पुणे (महाराष्ट्र) : सार्वजनिक उत्सव समन्वय शिविर में आए शिविरार्थियों का शास्त्रीय पद्धति से गणेशोत्सव मनाने का निर्धार !

हिन्दू जनजागृति समिति का ‘आदर्श गणेशोत्सव अभियान !’

पुणे में ‘सार्वजनिक उत्सव समन्वय शिविर’ संपन्न

पुणे : हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से विविध त्योहार-उत्सव धर्मशास्त्र के अनुसार मनाए जाए; इस उद्देश्य से उद्बोधनजन्य अभियान चलाए जाते हैं ! इसीके अंतर्गत पुणे के सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडलों का संगठन बनाने हेतु समिति की ओर से सार्वजनिक उत्सव समन्वय शिविर लिया गया। इस शिविर के माध्यम से गणेशभक्तों में शास्त्रीय पद्धति से गणेशोत्सव कैसे मनाना चाहिए, इस संदर्भ में जागृति की गई। शिविर में वीडियो के माध्यम से गणेशोत्सव का महत्त्व, साथ ही इस उत्सव में आजकल हो रही अप्रिय घटनाओं की जानकारी दी गई। सनातन निर्मित श्री गणेश अ‍ॅप की भी जानकारी दी गई। शिविर में सभी ने २ मिनट श्री गणेश का नामजप किया। उसके पश्‍चात सभी ने ‘नामजप के कारण अत्यंत प्रसन्नता प्रतीत हुई, मन निर्विचार हुआ, मन में व्याप्त विचारों की मात्रा न्यून हुई आदि अनुभूतियां बताईं ! शिविरस्थल पर सनातन के सात्त्विक उत्पाद और ग्रंथ, साथ ही धर्मशिक्षा के फलकों की प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया था। सभी शिविरार्थियों ने इसका लाभ उठा कर इसके आगे शास्त्रीय पद्धति से गणेशोत्सव मनाने का निश्‍चय किया।

बाईं ओर से सर्वश्री अभिजीत बोराटे, विठ्ठल कामठे, दीपप्रज्वलन करते हुए पराग गोखले एवं हेमंत मणेरीकर

श्रीकृष्ण मंदिर, तुकाई दर्शन, हडपसर

यहां हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. हेमंत मणेरीकर ने शिविर का उद्देश्य स्पष्ट किया। उपस्थित मान्यवरों ने मनोगत व्यक्त किया।

हिन्दू युवकों का संगठन होना, समय की मांग ! – श्री. अभिजीत बोराटे, हिन्दवी स्वराज्य युवा संगठन

हिन्दवी स्वराज्य युवा संगठन के श्री. अभिजीत बोराटे ने ‘गणेशोत्सव की वर्तमान स्थिति एवं उसमें आवश्यक मुलभूत बदलाव’ के संदर्भ में स्पष्टता से अपना मत रखा। उन्होंने कहा, ‘‘गणेशोत्सव मंडलों के सामने ही डीजे चलाकर विकृत पद्धति से नृत्य किया जाता है। गणेशोत्सव मंडलों में होनेवाली स्पर्धा के कारण हिन्दू विभाजित हो रहे हैं; इसीलिए गणेशोत्सव के माध्यम से विविध मंडलों में एकत्रित होनेवाले हिन्दू युवकों का संगठन होना समय की मांग है !’’

कुछ दिन पूर्व आए बाढ के संकट को देखते हुए आनेवाले समय में ऐसी घटनाओं का सामना करने हेतु एक-दूसरे की सहायता कर ईश्‍वर की सहायता लेना भी आवश्यक है, इस पर सभी का एकमत हुआ। उसके पश्‍चात संपन्न गुटचर्चा में मंडलों के कार्यकर्ताओं ने साधना शिविर की मांग की ! सभी ने उत्स्फूर्तता के साथ गणेशोत्सव की कालावधि में प्रवचन लेने की एवं प्रदर्शनी के आयोजन की मांग की, साथ ही प्रकाशित किए जानेवाले अपने मंडल के रिपोर्ट में धर्मशिक्षा से संबंधित जानकारी अंतर्भूत करने के संदर्भ में सभी ने अनुकूलता दर्शाई !

क्षणिकाएं

१. शिविर में मध्यांतर के पश्‍चात शिविरस्थल पर दैवीय कणों की मात्रा बढी और उससे सभी को ठंडक एवं चैतन्य प्रतीत हो रहा था !

२. केवल भ्रमणभाष पर संपर्क कर आमंत्रित किए गए मंडलों के धर्मप्रेमी भी शिविर में उत्स्फूर्तता के साथ सहभागी हुए !

भैरवनाथ मंदिर, मारूंजी गांव

मारूंजी गांव के शिविर में उपस्थित गणेशभक्त एवं मंडलों के कार्यकर्ता

मारूंजी गांव के मान्यवर श्री. समीर बुचडे के हाथों दीपप्रज्वलन से शिविर का आरंभ हुआ। शिविर का उद्देश्य बताते हुए हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. अशोक कुलकर्णी ने लोकमान्य तिलकजी का गणेशोत्सव आरंभ करने का व्यापक उद्देश्य स्पष्ट किया।

शिविर में मार्गदर्शन करने हुए समिति के श्री. हेमंत मणेरीकर ने कहा कि, गणेशोत्सव के माध्यम से समाज को क्या अच्छा लगता है, इसकी अपेक्षा समाज के लिए क्या आवश्यक है, उसे देने की आवश्यकता है !

वर्ष में से कुछ दिन धर्मकार्य हेतु देने चाहिए ! – श्री. समीर बुचडे, मान्यवर

श्री. समीर बुचडे ने संगठन के अभाव के कारण गणेशोत्सव मंडल और गणेशभक्तों को किन किन समस्याओं का सामना करना पडता है, यह बताया और कहा, ‘‘हम श्रद्धा के कारण देवता अथवा धर्म के नाम पर संगठित होते हैं; परंतु वह श्रद्धा केवल उस कार्य को पूर्ण होनेतक ही शेष रहती है और उसके पश्‍चात हम उसकी उपेक्षा करते हैं ! अतः हमें वर्ष के कुछ दिन धर्मकार्य हेतु देने चाहिए। आजका यह शिविर उसका आरंभ है !’’

इस अवसर पर नेरेगांव के मूर्तिकार श्री. लक्ष्मण कुंभार ने खडिया मिट्टी से बनी मूर्ति का उपयोग करने से वह धर्माचरण होगा और उससे हमें श्री गणेशतत्त्व का लाभ भी मिलेगा, ऐसा बताते हुए सभी को खडिया मिट्टी से बनी मूर्ति की प्रतिष्ठापना करने का आवाहन किया।

विशेष : श्री. विठ्ठल कामठे ने उनके मंडल की ओर से होनेवाले छत्रपति शिवाजी महाराज एवं छत्रपति संभाजी महाराज के उत्सवों की जानकारी दी, साथ ही उन्होंने आग्रहपूर्वक यह भी बताया कि, उत्सवों में पारंपरिक वाद्यों का ही उपयोग किया जाना चाहिए !

धर्मप्रेमियोंद्वारा सहायता

इस शिविर के लिए श्री. अंकुश जगताप ने सभागार की निःशुल्क उपलब्धता कराई। ‘मातोश्री अमृततुल्य’ के श्री. गणेश खळदकर ने चाय का प्रबंध किया। धर्मप्रेमी श्री. दत्तात्रय कुलकर्णी का इस शिविर के लिए विशेष सहयोग मिला।

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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