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नालासोपारा के हिन्दुत्वनिष्ठों की संगठनशक्ति के कारण धर्मांधों का प्रस्तावित आंदोलन रद्द !

धर्मांधों ने अपनी अनुमति आवेदनपत्र में गोरक्षक वैभव राऊत के समर्थन में फेरी निकालने के निषेध का सूत्र भी अंतर्भूत किया !

नालासोपारा : यहां के धर्मांधों ने पुलिस प्रशासन से स्थानीय समस्याआें को लेकर आंदोलन की अनुमति मांगी थी; परंतु इस पत्र में उन्होंने बिना किसी कारण हिन्दुत्वनिष्ठों द्वारा गोरक्षक वैभव राऊत के समर्थन में फेरी निकाली जाने का निषेध करना, साथ ही तबरेज के मॉब लिंचिंग का सूत्र अंतर्निहित किया । इससे २ समुदायों में तनाव उत्पन्न होकर वसई एवं नालासोपारा की स्थिति बिगड सकती है, इसे ध्यान में लेकर हिन्दुत्वनिष्ठों ने पुलिस थानें में आकर इस आंदोलन को रद्द करने की मांग की। अंततः पुलिस प्रशासन ने १२ जुलाई को आयोजित धर्मांधों के आंदोलन की अनुमति अस्वीकार की ।

१. सनसिटी के सर्वधर्मीय लोग दफनभूमि का विरोध कर रहे हैं । बिजली विभाग से यहां की मस्जिद परिसर की बिजली आपूर्ति बंद की जा रही है । धर्मांधों ने स्थानीय पुलिस थाने में इसके विरुद्ध आंदोलन चलाने की अनुमति मांगी ।

२. धर्मांधों ने इस पत्र में बिना किसी कारण उक्त सूत्रों के साथ ही पुलिस प्रशासन द्वारा नालासोपारा के गोरक्षक वैभव राऊत द्वारा अपने संगठन के लिए एकत्रित किया गया बारूद जब्त करने के पश्चात भी उन्हें बचाने हेतु कुछ संगठनों ने जो फेरी निकाली, हम उसकी निंदा करते हैं ।, यह सूत्र अंतर्भूत किया । (गोरक्षक वैभव राऊत के निर्दाेष होने के प्रति आश्वस्त होने के कारण ही सहस्रों स्थानीय हिन्दू श्री. राऊत के समर्थन में सडकपर उतर आए, तो धर्मांधों को इससे दिक्कत क्यों ? – सम्पादक, दैनिक सनातन प्रभात)

३. साथ ही धर्मांधों ने इस पत्र में ‘तबरेज जैसी घटनाएं वसई में भी हो रही हैं’, एेसा उल्लेख कर समीर मर्चंट नामक व्यक्ति मुसलमान होने के कारण वसई रेलस्टथानकपर उसके साथ मारपीट होने का आरोप लगाया ।

४. श्री. वैभव राऊत का प्रकरण न्यायप्रविष्ट होते हुए भी इस पत्र में जानबूझकर यह सूत्र अंतर्भूत किया गया । यहां के स्थानीय हिन्दुत्वनिष्ठों ने सामाजिक माध्यमोंपर इस पोस्ट को देखने के पश्चात पुलिस थाने जाकर इस संदर्भ में पूछताछ करनेपर पुलिसकर्मियों ने उन्हें उटपटांग पद्धति से उत्तर दिए ।

५. इसके पश्चात हिन्दुत्वनिष्ठों ने पुलिस प्रशासन से संपर्क कर उक्त सूत्रों के कारण यहां की स्थिति बिगड सकती है आैर उससे दोनों समुदाय में तनाव उत्पन्न हो सकता है’, यह संभावना व्यक्त करनेपर पुलिस प्रशासन ने उन्हें केवल ‘सनसिटी दफनभूमि आैर बिजली विभाग’ से संबंधित सूत्रों को अनुमति प्रदान किए जाने की बात कही; परंतु धर्मांधों ने वॉट्स एपपर इस पत्र में उक्त सभी सूत्रों का अंतर्भाव होने का समाचार सर्वत्र प्रसारित किया । (इस प्रकार के झूठे समाचार फैलानेवाले धर्मांधों के विरुद्ध पुलिस प्रशासन क्या कार्रवाई करनेवाला है ? – सम्पादक, दैनिक सनातन प्रभात)

६. इसके कारण स्थानीय नागरिकों में भय का वातावरण बना । तब शिवसेना के श्री. जितेंद्र हजारे, भाजपा के श्री. नीलेश खोखाणी एवं धर्माभिमानी श्री. राजेश पाल ने पुलिस थाने में धर्मांधों के इस आंदोलन को रद्द करने का ज्ञापन प्रस्तुत किया । इस ज्ञापन में गुजरात के सूरत एवं मुंबई के आजाद प्रांगण में एेसे आंदोलन के माध्यम से ही दंगे भडक गए; इसलिए नालासोपारा में एेसा वातावरण नहीं बनने देना चाहिए, एेसा कहा ।

७. सर्वश्री सोहम् नेगी, महेंद्र शर्मा, स्वप्नील शहा एवं अप्पू गुप्ता आदि हिन्दुत्वनिष्ठों ने संपर्क कर अपना विरोध दर्शाया ।

८. ५० से भी अधिक हिन्दुआें ने भ्रमणभाष कर पुलिस प्रशासन से अपनी चिंता व्यक्त की । उस दिन रात १२ बजेतक हिन्दुत्वनिष्ठों ने पुलिस थाने के चक्कर काटे । अंततः हिन्दुत्वनिष्ठों के संगठित प्रयासों के कारण पुलिस प्रशासन ने धर्मांधों के आंदोलन की अनुमति अस्वीकार की । इस समय पुलिस अधिकारियों द्वारा हिन्दुत्वनिष्ठों को कार्रवाही की चेतावनी दी गई ।

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