मुंबई। हिंदुस्तान में फैले आईएसआईएस के आतंकी नेटवर्क को खोजने में जुटी जांच एजंसियों को अब तलाश है मौलाना अब्दुल रहमान उर्फ़ डॉक्टर नाम के एक आतंकी की। खुफियां एजंसियों का कहना है की डॉक्टर ही आईएसआईएस के भारतीय रिक्रुटमेंट सेल का प्रमुख है। और अबतक 9 भारतीय युवकों को इराक़ भेज चुका है और 25 युवक डॉक्टर के संपर्क में है। अरीब माजीद ने पुछताछ में डॉक्टर के नाम का ख़ुलासा किया।
आईएसआईएस के संदिग्ध आतंकी अरीब माजीद ने पूछताछ में सनसनीखेज खुलासा किया है। अरीब ने जांच एजंसियों को उस सख्श का नाम बताया है जो आईएसआईएस के लिए भारतीय लड़कों की भर्ती करता है। इस सख्स का नाम है डॉक्टर उर्फ़ मौलाना अब्दुल रहमान। अरीब के दावों को सच माने तो इसी डॉक्टर ने ना सिर्फ अरीब और उसके साथियों को बल्कि देश के कई अन्य राज्यों से लड़कों को आईएसआईएस में भर्ती होने का लालच दिया।
अरीब के मुताबिक, डॉक्टर अब्दुल रहमान पहले सिमी का सदस्य था। 2007 में सिमी पर शिकंजा कसे जाने के बाद वो भाग कर खाड़ी देश चला गया। हाल के सालों में वो इस्लामिक स्टेट के संपर्क में आया और अब वो इस आतंकी संगठन के लिए फंडिंग जुटाने का भी काम करता है।
डॉक्टर का नाम सबसे पहले 2007 में तब आया था जब जांच एजेंसियों में सिमी पर कार्यवाही शुरू की थी। अदीब का कहना है कि खाड़ी देर में रहते हुए डॉक्टर अब्दुल रहमान ने अपना नेटवर्क बहुत मजबूत कर लिया था। खाड़ी के नौ देशों से वो आतंकी संगठनों के लिए पैसे जुटाता था। जब इस्लामिक स्टेट के आकाओं को भारत के लड़कों को अपने संगठन से जोड़ने की जरूरत महसूस हुई तो उन्होंने डॉक्टर अब्दुल रहमान से संपर्क साधा।
एजेंसियों के मुताबिक, डॉक्टर अब्दुल रहमान भारतीय लड़कों को नौकरी का झांसा देकर पहले खाड़ी देश बुलाया करता था। वहां पहुंचने के बाद लड़कों को जेहाद के नाम पर भड़काया जाता था…खुद को कुर्बान होने के लिए कहा जाता था। सूत्रों की मानें तो डॉक्टर लड़कों को शहीद होने पर परिवार को 25 लाख रुपये देने का वादा करता था। डॉक्टर ने पिछले कुछ महीनों में हैदराबाद, कर्नाटक, जयपुर और महाराष्ट्र से 9 लड़कों को आईसिस में शामिल होने के लिए भर्ती किया। अब भी 25 से ज्यादा लड़के इस डॉक्टर के संपर्क में हैं।
एनआईए की पुछताछ मे आरिब में ख़ुलासा किया है की डॉक्टर लड़कों का ब्रेन वाश करनें का काम करता है। पिछले दिनों पश्चिम बंगाल से पकड़े गए हैदराबाद के चार लड़कों से पूछताछ में भी इसी डॉक्टर का नाम सामने आया था। जांच के बाद एजेंसियों को ये भी पता चला है कि आईएसआईएस में डॉक्टर को नदवी अल हिंदी के नाम से जाना जाता है। आईएसआईएस के भारतीय भर्ती सेल की कमान उसी के हाथ में है। डॉक्टर रहमान आईएसआईएस की सायबर आर्मी का भी सक्रिय सदस्य है। ये डॉक्टर सोशल मीडिया के जरिए भी लड़कों को अपने जाल में फंसाता है।
डॉक्टर रहमान चैट रूम के जरिए ही कल्याण के लड़कों के संपर्क में आया था। चैट रूम में कई बार अरीब और उसके दोस्तों ने डाक्टर से बात भी की थी। अरीब ने जांच एजेंसियों को बताया है कि आईएसआईएस के डॉक्टर ने कल्याण के चारों लड़कों से वादा किया था कि इराक़ में इस्लामिक स्टेट के लिए लड़ने से उनकी ज़िन्दगी बदल जाएगी। परिवार को बड़ी रकम दिए जाने का भी वायदा किया गया था। डॉक्टर के इसी वादे की वजह से अरीब और उसके साथियों का हौसला इतना बढ़ गया कि वो इराक चले गए। सूत्रों की मानें तो आतंक का ये डॉक्टर और युवकों को इराक भेजने के लिये देश की कुछ ट्रेवेल एजेंसियों के भी संपर्क में है। ऐसे में जांच एजेंसियों ने डॉक्टर और उससे से जुड़े लोगों की जानकारी जुटाने में दिन-रात एक कर दिया है।
स्रोत : आयबीएन लार्इव्ह