कुशीनगर उत्तर प्रदेश), जागरण संवाददाता। आगरा में धर्मांतरण को लेकर देश भर में मचे हो-हल्ला के बीच उत्तर प्रदेश के कुशीनगर के गांव गंगुआ मठिया में पांच हिंदू परिवारों के २७ लोगों ने ईसाई धर्म अपना लिया। रविवार सुबह उन्हें ईसा मसीह की पूजा करते ग्रामीणों ने देखा, जिसके बाद धर्म परिवर्तन का यह मामला सार्वजनिक हुआ। मामला उजागर होते ही धर्म बदलने वाले सभी २७ लोग गांव छोड़कर कहीं चले गए। ग्रामीणों ने इन परिवारों के सामाजिक बहिष्कार की घोषणा की है, जबकि प्रशासन इसे पुराना मामला बताते हुए विस्तृत जांच करने की बात कह रहा है।
ग्रामीणों के अनुसार, बिहार सीमा से सटे गांव गंगुआ मठिया के दिलीप गुप्ता के घर एक पादरी का छह माह से आना-जाना था। इधर एक सप्ताह से दिलीप तथा उसके पड़ोस के चार परिवारों की गतिविधियां बदली लग रही थीं। वे एक-दूसरे के यहां सुबह-सुबह एकत्रित होकर विशेष पूजन-अर्चन करते थे, लेकिन वे ऐसा क्यों करते हैं, इसे ग्रामीण नहीं जान पाते थे। रविवार सुबह भी दिलीप गुप्ता के घर पर पड़ोसी प्रभु प्रजापति, किशन गुप्ता, मालती गुप्ता व रमावती गुप्ता अपने परिवार के सदस्यों के साथ ईसा मसीह की प्रतिमा रख विशेष पूजा कर रहे थे। किसी काम से पहुंची दो महिलाओं ने उन्हें ईसा मसीह की पूजा करते देख इसकी सूचना अपने घर पर दी। बाद में अन्य कई ग्रामीण भी पहुंच गए। इसके बाद धर्म परिवर्तन का यह मामला कुछ ही देर में आम चर्चा का केंद्र बन गया।
उधर, हिंदू से ईसाई बने परिवारों का रिश्तेदारों और गांव के लोगों ने सामाजिक बहिष्कार करने की घोषणा की है। ग्रामीणों के अनुसार ईसाई धर्म अपनाने वाले २७ लोगों को न तो कोई अपने यहां कार्यक्रमों में आमंत्रित करेगा और न ही उनके आयोजनों में शामिल होगा। ग्राम प्रधान अजय खरवार ने बताया कि दिलीप गुप्ता मुंबई में नौकरी करता है। उसने एक साल पहले मुंबई में ईसाई धर्म अपनाया था। करीब छह माह पहले दिलीप जब गांव आया तो उसके घर पर बिहार स्थित एक मिशनरी के पादरी का आना-जाना लगा रहा। दोनों की कोशिश के बाद चार हिंदू परिवार के लोगों ने भी धर्म परिवर्तन कर लिया है। इस बीच धर्म परिवर्तन की सूचना पर जिला प्रशासन हरकत में आ गया। उप-जिलाधिकारी श्रीप्रकाश शुक्ल ने गांव पहुंचकर जांच-पड़ताल की। वहीं, जिलाधिकारी लोकेश एम. के अनुसार धर्म परिवर्तन का यह मामला नया नहीं, बल्कि पुराना है। सभी एक साल पहले मुंबई में हिंदू धर्म परिवर्तन कर ईसाई बन गए थे।
स्रोत : जागरण