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मुंबई उच्च न्यायालय का आदेश
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पुलिस और प्रशासकिय अधिकारियों की जांच का भी आदेश
ऐसे प्रशासकिय अधिकारियों के विरोध में केवल दंडात्मक कार्रवाई नहीं, अपितु सरकार को ऐसे लोगों को स्थाई रूप से पदावनती कर उनके विरोध में कठोर कार्रवाई करनी चाहिए, ऐसी हिन्दुओं की मांग है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात
नंदुरबार : यहां के हिन्दू जनजागृति समिति के डॉ. नरेंद्र पाटिल और अन्य एक हिन्दुत्वनिष्ठ श्री. मयुर चौधरी के विरोध में पुलिस प्रशासनद्वारा प्रस्तावित अवैध सीमापारी के आदेश को सत्र न्यायालय ने पिछले वर्ष नवंबर में निरस्त किया था।
गणेशोत्सव की अवधि में यहां की शांतता समिति की बैठक में अवैध भोंपुओं के विरोध में पुलिस प्रशासन से केवल पूछने के कारण से उपमंडल अधिकारी वान्मती सी ने प्रतिशोध की भावना से हिन्दुत्वनिष्ठों को उनके निवास से ही ६ दिनों के लिए सीमापारी का एकतरफा और अन्यायपूर्ण आदेश दिया था ! उसके पश्चात संबंधित उपमंडल अधिकारीद्वारा इस प्रकार से एकतरफा और पक्षपातपूर्ण आदेश दिए जाने के कारण उनकी विभागीय जांच हो, ऐसी मांग करनेवाली याचिका मुंबई उच्च न्यायालय के संभाजीनगर खंडपीठ में प्रविष्ट की गई थी।
इस याचिका पर सुनवाई पूर्ण होकर न्यायालय में उपमंडल अधिकारी को डॉ. नरेंद्र पाटिल एवं श्री. मयुर चौधरी को १० सहस्र रुपए की सांत्वना धनराशि का भुगतान करने के, साथ ही संबंधित पुलिस एवं प्रशासकिय अधिकारियों की जांच के आदेश दिए हैं ! पू. (अधिवक्ता) सुरेश कुलकर्णी ने इस अभियोग में हिन्दुत्वनिष्ठों का पक्ष रखा। अधिवक्ता श्री. उमेश भडगांवकर ने भी इस अभियोग में सहायता की। न्यायाधीश श्री. नलावडे एवं न्यायाधीश श्री. सोनावणे के द्विसदस्यीय पीठ के सामने यह अभियोग चलाया गया।
१. नंदुरबार में आयोजित शांतता समिति की बैठक में हिन्दू जनजागृति समिति के डॉ. नरेंद्र पाटिल ने पुलिस प्रशासन से केवल यह पूछा था कि, आप जिस प्रकार से न्यायालय के आदेश के अनुसार गणेशोत्सव मंडलों के विरोध में कार्रवाई की चेतावनी दे रहे हैं; क्या, उसी प्रकार से आप प्रातः ६ बजे से पहले बजनेवाले अवैध भोंपुओं के विरोध में भी कार्रवाई करेंगे ?
२. इस प्रकरण में उपमंडल अधिकारी ने डॉ. पाटिल एवं श्री. चौधरीसहित कुल ७७ लोगों के विरोध में सीमापारी की कार्रवाई की थी ! डॉ. पाटिल के विरोध में कार्रवाई के समय पुलिस प्रशासन ने झूठे कारण दिए ! पुलिस प्रशासन ने ठीक गणेशोत्सव के समय में विज्ञप्ति निकाल कर अन्य अपराधियों की सूची में हिन्दू जनजागृति समिति के डॉ. पाटिल एवं हिन्दुत्वनिष्ठ श्री. मयुर चौधरी के नाम अंतर्भूत कर उनकी बदनामी की ! इसके विरोध में डॉ. पाटिलसहित तीनों धर्मप्रेमियों ने इस कार्रवाई को न्यायालय में चुनौती दी और न्यायालय ने इस सीमापारी को अवैध प्रमाणित किया !
३. मुंबई उच्च न्यायालय के संभाजीनगर खंडपीठ में इस संदर्भ में हानिभरपाई, साथ ही पुलिस एवं प्रशासकिय अधिकारियों की जांच के लिए प्रविष्ट याचिका की सुनवाई के समय उक्त बातों के कारण याचिकाकर्ताओं की बदमानी होने से उक्त दोनों लोगों को सांत्वना धनराशि दी जाने की मांग की गई थी !
ऐसे अन्यायकारी प्रशासकों के विरोध में हम वैधानिक पद्धति से संघर्ष करते ही रहेंगे ! – श्री. सुनील घनवट, हिन्दू जनजागृति समिति
इस संदर्भ में हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ राज्य संगठक श्री. सुनील घनवट ने ऐसा मत व्यक्त किया कि, पुलिस प्रशासन और उपमंडल अधिकारी हिन्दुत्वनिष्ठों का किस प्रकार से दमन कर रहे हैं, यही न्यायालय के निर्णय से स्पष्ट होता है ! ऐसे हिन्दूविरोधी पुलिस और प्रशासन लोकतंत्र का गला घोंट रहे हैं !
हम में ईश्वर और न्यायतंत्र के प्रति श्रद्धा है ! इसके कारण ही आज अन्यायपूर्ण कार्रवाई करनेवालों को दंड मिला है !
इसके आगे भी हम ऐसे अन्यायकारी प्रशासकों के विरोध में वैधानिक पद्धति से संघर्ष करते रहेंगे !
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात