सीमाएं संभालने के लिए तैयार हैं ६०१ जेंटलमैन कैडेट्स

देहरादून (उत्तराखंड) : देश की आन, बान और शान की रक्षा के लिए देश के ६०१ सपूत तैयार हैं। भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए) में कड़ा सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त कर ये जाबांज शनिवार को पासिंग आउट परेड में अंतिम पग भरेंगे। इसके साथ ही ६४ विदेशी कैडेट भी पास आउट होंगे। पासिंग आउट परेड की सलामी अफगान सेना प्रमुख जनरल शेर मोहमद करीमी लेंगे।

आत्मविश्वास से लबरेज इन ६६५ कैडेटों ने पासिंग आउट परेड के पूर्वाभ्यास में मंगलवार को कदम से कदम मिलाया। आइएमए के ड्रिल स्क्वायर पर परेड की। अंतिम पग भरा तो हेलीकॉप्टरों ने इनपर पुष्प वर्षा की। मौका था डिप्टी कमान्डेंट परेड का।

अकादमी के उप समादेशक मेजर जनरल वाईएस माहिवाल ने परेड की सलामी ली। उन्होंने कैडेट्स में जोश भरते कहा कि देश का प्रहरी होने से ज्यादा गर्व की बात और कुछ नहीं है। वॉरियर के बजाए स्कॉलर वॉरियर बनने की सलाह दी।

मेजर जनरल माहिवाल ने कहा कि अच्छे आचरण व पराक्रम के साथ योद्धा की जिम्मेदारी निभाएं। दुश्मन से निपटने के लिए तकनीकि रूप से भी उतना ही दक्ष होना होगा। कैडेट्स को हिदायत दी कि देशसेवा को सर्वोपरि मानते हुए आम नागरिकों के साथ सौहार्द कायम रखें।

खुद को उनकी संस्कृति के मुताबिक ढालने का प्रयास करें और रिवाजों का सम्मान करें। एक सैन्य अफसर की अपने हरेक जवान के प्रति भी जिम्मेदारी है। उनके भरोसे पर खरा उतरें। इस दौरान विभिन्न स्कूलों के छात्र भी परेड देखने पहुंचे थे।

इसके साथ ही आईएमए में गुरुवार को कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल मानवेंद्र सिंह ने अकादमी से पास आउट होने वाले कोर्स की परेड का निरीक्षण किया। 6०१ जेंटलमैन कैडेट्स के साथ ६४ विदेशी कैडेट्स ने जनरल मानवेंद्र को सलामी दी। कमांडेंट परेड के अवसर पर जनरल मानवेंद्र ने कैडेट्स को सेना की उच्च परंपरा को बनाए रखने का आह्वान किया।

१३ दिसंबर को कैडेट को बेस्ट कैडेट के तौर पर भानू प्रताप सिंह स्वार्ड ऑफ आनर से सम्मानित किया जाएगा।भारतीय सैन्य परंपरा का निर्वाहचैटवुड भवन के ड्रिल स्क्वायर पर नियमित, टेक्निकल कोर्स और स्पेशल एंट्री सहित विदेशी कैडेट्स को कमांडेंट ने भारतीय सैन्य परंपरा का निर्वाह कर आन बान शान बनाए रखने को कहा। कमांडेंट ने कहा कि ट्रेनिंग के दौरान उन्हें सिखाई गई हर बात भविष्य में सफल अफसर बनने के काम आएगी। उन्होंने कहा कि आफिसर बनने के साथ ही कई जिम्मेदारियां आती हैं। अपने सैनिकों को साथ लेकर चलना सबसे अहम है।

श्रेष्ठ में सर्वश्रेष्ठः

स्वार्ड आफ आनर-भानू प्रताप सिंह
स्वर्ण पदक-पवन कुमार सांगवान
रजत पदक-पंकज कुमार
कांस्य पदक-आदित्य आनंद त्यागी
रजत पदक (टीजी)-अभिषेक कटौच
रजत पदक (टीइएस)-प्रसन्नजीत दत्ता
सर्वश्रेष्ठ विदेशी कैडेट-मोहम्मद खालिद अफगानिस्तान
चीफ आफ आर्मी स्टाफ बैनर-सैंगरो कंपनी

स्रोत : जागरण

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