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६ दिसंबर हिंदुओं के लिए शौर्य, स्वाभिमान और एकता का प्रतीकः योगी आदित्यनाथ

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साध्वी निरंजन ज्योति और साक्षी महाराज के बाद अब योगी आदित्यनाथ का बयान नरेंद्र मोदी सरकार की मुसीबत बढ़ा सकता है. गोरखपुर से सांसद और महंत आदित्यनाथ ने ६  दिसंबर की घटना को हिंदुओं के लिए शौर्य, स्वाभिमान और एकता का प्रतीक बताया है ।

आदित्यनाथ ने स्पष्ट किया कि बीजेपी पूर्व में हिंदू से ईसाई और मुस्लिम बने हिंदुओं को मूल धर्म में वापस लाने की पक्षधर है. बिहार के वैशाली जिले में संतों की एक सभा में योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘जिस तरह संतों की एकजुटता ने बाबरी मस्जिद का सत्यानाश किया, उसी तरह देश में हिंदू विराधी तत्वों को खत्म करने के लिए संतों की एकजुटता की जरूरत है। ‘ अपने भाषण के दौरान आदित्यनाथ ने बिहार में चल रहे मदरसों और चर्चों की तरफ इशारा करते हुए जेडीयू सरकार को हिंदू विरोधी बताया।

इसके साथ ही महंत ने कहा, ‘२५  दिसंबर को अलीगढ़ में प्रस्तावित घरवापसी के कार्यक्रम को प्रोत्साहन मिलना चाहिए. विदेशी पैसे के दम पर हिंदुओं का धर्मांतरण हुआ है और अब समय उनकी घर वापसी का है।  इस देश के पूर्वोत्तर के राज्यों का स्वरूप ही बदल दिया गया. हमारे जनजातीय स्टेट झारखंड और छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण के कारण खतरा पैदा हो गया है ।

उन्होंने कहा, ‘धर्मांतरण का कार्यक्रम पीछे १२ वर्षों से चल रहा है, आगरा, इटावा, अलीगढ़ में हरेक साल २५  दिसंबर को धर्मांतरण का कार्यक्रम होता है।’

उधर, कांग्रेस नेता संजय निरूपम ने कहा, ‘धर्मांतरण का प्रोग्राम बीजेपी प्रायोजित कार्यक्रम है, नाम बदल दिए जाते है। ‘ गौरतलब है की योगी आदित्यनाथ और संजय निरूपम चुनाव प्रचार के लिए झारखण्ड दौरे पर हैं ।

गौरतलब है कि साधु ब्रिगेड की बयानबाजी के चलते बीजेपी लगातार बैकफुट पर दिख रही है. निरंजन स्वामी के बयान पर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हस्तक्षेप करना पड़ा था।  इसके बाद गांधी को गोली मारने वाले नाथूराम गोडसे को साक्षी महाराज ने देशभक्त करार दे दिया था ।  इस पर भी जमकर बवाल हुआ. हालांकि सवाल अब ये है कि बीजेपी महंत आदित्यनाथ के बयान पर क्या दलील देती है ।

स्त्रोत : आज तक 

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