- इसके आगे हिन्दूद्वेषी कांग्रेस के राज्य में धर्मांध गोतस्कर एवं गोमांसभक्षकों ने गोरक्षकों के विरोध में झूठी शिकायतें प्रविष्ट की और उसके आधार पर उन्हें कारागृह में डाला गया, तो कोई आश्चर्य नहीं !
- वर्तमान में मध्यप्रदेश में गोहत्या पर प्रतिबंध होते हुए भी खुलेआम गोहत्या होती हैं । यह कानून कार्यान्वित होने पर पुलिस और प्रशासन की ‘निगरानीʼ में गोहत्या होगी तो आश्चर्य नहीं होगा !
गोरक्षा के नाम पर हो रही हिंसा एवं भीड हत्या पर लगाम लगाने ने लिए मध्यप्रदेश सरकार सख्त कानून बनाएगी। गोरक्षा के नाम पर हिंसा एवं भीड हत्या करने वाले स्वयंभू गोरक्षकों को जेल की सजा का प्रावधान करेगी। इसके लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व में बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में मध्यप्रदेश गोवंश वध प्रतिषेध अधिनियम-२००४ में संशोधन करने की मंजूरी दी गई है और मध्यप्रदेश की कांग्रेस नीत सरकार आठ जुलाई से होने वाले आगामी विधानसभा सत्र में इसे अमलीजामा पहनाने के लिए पेश करेगी। मध्यप्रदेश के पशुपालन मंत्री लाखन सिंह यादव ने इसकी पुष्टि की है।
मिलेगी सजा
आधिकारिक जानकारी के अनुसार इस संशोधन के विधानसभा में पारित होकर कानून बनने के बाद यदि कोई शख्स अकेला गोरक्षा के नाम पर हिंसा करेगा तो उसे छह महीने से लेकर तीन साल की सजा और २५००० रूपए से ५०००० रूपये तक का जुर्माना देना पडेगा। उन्होंने कहा कि वहीं, गाय के नाम पर भीड द्वारा हिंसा या हत्या की जाती है, तो उनकी सजा को बढाकर न्यूनतम एक साल और अधिकतम पांच साल किया जाएगा।
दोबारा अपराध पर दोगुनी होगी सजा
पशुपालन मंत्री लाखन सिंह यादव ने कहा कि यदि अपराधी दोबारा अपराध करता है तो उसकी सजा दोगुनी कर दी जाएगी। अधिकारी ने बताया कि संशोधन में उन लोगों को एक से तीन साल की सजा देने का प्रावधान किया जाएगा जो हिंसा के लिए लोगों को उकसाने का कार्य करेंगे। संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले गोरक्षकों को भी इसके तहत सजा दी जाएगी। बता दें विधेयक संशोधन के बाद अगर कोई व्यक्ति गोवंश का वध, गोमांस रखना या सहयोग करने में शामिल होता है तो वह सजा और जुर्माने का पात्र होगा।
स्त्रोत : जनसत्ता