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तिरंगे पर गाय को काटा : इमाम ने कहा, ‘ये सामान्य समाज नहीं है, ये इस ग्रह पर एक धब्बा हैं !’

हिंदुस्तान के अधिकांश लोगों का मानना है कि कट्टर जिहादियों और चरमपंथी इस्लामियों में भी पाकिस्तानी मुसलमान अलग ही ‘लेवल’ के बीमार और विक्षिप्त लोग हैं। हिंदुस्तान और हिन्दुओं से नफरत में अंधे हो वे अपनी आत्मा, अपना होशो-हवास पूरी तरह खो चुके हैं। पहले तो लिबरल गैंग इसे ‘विभाजन की प्रतिक्रिया से उपजी सोच’, ‘कट्टर हिन्दूवाद’, ‘नफरत’, ‘हिन्दू तालिबान’ आदि कहकर नकार दिया करते थे। लेकिन आज सोशल मीडिया के युग में दिख रहा है कि हमारी सोच गलत नहीं थी पाकिस्तान में सच में आत्मा का ही अभाव है।

इसी आत्मा का, इंसानियत का अभाव पाकिस्तानी लोगों ने १५ अगस्त को हिंदुस्तान के स्वतंत्रता दिवस के दिन दिखाया। चूँकि हिंदुस्तान हिन्दू-बहुल देश है और ३७० खत्म करने को पाकिस्तानी जिहादी ‘हिन्दू आक्रमण’ के रूप में देखते हैं, इसलिए हिंदुस्तान के हिन्दुओं को नीचा दिखाने के लिए पाकिस्तानी हैदराबाद शहर की सुन्नी तहरीक के कट्टरपंथीयों ने इंसानियत की हद ही पार कर दी।

चूँकि अधिकाँश हिन्दू गाय को पवित्र पशु मानते हैं, माँ मानते हैं और उनकी आस्था का सम्मान करते हुए हिंदुस्तान के अधिकाँश राज्यों में गौवध पर प्रतिबंध है, इसलिए ‘पाकिस्तानी सुन्नी तहरीक हैदराबाद’ संगठन के लोगों ने अपने देश में सडक पर गौवध किया, हिंदुस्तान के झंडे पर, ताकि हिंदुस्तान और हिन्दू दोनों को नीचा दिखाया जा सके। यही नहीं, गाय की हत्या भी सामान्य हलाल करने वाले तरीके से एक बार में रेत कर नहीं, गाय को तडपा-तडपा कर की गई। पहले आधा गला काटकर तडपने के लिए, दर्द से पैर पटकने के लिए गाय को छोड दिया गया, उसके बाद धीरे-धीरे मारा गया। ऐसा इसलिए किया गया ताकि हिन्दुओं को ‘ठेंगा’ दिखाया जा सके कि देखो, तुम्हारी गऊ माता यहाँ पाकिस्तान में तुम्हारे ही झंडे पर रख कर न केवल मारी जाती है, बल्कि बेरहमी से, तडपा-तडपा कर मारी जाती है और तुम कुछ नहीं कर पाते।

तडपती गाय के दर्द को ‘एन्जॉय’ करते न केवल वयस्क देखे जा सकते हैं, बल्कि किशोर भी दर्द और प्रताडना के इस वीभत्स खेल का हिस्सा हैं। एक बमुश्किल ७-८ साल का बच्चा भी कौतूहल और दिलचस्पी के साथ इसे देखता है। यह गाय से अधिक पाकिस्तान की उस खुद की इंसानियत की हत्या है, जिसका तकाजा होता है कि यदि पेट भरने या जबान के चटखारे के लिए किसी पशु-पक्षी की जान लेना जरूरी है भी, तो इसे उस जंतु को कम-से-कम दर्द पहुँचा कर किया जाए न कि उसके दर्द, उसकी तडपती हुई मौत का नंगा-नाच किया जाए।

‘ये कोई सामान्य समाज नहीं, धब्बा है’

इस्लाम से ही ताल्लुक रखने वाले ऑस्ट्रेलियाई इमाम मोहम्मद तौहीदी ने इस घटना का वीडियो शेयर करते हुए लिखा है, “पाकिस्तानी हिंदुस्तान को नीचा दिखाने के लिए हिन्दुस्तान के झंडे पर, हिंदुस्तान के स्वतंत्रता दिवस के दिन गाय की हत्या कर रहे हैं। यह कोई सामान्य समाज नहीं है। ये इस ग्रह पर ही एक धब्बा हैं। ये हमारे टैक्स के पैसे या किसी विदेशी सहायता के लायक नहीं हैं।”

PETA को भी चुनौती

इमाम तौहीदी ने पशु अधिकारों के नाम पर हिन्दुओं के त्योहारों में अडंगा डालने के लिए बदनाम संस्था पेटा को चुनौती दी कि वह इस अमानवीय व्यवहार के खिलाफ कुछ करके दिखाए। तौहीदी ने यह भी साफ किया कि उनकी चुनौती का अर्थ केवल पेटा का ट्वीट देखना नहीं है। वह देखना चाहेंगे कि इसके खिलाफ पेटा में कोई अंतरराष्ट्रीय याचिका, किसी संसद में कोई प्रस्ताव या किसी तरह के बहिष्कार के लिए लॉबिंग कर पाने की हिम्मत है।

स्त्रोत : ऑपइंडिया

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