एन.सी.ई.आर.टी. : भारतीय संस्कृति के विषय में असत्य, अपमानजनक जानकारी देनेवाली तथा विद्यार्थियोंके मन में हिन्दूद्वेष निर्माण करनेवाली एक राष्ट्रीय शैक्षणिक संशोधन एवं प्रशिक्षण संस्था !
नागपुर (महाराष्ट्र) : भारतीय संस्कृति के विषय में असत्य, अपमानजनक जानकारी देनेवाली तथा विद्यार्थियोंके मन में हिन्दूद्वेष निर्माण करनेवाली राष्ट्रीय शैक्षणिक संशोधन एवं प्रशिक्षण संस्था का (एन.सी.ई.आर.टी.का) पाठ्यक्रम परिवर्तित करने के लिए गोवा राज्य की भूमिपर समिति की स्थापना की जाएगी । शासनद्वारा इस विषयपर गंभीर रूप से ध्यान दिया गया है । इस समिति के माध्यम से एन.सी.ई.आर.टी.का पाठ्यक्रम परिवर्तित करने के लिए केन्द्रीय स्तरपर प्रयास किए जाएंगे । ऐसा आश्वासन शिक्षामंत्री श्री. विनोद तावडेजी ने १२ दिसम्बर को हिन्दू जनजागृति समिति के प्रतिनिधि मंडल को दिया । समिति की ओर से श्री तावडे को निवेदन दिया गया । उस समय वह बोल रहे थे । इस अवसरपर भाजप के विधायक श्री. नरेंद्र पवार भी उपस्थित थे ।
एन.सी.ई.आर.टी.का पाठ्यक्रम सदैव विवादित सिद्ध होता है । चंडीगढ के राष्ट्रप्रेमी श्री. नीरज अत्री ने कक्षा १२वीं की इतिहास की मूलभूत संकल्पना नामक पुस्तक की कुछ धक्कादायक चूकोंपर प्रकाश डाला है । भारतीय ऋषीपत्नी गौतमी और वसिष्ठी प्रत्यक्ष में अस्तित्व में ही नहीं थी । प्राचीनकाल में जन्म से व्यक्ति का स्तर (वर्ण) निर्धारित किया जाता था । इस प्रकार की काल्पनिक, असत्य एवं भारतीय संस्कृति के विषय में भ्रमित करनेवाली जानकारी स्थान-स्थानपर दी गई है । इस पाठ्यक्रम के कारण लाखों विद्यार्थियोंपर अनुचित इतिहास अंकित किया जा रहा है । इसलिए कक्षा ७ वीं, १० वीं और १२ वीं की पाठ्यपुस्तकोंमें इतिहास का विकृतिकरण करनेवाले लेख त्वरित परिवर्तित किए जाएं, ऐसी मांग इस निवेदनद्वारा की गई है ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात