नई देहली : अयोध्या के श्री राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में शुक्रवार को सातवें दिन की सुनवाई हुई। न्यायालय में रामलला विराजमान के वकील सीएस वैद्यनाथन ने आर्कियालॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) की खुदाई और रिपोर्ट के आधार पर दावा किया है कि, जिस तरह की विशाल इमारत नीचे मिलने के प्रमाण मिले हैं वे बताते हैं कि वहां एक विशाल मंदिर था, जो आम जनता के दर्शन के लिए था। अयोध्या केस पर सुनवाई में जस्टिस चंद्रचूड ने वैद्यनाथन से कहा कि आप साबित करें कि बाबरी मस्जिद मंदिर या किसी धार्मिक इमारत के ऊपर बनी है ? रामलला विराजमान की ओर से कहा गया कि विवादित स्थल की खुदाई से मिले पुरातात्विक अवशेष से यह साफ पता चलता है कि वहां मंदिर था।
अयोध्या मामले में रामलला की ओर से दलीलों में सीएस वैद्यनाथन ने नक्शा और रिपोर्ट दिखाकर न्यायालय को बताया कि विवादित ढांचे और खुदाई के दौरान मिले पाषाण स्तंभ पर शिव तांडव, हनुमान और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां उत्कीर्ण हैं। पक्के निर्माण में जहां तीन गुम्बद बनाए गए थे वहां बाल रूप में राम की मूर्ति थी।
वैद्यनाथन ने कहा कि अप्रैल १९५० में विवादित क्षेत्र का निरीक्षण हुआ तो कई पक्के साक्ष्य मिले। इसमें नक्शे, मूर्तियां, रास्ते और इमारतें शामिल हैं। परिक्रमा मार्ग पर पक्का और कच्चा रास्ता बना था। आसपास साधुओं की कुटियाएं थीं। सुमित्रा भवन में शेषनाग की मूर्ति मिली। पुरातत्व विभाग की जनवरी १९९० की जांच और रिपोर्ट में भी कई तस्वीरें और उनके साक्ष्य दर्ज हैं। ११ रंगीन तस्वीरें उस रिपोर्ट के एलबम में हैं जिनमे स्तंभों की नक्काशी का विस्तृत चित्रण और वर्णन है।
रामलला विराजमान की ओर से कहा गया कि १९५० में निरीक्षण के दौरान वहां मस्जिद का दावा किया गया लेकिन उसके बावजूद यह पाया गया कि वहां कई तस्वीरें, नक्काशी और इमारत थे जो साबित करते हैं कि वह मस्जिद वैध नहीं थी। वैद्यनाथन ने एएसआई की रिपोर्ट वाले एलबम की तस्वीरें, मेहराब और कमान की तस्वीरें भी न्यायालय को दिखाईं, जो १९९० में खींची गई थीं। उसमें कसौटी पत्थर के स्तंभों पर श्रीराम जन्मभूमि उत्कीर्ण है। तस्वीरों में भी साफ-साफ दिखता है। कमिश्नर की रिपोर्ट में पाषाण स्तंभों पर श्रीराम जन्मभूमि यात्रा भी लिखा है।
श्रीराम जन्मभूमि पुनरोद्धार समिति (याचिका ९) शंकराचार्य की ओर से कहा गया कि वह प्रिंस ऑफ वेल्स की यात्रा की याद में लिखा गया शिलालेख था। स्तंभों और छत पर बनी मूर्तियां, डिजाइन, आलेख और कलाकृतियां मंदिरों में अलंकृत होने वाली और हिन्दू परंपरा की ही हैं।
रामलला विराजमान की ओर से सन १९९० की तस्वीर का हवाला देते हुए कहा गया कि इन तस्वीरों में पिलर में शेर और कमल के चित्र हैं। इस तरह के चित्र कभी भी इस्लामिक परंपरा का हिस्सा नहीं हो सकते।
जस्टिस भूषण ने कहा कि १९५० में कमीशन द्वारा लिया गया फोटो, जो जगह के बारे में है, बताता है वो ज्यादा भरोसेमंद है, १९९० की फोटो की तुलना में। रामलला की तरह से कहा गया कि इसमें कोई विवाद नही कि वहां पिलर मौजदू थे।
रामलला विराजमान की ओर से उच्च न्यायालय का आदेश पढा गया जिसमें न्यायालय ने विवादित स्थल पर भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (एएसआई) को निरीक्षण करने को कहा था। रामलला विराजमान की ओर से कहा गया कि दूसरे मटेरियल का कार्बन डेटिंग किया गया था। जस्टिस बोबडे ने कहा कि हमनें शायद मूर्ति की कार्बन डेटिंग पूछी थी ? मुस्लिम पक्ष की ओर से कहा गया कि जस्टिस बोबडे ने पूछा था कि देवता की कार्बन डेटिंग हुई है क्या? मुस्लिम पक्ष की ओर से कहा गया कि ईंटो की कार्बन डेटिंग नहीं हो सकती। कार्बन डेटिंग तभी हो सकती है जब उसमें कार्बन की मात्रा हो। रामलला की ओर से कहा गया कि देवता की कार्बन डेटिंग नही हुई है।
अयोध्या मामले (Ayodhya Case) पर सुप्रीम न्यायालय में सुनवाई सोमवार को जारी रहेगी। रामलला विराजमान की ओर से सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि सोमवार को वे एएसआई की रिपोर्ट पर बहस करने के बाद गवाहों के बयानों पर पक्ष रखेंगे। वैद्यनाथन ने कहा कि उन्हें अभी बहस के लिए और तीन से चार घंटे का समय चाहिए। सोमवार को भी रामलला की ओर से पक्ष रखा जाएगा।
स्त्रोत : NDTV इंडिया