भारत के अलावा यूरोप, कनाडा और अमेरिकी सिखों को भी बाबे-दे-बेर गुरुद्वारे में जाने की अनुमति दे दी गई है !
पाकिस्तान ने ५०० साल पुराने एक गुरुद्वारे को भारतीय सिख श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया है ! पंजाब प्रांत के सियालकोट में स्थित में इस प्राचीन गुरुद्वारे में अब सिख श्रद्धालु अरदास कर सकेंगे ! इससे पहले भारतीय सिख बाबे-दे-बेर गुरुद्वारे में दर्शन नहीं कर सकते थे !
भारत के अलावा यूरोप, कनाडा और अमेरिकी सिखों को भी बाबे-दे-बेर गुरुद्वारे में जाने की इजाजत दे दी गई है। पंजाब प्रांत के गवर्नर मोहम्मद सरवर ने राज्य सरकार के औकफ विभाग को भारत से आने वाले सिख श्रद्धालुओं को दर्शन करने की इजाजत के निर्देश दिए गए थे।
हर साल सिख श्रद्धालु करते हैं दर्शन
बता दे कि लाहौर से १४० किलोमीटर दूर सियालकोट शहर में स्थित इस गुरुद्वारे में गुरु नानक की जयंती और उनकी पुण्यतिथि पर देश-विदेश से भारी संख्या में सिख श्रद्धालु पहुंचते हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में ऐसे कई गुरुद्वारे हैं, जहां भारत समेत दुनिया भर से सिख श्रद्धालु हर साल दर्शन करने जाते हैं !
नत्था सिंह ने कराया था निर्माण
इस गुरुद्वारे को सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव साहिब की याद में उनके अनुयायी सरदार नत्था सिंह ने बनवाया था। बताया जाता है कि, १६वीं सदी में कश्मीर यात्रा से सियालकोट लौटे गुरु नानक देव ने इसी जगह बेर के एक पेड़ के नीच विश्राम किया था। यहां उन्होंने सियालकोट के मशहूर संत हमजा गौस से मुलाकात की थी। आज भी यहां उस वक्त का विशाल बेर का पेड़ मौजूद है।
स्त्रोत : न्यूज 18