अपने देश के लोग दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में बसे हैं। इन लोगों ने अपनी काबिलियत की वजह से देश और परिवार का नाम रोशन किया। वहां के समाज में अपनी पकड मजबूत की, जिसकी वजह से भारत और भारतीयों को लेकर विदेशियों में बहुत ज्यादा सम्मान की भावना रहती है। इसी कडी में उत्तर प्रदेश में जन्मे लिए दीपक राज गुप्ता ने ऑस्ट्रेलिया में विधानसभा सदस्य के रूप में शपथ ली। इस दौरान वे यह नहीं भूले कि वो एक हिंदू है, इसलिए अनुमति लेकर उन्होंने गीता हाथ में लेकर पद और गोपनीयता की शपथ ली।
दीपक Gungahlin विधानसभा सीट से चुने गए हैं। इससे पहले २०१६ के चुनाव में भी वे इसी सीट से चुनाव लडे थे और दूसरे नंबर पर रहे थे। जब उनसे पूछा गया कि गीता के नाम पर शपथ लेने का खयाल कैसे आया ? तो उन्होंने कहा कि मैं एक हिंदू परिवार से आता हूं। मैं जिस क्षेत्र से चुना गया हूं, वहां हिंदुओं की बहुत बडी जनसंख्या है। वे मुझे अपना मानते हैं इसलिए उन्होंने मुझे अपना नेता चुना। चुनाव जीतने के बाद मेर दिमाग में खयाल आया कि क्यों न भगवत गीता हाथ में लेकर मैं अपने पद की शपथ लूं।
जब उनसे पूछा गया कि दूसरे देश में आकर रहने वालों और बसने वालों के लिए किस तरह की चुनौतियां होती हैं ? जवाब में उन्होंने कहा कि अपने देश को छोडकर दूसरे देश में आना और बसना बहुत कठिन होता है। ऐसे में अगर कोई ऐसा करने के लिए सोच रहे हैं तो मेरी सलाह होगी कि वे अपने आप को पूरी तरह तैयार करें। देश छोड कर निकलने से पहले, जहां जाना है वहां के बारे में सबकुछ जान लें। वहां की आर्थिक स्थिति, लाइफस्टाइल, सोसायटी, खान-पान और नियम-कायदे क्या हैं, उसके बारे में पता करें फिर देश से बाहर जाने का फैसला करें। कई लोग यहां डिग्री लेकर पहुंच जाते हैं, लेकिन वे यहां के सिस्टम में अनफिट होते हैं, जिसकी वजह से उन्हें बहुत ज्यादा परेशानी होती है।
बता दें, दीपक राज १९८९ में ऑस्ट्रेलिया पहुंचे। वे यहां पढ़ने के लिए आए थे। जब वे भारत में थे तब वे चंडीगढ़ में एक रेस्टोरेंट में काम करते थे ताकि परिवार को पाल सकें। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में भी सफलता पाने के लिए बहुत कोशिश की। कई बार असफल भी रहे, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।
स्त्रोत : झी न्युज