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लखनऊ. केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे बीजेपी और आरएसएस पर भले ही आतंक का ट्रेनिंग कैंप चलाने का आरोप लगाते हैं लेकिन भारत सरकार के पास इसे साबित करने के लिए कोई सुबूत नहीं है। इतना ही नहीं, केंद्र सरकार यह भी बताने में विफल रही कि देश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार की कुल कितनी वारदातें हुई हैं। ये सूचना का अधिकार कानून के तहत मांगी गई सूचना में सामने आया है। आरटीआई कार्यकर्ता उर्वशी शर्मा को दी गई जानकारी में केंद्र सरकार यह भी बताने में विफल रही कि देश में घुसपैठ की कुल कितनी घटनाएं हुईं और विद्रोह कहां-कहां हुआ ।
जनवरी में जयपुर में केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने भाजपा और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पर देश में हिन्दू आतंकवाद फैलाने के लिए आतंकी प्रशिक्षण शिविर चलाने का आरोप मढ़ा था। शिंदे के इस बयान की आरएसएस और बीजेपी ने कड़ी आलोचना की थी और सोनिया गांधी तथा कांग्रेस से माफी मांगने को कहा। बाद में गृह मंत्री ने अपने बयान पर खेद जताते हुए साफ करने की कोशिश की थी कि उनके बयान का गलत अर्थ निकाला गया।
वैसे उस समय केंद्रीय विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद भी गृह मंत्री के बयान के पक्ष में बोलते दिखे थे। उन्होंने कहा था कि शिंदे ने जो भी कहा, वह तथ्यों के आधार पर कहा। ऐसे तत्व हैं जो घृणित गतिविधियों में लिप्त हैं। हालांकि खुर्शीद ने यह भी कहा कि धर्म को आतंकवाद से नहीं जोड़ा जाना चाहिए ।
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आरटीआई कार्यकर्ता उर्वशी शर्मा ने इस साल 28 जनवरी को गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे द्वारा आतंक के ट्रेनिंग कैम्प से जुड़े 7 सवालों के जवाब हासिल करने की कोशिश में प्रधानमंत्री कार्यालय में आरटीआई दाखिल की थी। उन्होंने पूछा था कि बयान में गृह मंत्री ने जिन रिकॉर्ड्स के आधार पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर आतंक के ट्रेनिंग कैम्प चलाने और हिंदू आतंकवाद बढ़ाने की बात कही है, उनकी सर्टिफाइड कॉपी जो भारत सरकार के पास है, वह दी जाए।
भाजपा और आरएसएस द्वारा हिंदू आतंकवाद बढ़ाने के लिए जो ट्रेनिंग कैम्प चलाए जा रहे हैं, वे भारत और विश्व में कहां-कहां हैं, इसके रिकॉर्ड उपलब्ध कराए जाएं। भारत सरकार द्वारा आतंकवाद को धर्म, जाति के आधार पर बांटने संबंधी अगर कोई शासनादेश जारी किया गया है, तो उसकी भी जानकारी दें।
अल्पसंख्यकों के साथ देश में कितना अत्याचार हुआ है और भारत सरकार उससे निपटने के लिए क्या कर रही है, इसकी पूरी जानकारी मामलों के साथ उपलब्ध कराई जाए।
भारत में घुसपैठ और विद्रोह के कितने मामले आए हैं और भारत सरकार ने उनसे निपटने के लिए क्या किया इसकी मामलों के हिसाब से पूरी जानकारी। समझौता एक्सप्रेस में ब्लास्ट, मक्का मस्जिद और मालेगांव ब्लास्ट की जांच रिपोर्ट उपलब्ध कराई जाए। उर्वशी शर्मा के इन सवालों के जवाब में गृह मंत्रालय ने जवाब भेजा है कि गृह मंत्री ने अपने बयान के बारे में 20 फरवरी को स्पष्टीकरण दे दिया है कि उन्होने जनवरी में जो जयपुर में जो बोला था उसका गलत अर्थ निकाला गया।
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ऐसा समझा गया कि जैसे मैंने आतंकवाद एक धर्म से जोड़ दिया और एक राजनीतिक संगठन को आतंक के शिविर चलाने का दोषी करार दिया। गृह मंत्री ने कहा कि उनकी किसी धर्म से आतंकवाद को जोड़ने की मंशा नहीं थी। यही नहीं मेरे बयान को आतंकवाद से राजनीतिक संगठन को जोड़ने का भी कोई आधार नहीं था। अगर मेरे बयान से किसी को ठेस पहुंची है तो मुझे खेद है। मेरी मंशा ऐसी नहीं थी।
इसके अलावा गृह मंत्रालय ने अल्पसंख्यकों के ऊपर अत्याचार होने के मामलों और देश में घुसपैठ व विद्रोह की घटनाओं से जुड़े सवाल के जवाब में कहा कि ऐसी जानकारी उनके पास उपलब्ध नहीं है। वहीं मालेगांव ब्लास्ट, मक्का मस्जिद और समझौता एक्सप्रेस में ब्लास्ट की जो जांच रिपोर्ट मांगी गई है, उसकी आरटीआई के तहत नहीं आती।
स्त्रोत : दैनिक भस्कर. कॉम