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हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी की नेपाल यात्रा !

१. विंध्यवासिनी मंदिर के पीठाधीश्वर श्री निःसेशानंदजी महाराज से सदिच्छा भेंट !

काठमांडू : हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी ने २२ अगस्त को पोखरा स्थित विंध्यवासिनी मंदिर के पीठाधीश्वर श्री निःसेशानंदजी महाराज से सदिच्छा भेंट ली। इस अवसर पर श्री निःसेशानंदजी महाराज ने सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी को सम्मानित किया। इस समय भारत के वृंदावन के पहाडीबाबा आश्रम से आईं साध्वी ममतादीदी एवं मीनूदीदी उपस्थित थीं। इस समय हिन्दुओं की वर्तमान स्थिति के संदर्भ में महाराज ने कहा, ‘‘आज टोकरी में रखे हुए केकडों की भांति हिन्दुओं की स्थिति बन गई है, जो एक-दूसरे के पैर खींचने में ही मग्न हैं ! जब आपसी मतभेदों को बाजू में रख कर हमारी एकजूट होगी, तब निश्चितरूप से धर्म का पुनरुत्थान होगा !’’

सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी

२. पोखरा के विश्व हिन्दू महासंघ के अध्यक्ष श्री. शंकर खनाल से भेंट

सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी ने पोखरा के विश्व हिन्दू महासंघ के अध्यक्ष श्री. शंकर खनाल से भेंट की। इस अवसर पर श्री. खनाल ने सद्गुरु (डॉ.) पिंगळेजी से अपने कार्यकर्ताओं का परिचय करवाया।

श्री. पोखरा ने कहा, ‘‘श्रीकृष्ण व्यभिचारी थे और उनकी १६ सहस्र पत्नियां थीं, इस प्रकार से दुष्प्रचार कर हिन्दुओं में भ्रम फैलाया जा रहा है ! इसका खंडण होना ही चाहिए !’’ इसपर सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी ने कहा, ‘‘श्रीकृष्ण इन सभी स्रियों के पति थे। इन स्रियों को नरकासुर के चंगुल से छुडाने के पश्चात उन्होंने उन सभी के पालनपोषण का दायित्व स्वयं पर लिया और उन्हें स्वयं का नाम देकर समाज में स्थान प्राप्त करवा कर दिया। यहां पति को पालनकर्ता की दृष्टि से बताया गया है ! धर्मविरोधी लोग इस संदर्भ में समाज के सामने अनुचित अर्थ रखते हैं ! इसी लिए सभी को धर्मशिक्षित होकर धर्मशिक्षा का कार्य करने की आवश्यकता है !’’

क्षणिका : श्री. शंकर खनाल ने सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी को अपने कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शन करने का अनुरोध किया और उसके लिए उन्होंने एक कार्यशाला के आयोजन की सिद्धता भी दर्शाई !’’

विंध्यवासिनी धार्मिक क्षेत्र विकास समिति के अध्यक्ष श्री. गणेश बहादूर श्रेष्ठ एवं उपाध्यक्ष श्री. पवित्रा रेग्मी से भेंट !

बाईं ओर से श्री. पवित्रा रेग्मी, श्री. गणेश बहादूर श्रेष्ठ एवं सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी

सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी ने नेपाल में बढती हुई धर्मांतरण की घटनाओं के विरोध में कार्यरत एवं विंध्यवासिनी धार्मिक क्षेत्र विकास समिति के अध्यक्ष श्री. गणेश बहादूर श्रेष्ठ एवं उपाध्यक्ष श्री. पवित्रा रेग्मी से उनके कार्यालय में भेंट ली।

इस अवसर पर श्री. श्रेष्ठ ने सद्गुरु (डॉ.) पिंगळेजी का पारंपरिक पद्धति से स्वागत किया। इस समय सद्गुरु (डॉ.) पिंगळेजी ने उन्हें हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा किए जा रहे राष्ट्र एवं धर्म के कार्य की जानकारी दी। श्री. श्रेष्ठ ने कहा, ‘‘हिन्दुओं में संगठन का अभाव यही एक बडी समस्या है ! आज धर्म के नाम पर कई संप्रदाय बनते हैं और वे धर्म के स्थान पर स्वयं का ही प्रसार कर चले जाते हैं ! समाज को नित्य धर्माचरण का महत्त्व कोई नहीं बताता !’’

हिन्दुओं को जाति, वर्ण एवं धर्म में निहित भेद को समझा कर बताना आवश्यक ! – सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी

श्री. गणेश बहादूर श्रेष्ठ से वार्तालाप करते हुए सद्गुरु (डॉ.) पिंगळेजी ने कहा, ‘‘आजकल जाति एवं वर्ण में निहित भेद को नष्ट कर जाति को ही वर्ण के रूप में समाजमन पर अंकित करने का षड्यंत्र चल रहा है ! आज हिन्दू धर्म कई संप्रदायों में विभाजित हुआ है। ईसाई मिशनरी इसका अपलाभ उठा रहे हैं !

इसलिए धर्मांतरण रोकने हेतु हिन्दुओं को धर्म की शिक्षा देने के साथ ही उन्हें जाति, वर्ण और धर्म में निहित भेद समझाने की आवश्यकता है !’’

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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