किया है !
४. मंदिर तक पहुंचने हेतु वराह, शिरपुर, भैरव एवं गोकुल इन ४ प्रवेशद्वारों को पार करना पडता है ! इन प्रवेशद्वारों की स्थिति अच्छी नहीं है। प्रवेशद्वारों के विविध भागों में छेद बन गए हैं। गड की तलहटी पर रुद्र नरसिंहा एवं केवल नरसिंहा के १ सहस्र ५०० वर्ष पूर्व पुराने मंदिर हैं ! उनका ऐतिहासिक महत्त्व है; किंतु इन दोनों मंदिरों के रखरखाव की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है ! इस कारण मंदिरों की दुरावस्था हुई है ! मंदिर का चंदे के विवाद का अभी तक समाधान नहीं हुआ है !
५. श्रद्धालुओं की सुरक्षा हेतु मंदिर के पास प्रसाधनगृहों का निर्माण करना आवश्यक है। नगरपरिषद की ओर से मंदिर को पर्याप्त मात्रा में पानी की आपूर्ति नहीं की जाती, साथ ही मंदिर के लिए कडी सुरक्षाव्यवस्था देना आवश्यक है !
६. न्यायालयद्वारा आवेदन को अपने रेकॉर्ड पर लेकर उस पर ३ जुलाई को अगली सुनवाई निर्धारित की गई है। रामटेक नगरपरिषद की ओर से अधिवक्ता श्री. महेश धात्रक ने कामकाज देखा।
गड के सशक्तिकरण का कार्य भी अधुरा !
गडमंदिर का गड ढहने की प्रक्रिया आरंभ हो गई थी। अतः गड के सशक्तिकरण का कार्य हाथ में लिया गया। लोक निर्माण विभाग ने न्यायालय को यह कार्य पूर्ण होने की जानकारी दी, उस पर अधिवक्ता श्री. जायसवाल ने आपत्ति जताई है ! उन्होंने अपने आवेदन में ‘गड के सशक्तिकरण का कार्य ठीक से नहीं किया गया है, इसके कुछ भागों का सशक्तिकरण अभीतक पूर्ण नहीं हुआ है’, इसका उल्लेख कर इस संदर्भ में न्यायालय से संबंधितों को उचित निर्देश देने का अनुरोध किया है !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात