बांग्लादेश की सुरक्षा के लिए खतरा बन गए है रोहिंग्या
ढाका : बांग्लादेश ने सोमवार को देश के टेलिकॉम ऑपरेटरों को देश के दक्षिण-पूर्व में शिविरों में रह रहे लगभग दस लाख रोहिंग्या शरणार्थियों की मोबाइल फोन सेवाएं बंद करने का आदेश दिया। इस शिविर में हाल के सप्ताहों में हिंसा फैल रही है। इन शिविरों में रहने वाले अधिकांश निवासी दो साल पहले म्यांमार के राखीन राज्य से भागकर आए थे। मगर, अब यह बांग्लादेश की सुरक्षा के लिए खतरा बन गए हैं। वहां अपराध की घटनाएं तेजी से बढ रही हैं और सरकार इससे परेशान है।
नर्इ दूनिया में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश दूरसंचार नियामक आयोग (बीटीआरसी) के प्रवक्ता जाकिर हुसैन खान ने कहा कि दूरसंचार ऑपरेटरों के पास शिविरों में नेटवर्क बंद करने के लिए की गई कार्रवाइयों पर रिपोर्ट देने के लिए सात दिन हैं। उन्होंने कहा कि कई शरणार्थी मोबाइल फोन का इस्तेमाल शिविरों में कर रहे हैं। हमने ऑपरेटरों से इसे रोकने के लिए कार्रवाई करने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि यह फैसला सुरक्षा को देखते हुए किया गया है।
पुलिस ने बताया कि शरणार्थियों के खिलाफ नशीले पदार्थों की तस्करी, हत्या, डकैती, गिरोह से लड़ने और पारिवारिक झगड़े के लगभग ६०० मामले दर्ज किए गए थे। बांग्लादेश ने इससे पहले भी रोहिंग्या बस्तियों में मोबाइल फोन की पहुंच को प्रतिबंधित करने की कोशिश की थी। मगर, इस कदम को गंभीरता से लागू नहीं किया गया था। शिविरों में मोबाइल फोन सेटों और सिम कार्ड की ब्रिकी तेजी से बढ रही है।
पुलिस प्रवक्ता इकबाल हुसैन ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि शरणार्थी म्यांमार से करोड़ों डॉलर मूल्य की मेथम्फेटामाइन गोलियों की तस्करी करने जैसी आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए मोबाइल फोन का दुरुपयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस फैसले का सकारात्मक असर पड़ेगा। मेरा मानना है कि इससे आपराधिक गतिविधियों में निश्चित रूप से कमी आएगी।
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रविवार को पुलिस ने कहा कि संदिग्ध रोहिंग्या अपराधियों ने स्थानीय सत्तारूढ पार्टी के अधिकारी उमर फारुख की हत्या कर दी थी। फारुक की हत्या के बाद २२ अगस्त को एक शरणार्थी शिविर की ओर जाने वाले राजमार्ग को अवरुद्ध करने के लिए सैकडों लोगों की उग्र भीड जमा हो गई थी। भीड ने टायर जलाए और रोहिंग्याओं की दुकानों में तोड-फोड की थी।